कोरोना की पृष्ठभूमि पर गरीबी, असंतोष और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ेगा – अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की रिपोर्ट की चेतावनी

वॉशिंग्टन – कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर, जागतिक अर्थव्यवस्था शायद फिर से पहले जैसी होगी भी, लेकिन आर्थिक विकास असंतुलित रहने का डर होकर, गरीबी, असंतोष तथा भू-राजनीतिक तनाव में अधिक ही बढ़ोतरी होगी, ऐसी चेतावनी अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दी है। सन २०२१ के अंत तक हालाँकि अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाई देगा, फिर भी अगले साल अर्थव्यवस्था फिर से धीमी होगी, ऐसा भी मुद्रा कोष की रिपोर्ट में बताया गया है।

corona-imf-1मुद्रा कोष की प्रमुख अर्थ विशेषज्ञ गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक आऊटलुक रिपोर्ट’ प्रकाशित की। इस रिपोर्ट का शीर्षक ही ‘फॉल्ट लाईन्स वायडन इन द ग्लोबल रिकव्हरी’ यह है। मुद्रा कोष ने अप्रैल महीने में जारी की रिपोर्ट के बाद, जागतिक स्तर पर हालातों में बड़ा बदलाव आने की बात इस रिपोर्ट में दर्ज की गई है। टीकों की उपलब्धता यह एक प्रमुख घटक के रूप में उदयित हुआ होकर, वह जागतिक अर्थव्यवस्था को विभाजित करनेवाली रेखा साबित हुआ है, इसपर अर्थ विशेषज्ञ गीता गोपीनाथ ने गौर फरमाया।

जागतिक अर्थव्यवस्था पहले जैसे होने की प्रक्रिया ‘टीकाकरण’ नामक रेखा से विभाजित हुई है। दुनिया की लगभग सभी प्रगट अर्थव्यवस्थाएँ साल के अंत तक दैनंदिन व्यवहार पहले जैसे करने के लिए कदम उठा रहीं हैं। उसी समय दूसरी ओर कई देशों में कोरोना का फैलाव और मृतकों की संख्या बढ़ रही है। इनमें प्रायः उगती अर्थव्यवस्थाएँ और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का समावेश है। जब तक अन्य देशों में संक्रमण बढ़ रहा है, तब तक फैलाव कम होनेवाले देशों में भी अर्थव्यवस्था पहले जैसी होने की शाश्वती नहीं है, ऐसा मुद्रा कोष की रिपोर्ट में जताया गया है।

corona-imf-2अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना पूरी तरह ख़त्म हुए बगैर, जागतिक अर्थव्यवस्था पहले जैसी कब होगी यह निश्चित रूप में नहीं कहा जा सकता, इसका अहसास मुद्रा कोष के अर्थ विशेषज्ञ ने करा दिया है। इस साल की शुरुआत में टीकाकरण शुरू होने के बाद कई देशों ने प्रतिबंध हटाकर अर्थव्यवस्था तेज़ करने के लिए कदम उठाए थे। लेकिन कोरोना के नए प्रकारों का फैलाव शुरू होने के कारण वह प्रक्रिया फिर से खंडित हुई, इस पर मुद्रा कोष ने गौर फरमाया।

लेकिन इसी दौर में प्रगत अर्थव्यवस्थाओं ने, टीकाकरण और बड़ी वित्तीय सहायता के संकेत देकर, अर्थचक्र को पटरी पर लाने के लिए तेज़ी से कदम उठाए। उगती हुईं और विकासशील अर्थअर्थव्यवस्थाएँ इस मामले में पिछड़ गईं और उसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं, ऐसा मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है। प्रगत अर्थव्यवस्थाओं में लगभग ४० प्रतिशत नागरिकों का टीकाकरण पूरा हुआ है। वहीं, उगती हुईं अर्थव्यवस्थाओं में यही प्रमाण महज ११ प्रतिशत तक ही है, यह मुद्राकोष ने स्पष्ट किया।

कोरोना के अधिक तेज़ी से फैलनेवाले घातक ‘स्ट्रेन्स’, जागतिक अर्थव्यवस्था पहले जैसी होने की प्रक्रिया में बड़ी बाधा साबित हो सकते हैं। इन बाधाओं के कारण सन २०२५ तक जागतिक अर्थव्यवस्था को लगभग ४.५ ट्रिलियन डॉलर्स का नुकसान उठाना पड़ेगा, ऐसा अर्थ विशेषज्ञ गीता गोपीनाथ ने जताया। ‘अर्थव्यवस्था को पहले जैसी बनाने की प्रक्रिया सुचारू रखनी है, तो सभी अर्थव्यवस्थाओं को एकत्रित होकर सामायिक नीति और उपाययोजनाएँ करनी होंगी। यदि वैसा नहीं हुआ, तो अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़कर गरीबी, सामाजिक असंतोष और भू-राजनीतिक तनाव अधिक तीव्र होंगे’, ऐसी चेतावनी मुद्रा कोष के अर्थ विशेषज्ञ ने दी।

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