अगर हम पंद्रह क्षेत्रों पर ध्यान दें, तो भारत ‘आत्मनिर्भर’ होगा – ‘एसोचैम’ का दावा

नई दिल्ली – यदि हम देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के संकल्प को हासिल करना चाहते हैं, तो हमें १५ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना होगा। अगर हम इस क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ा सकते हैं, तो हम दो से तीन वर्षों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, ऐसा दावा देश में उद्यमियों की एक प्रमुख संस्था, ‘एसोचैम’ ने किया है। ‘एसोचैम’ ने इन १५ क्षेत्रों की सूचि जारी की है।

Assocham-Indiaकोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को इस आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए २० लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के लिए एक संकल्प की भी घोषणा की थी। इस ‘आत्मनिर्भर’ अभियान के तहत कुछ योजनाओं की घोषणा की गई थी। साथे ही, प्रधानमंत्री ने इसपर ध्यान देने के लिए ‘एसोचैम’ सहित विभिन्न उद्योग संस्थाओं और संगठनों से भी अपील की थी।

इस पृष्ठभूमि पर, देश की साढ़े चार लाख से अधिक कंपनियों और व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ‘एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया’ (एसोचैम) ने १५ क्षेत्रों की सूचि तैयार की है। ईंधन तेल को छोड़कर भारत में आयात किए जानेवाले सामानों के जानकारी का विश्लेषण करके, ‘एसोचैम’ ने इन १५ क्षेत्रों की पहचान कर अलग किया है।

इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, कोयला, स्टील, लोहा, अलौह धातु, वनस्पति तेल, प्लास्टिक, दवाओं के कच्चे माल जैसे क्षेत्र शामिल हैं। देश ने लॉकडाउन के बावजूद मई महीने में २.८ अरब डॉलर्स मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की आयात की। सामान्य परिस्थितियों में, भारत हर महीने ५ अरब डॉलर्स मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की आयात करता है।

इतने बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स की आयात होने के कारण देश की विदेशी मुद्रा अधिक खर्च होती है। इसलिए इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ऐसा एसोचैम ने कहा। एसोचैम को यह भी उम्मीद है कि देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित की गयीं रियायतों और प्रोत्साहन योजनाओं से इस क्षेत्र को लाभ होगा।

Assocham-logoचीन के साथ बढते तनाव के कारण, चीन से विभिन्न वस्तुओं की आयात बंद करने की माँग की जा रही है। भारत में चलायी जा रही चिनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मुहिम का चीन द्वारा मजाक उड़ाया जा रहा है। देश में कुछ लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि अगर भारत चीन से सामान की आयात करना बंद कर देता है, तो उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन देश के कई उद्यमी कह रहे हैं कि वे भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाकर चीन से आयात कम करने के लिए तैयार हैं। कई निजी कंपनियों ने चीन के साथ समझौतें रद कर दिए हैं। सोमवार को ‘जेएसडब्ल्यू’ ग्रुप के सज्जन जिंदल ने, चीन से होनेवाली आयात पर अंकुश लगाने के लिए मिलकर काम करने का उद्यमियों से आवाहन किया।

इस पृष्ठभूमि पर ‘एसोचैम’ ने सूचि जारी की है। इस सूचि में अधिकांश सामान चीन से आयात किया जाता है। देश की ‘इलेक्ट्रॉनिक्स’ आयात में चीन की हिस्सेदारी ४३ फीसदी है। इसलिए, ‘एसोचैम’ द्वारा घोषित की सूचि के क्षेत्रों में यदि भारत की उत्पादन निर्माण क्षमता बढ़ती है, तो चीन नज़दीकी भविष्य में एक बड़ा मार्केट खो देगा, ऐसा दिख रहा है।

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