शरणार्थीयों की समस्या पर युरोपीय महासंघ से पोलंड के ‘एक्झिट’ के संकेत

वार्सा / ब्रुसेल्स: गुरुवार को ब्रूसेल्स शहर में होनेवाले यूरोपीय महासंघ के बैठक की पृष्ठभूमि पर यूरोपीय देशों में शरणार्थियों की समस्या एवं सदस्य देशों से बढ़ता विरोध यह मुद्दा फिर एक बार सामने आ रहा है। और इस बारे में दबाव डालने पर महासंघ से एक्झिट लेने का इशारा दिया है। पिछले हफ्ते में यूरोपियन कमीशन ने झेक रिपब्लिक के साथ एवं हंगेरी इन देशों के विरोध में शरणार्थियों के मुद्दे पर कानूनी कारवाई की प्रक्रिया शुरु की थी। इसकी वजह से प्रॉब्लम से दिए गए एक्झिट के संकेत महासंघ में दोहरे गट की शुरुआत होगी, ऐसा कहा जा रहा है।

शरणार्थीयों की समस्या

यूरोपीय महासंघ ने सितंबर २०१५ में शरणार्थियों को सदस्य देश में भेजने के लिए स्वतंत्र योजना बनाई थी। उसके अनुसार लगभग १ लाख ७ हजार शरणार्थी २८ सदस्य देश में भेजे जाने वाले थे। पर पूर्व यूरोप में पोलंड, हंगेरी और झेक रिपब्लिक इन देशों ने इस योजना को विरोध करते हुए, शरणार्थियों को स्वीकारने के प्रस्ताव को ठुकराया था। इस मुद्दे पर यूरोपीय महासंघ ने इन देशों के विरोध में कानूनन कार्यवाही शुरु की है और वित्त सहायता तोड़ने का तथा चुनाव का अधिकार वापस लेने का इशारा दिया है।

महासंघ से पोलंड एवं अन्य देशों के विरोध में होनेवाले कार्यवाही कभी भी सफल नहीं हो सकती, ऐसा दावा पोलंड के विश्लेषक रेनाटा मिंकोवस्का ने किया है। महासंघ ने पोलंड के विरोध में कार्यवाही शुरु की तो पोलिश जनता से उसपर तीव्र प्रतिक्रिया आएगी, ऐसा मिंकोवस्का ने सूचित किया है। महासंघ ने २०२० वर्ष के बाद पोलंड को वित्तीय सहायता देने के लिए इनकार किया है तथा पोलंड सरकारस्पष्ट तौर पर महासंघ से बाहर निकलने का निर्णय ले सकता है, ऐसा दावा उन्होंने किया है।

पोलंड के प्रधानमंत्री मैथ्यूज मोराविकी ने पोलंड की धारणा के बारे में की विधान में मल्टीस्पीड यूरोप की संकल्पना को तीव्र विरोध किया था। उस समय युरोपियन महासंघ के आनेवाले गतिविधियों में उनके विचार पर चर्चा करें, ऐसी आग्रही भूमिका ली थी। उनके झेक रिपब्लिक ने शरणार्थियों के मुद्दे पर रोकठोक भूमिका लेकर शरणार्थी न स्वीकारने की धारणा में कोई भी बदलाव न करने का इशारा दिया था और हंगेरी के प्रधानमंत्री ने पहले भी शरणार्थीयों के मुद्दे पर यूरोपीय संघ मे संघर्ष शुरू होने की बात स्पष्ट की थी।

शरणार्थीयों के मुद्दे पर होनेवाला तीव्र एवं बढ़ता विरोध देखते हुए, पोलंड ने इस मुद्दे पर एग्जिट का निर्णय लिया, तो युरोपीय महासंघ को नए दोहरे गट का सामना करना होगा, ऐसी आशंका जताई जा रही है। सन २०१६ में ब्रिटन ने महासंघ से बाहर निकलने का निर्णय लिया था। उसके बाद यूरोप से अबतक उसके तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है और स्पेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्वीडन, ऑस्ट्रिया जैसे अनेक सदस्य देशों में महासंघ के विरोध में भूमिका बढ़ रही है और उसे समर्थन भी मिल रहा दिखाई दे रहा है।

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