छत्तीसगड़ में हुई मुठभेड़ में पुलिस उप-निरीक्षक शहीद, चार माओवादी ढ़ेर

रायपूर – छत्तीसगड़ के राजनांद गाँव में माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान पुलिस उप-निरीक्षक स्तर का अफसर शहीद हुआ और चार माओवादी ढ़ेर हुए। मारे गए माओवादियों में दो महिलाएँ हैं और मुठभेड़ की जगह से हथियारों का बड़ा भंडार भी बरामद किया गया है।

माओवादियों की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त होने पर पुलिस ने शुक्रवार की रात, संबंधित क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। रात लगभग १०.३० बजे राजनांद गाँव में पुलिस और माओवादी एक-दूसरे के सामने खड़े हुए। पुलिस को देखते ही माओवादियों ने गोलीबारी शुरू की। पुलिस ने माओवादियों के हमले को पुलिस ने करारा जवाब दिया। इस मुठभेड़ में उप-निरीक्षक श्‍यामकिशोर शर्मा शहीद हुए। साथ ही, इस मुठभेड़ में चार माओवादी ढ़ेर हुए। इस मुठभेड़ की जानकारी साझा करते समय पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने, इस वारदात में मारे गए माओवादियों में दो महिलाएँ होने की बात कही। वारदात की जगह से माओवादियों के शव एवं एके-४७, एसएलआर रायफल, दो ३१५ बोअर की रायफल समेत अन्य हथियार बरामद किए गए हैं, यह जानकारी भी उन्होंने साझा की।

माओवादियों ने राजनांद गांव में रेड़ झोन बनाया है और यह क्षेत्र छत्तीसगड़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा से जुडा हुआ हैं। पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगड़ में माओवादी और सुरक्षा दलों के बीच मुठभेड़ होने की घटना सामने आ रही हैं। २९ अप्रैल के दिन नारायणपूर ज़िले में सुरक्षा दल के सैनिक और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक माओवादी मारा गया था और दो घायल हुए थे। इससे पहले २७ अप्रैल को हुई मुठभेड़ में दो माओवादियों को ढ़ेर किया गया था। इसके अलावा १६ अप्रैल को भी माओवादियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। गौरतलब है कि १२ जुलाई, २००९ को इसी क्षेत्र में माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में पुलिस अधीक्षक व्ही.के.चौबे समेत २९ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।

देश से माओवादियों का पुरी तरह से सफाया करने के लिए आक्रामक मुहिम शुरू की गई है। माओवादियों के प्रभावी क्षेत्र में यह मुहिम और भी आक्रामक की गई है। इसके लिए कुछ दिन पहले ही ‘आयटीबीपी’ के आठ हज़ार सैनिक स्थायी तौर पर इस क्षेत्र में तैनात करने का निर्णय किया गया है। देश के अधिकांश क्षेत्र में माओवादियों का प्रभाव कम हुआ है। माओवदियों के विरोध में शुरू मुहिम तीव्र की गई है और ऐसें में माओवादी अपना अस्तित्व बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं।

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