थके हुए पुतिन रशियन राष्ट्राध्यक्ष पद के आनेवाले टर्म के लिए प्रयत्न नहीं करेंगे – ब्रिटन के अख़बार का दावा

लंडन: रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन थक गए हैं और अपने राष्ट्राध्यक्ष पद के आने वाले सत्र के लिए प्रयत्न नहीं करेंगे, ऐसी चर्चा शुरू हुई है। ब्रिटन के ‘द इंडिपेंडेंस’ नामक एक दैनिक ने इस बारे में लेख प्रसिद्ध किया है। स्वयं पुतिन अपने उम्मीदवारी के लिए उत्सुक ना होने के संकेत इस खबर से मिल रहे हैं।

अबतक के चुनाव में पुतिन ने ६ महीने पहले अपनी उम्मीदवारी घोषित की थी। यह उत्साह राष्ट्राध्यक्ष पुतिन का इस चुनाव में नहीं दिख रहा है। इसपर यह खबर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके पीछे राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और उनके निकटतम की राजनैतिक व्यूहरचना है, ऐसी चर्चा इस खबर में की गई है। मार्च महीने में रशिया में चुनाव होने वाले है। आखिर तक अपनी उम्मीदवारी के विषय में संदिग्धता कायम रखने की योजना पुतिन ने बनाई होगी, ऐसी आशंका इस दैनिक ने जताई है। इसकी वजह से अपने विरोधियों को तैयारी के लिए योग्य समय नहीं मिलेगा, ऐसा तर्क उसके पीछे होने की बात इस वृत्त में कही है।

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यह आशंका संभव मानने के बाद भी, पुतिन इस समय चुनाव में राष्ट्राध्यक्ष पद के उम्मीदवार नहीं होंगे, ऐसी गहरी आशंका कुछ लोगों ने जताई थी। क्योंकि राष्ट्राध्यक्ष पुतिन थक गए हैं, ऐसा दावा पुतिन इनके निकटतम राजनीतिक व्यक्तियों ने किया था। पिछले वर्ष उन्होंने यह तैयारी की थी, ऐसा निकटवर्तीओं का कहना है। पर रशिया के राजनीतिक विश्लेषकों ने किसी भी हालत में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन रशिया का राष्ट्राध्यक्ष पद आसानी से नहीं छोड़ेंगे, ऐसा मत स्पष्ट तौर पर प्रस्तुत किया था। पुतिन के निकटतम सहयोगी रशिया के सत्ताकारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एक बार अगर पुतिन सत्ता से नीचे आए, तो उनके सहयोगी लोगों की अवस्था जटिल हो जाएगी। इस वजह से पक्ष के लोग पुतिन इनको सत्ता छोड़ने नहीं दे रहे हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

राष्ट्राध्यक्ष पद के आने वाले टर्म के लिए पुतिन उत्सुक नहीं है। फिर भी अगर उन्होंने उम्मीदवारी घोषित की तो उन्हें चुनके आने में कोई बाधा नहीं होगी। क्योंकि पुतिन इनका विरोध करने वालों में किसी भी उम्मीदवार पर एकमत नहीं हुआ है। इसकी वजह से पुतिन इनके विरोध में वोट का विभाजन होगा, ऐसा दावा निरीक्षकोंने किया है और पुतिन इन्हें उम्मीदवारी घोषित की अथवा राष्ट्राध्यक्ष पद के आने वाली टर्म से इनकार किया, फिर भी दोनों स्थिति में रशिया मे राजनैतिक बदलाव होंगे, ही ऐसा कुछ राजकीय विश्लेषकोंने कहा है।

दीर्घ समय तक पुतिन रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पद पर है। अब यह राजनैतिक व्यवस्था अधिक समय तक टिक नहीं सकती, ऐसा सभी को एहसास है। इसकी वजह से आनेवाले समय में रशिया में बहुत बड़े बदलाव संभव है। ऐसा कहकर एक विश्लेषकने अपने जैसे अन्य विश्लेषकों का भी यही कहना है ऐसा दावा किया है।

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