पठाणकोट आतंकी हमले के मास्टरमाईंड ‘मसूद अझहर’ को चीन ने सुरक्षा समिति में ‘वेटो’ का इस्तेमाल कर फिर बचाया

नवी दिल्ली, दि. २ (वृत्तसंस्था) – पठाणकोट समेत उरी में हुए आतंकी हमले के पीछे ‘जैश-ए-मोहम्मद’ यह आंतकी संगठन है यह सामने आया है; लेकिन इस आतंकी संगठन का सरगना ‘मौलाना मसूद अझहर’ को चीन ने फिर एक बार बचाया है| संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति की बैठक में ‘अझहर’ के खिलाफ कारवाई का प्रस्ताव पीछले छ: महिनों से रुका हुआ है| तकनीक़ी वजह के कारण चीन ने इस प्रस्ताव को रोका था| इसकी समयसीमा खत्म होने जा रही है कि तभी चीन ने फिर एक बार अपने वेटो अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अगले छ: महीनों के लिए इस प्रस्ताव को रोका है|

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भारत ने की हुई राजनीतिक कोशिशों की वजह से सुरक्षा समिति की बैठक ने, ‘मौलाना मसूद अझहर’ को ‘आतंकी’ घोषित करने की तैयारी की थी| लेकिन तकनीक़ी वजह देते हुए चीन ने मार्च महिने में यह प्रस्ताव रोका था| इसके बाद भारत ने चीन के पास इस संदर्भ में अपनी नाराज़गी जताई थी| लेकिन भारत के निषेध को चीन ने गंभीरता से नहीं लिया था| इस मसले पर भारत के साथ चर्चा करके हल निकाला जायेगा, ऐसा कहते हुए चीन इस संदर्भ में स्पष्टीकरण दिया था| ‘अझहर’ पर कारवाई का प्रस्ताव रोकने के लिए दी गई समयसीमा ३ अक्तूबर को खत्म हो रही है| चीन ने वेटो इस्तेमाल नहीं किया होता, तो अझर को आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘आतंकी’ घोषित करते हुए कार्रवाई करना आसान होता| लेकिन चीन ने फिर से अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए इस आतंकी संगठन के नेता को बचाया|

इस वजह से, अझहर पर की कार्रवाई का प्रस्ताव अगले छह महिने तक टला है| अमरीका, ब्रिटन, फ्रान्स, रशिया इन स्थायी सदस्य देशों ने भारत के सबुतों को सही मानते हुए ‘अझहर’ के खिलाफ के प्रस्ताव को समर्थन दिया था| लेकिन उसके खिलाफ ठोस सबूत नहीं है, ऐसा दावा चीन कर रहा है| इसलिए भारत ने ‘अझहर’ के खिलाफ ‘डॉसिअर्स’ पेश किए| फिर भी इससे चीन की तसल्ली नहीं हो पायी है| इस वजह से, पाकिस्तान में रहते हुए भारत में आतंकी हमले करनेवाले आतंकवादियों का बचाव चीन द्वारा किया जा रहा है, यह फिर एकबार सामने आया है|

मुंबई में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाईंड हफीज सईद, उसका साथीदार झकिउर रेहमान लख्वी और सय्यद सलाहुद्दीन इन आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की कारवाई चीन ने रोकी थी| चीन द्वारा इन आतंकवादियों को समर्थन देने की भूमिका पर भारत ने समय-समय पर ऐतराज़ जताया है| लेकिन भारत के साथ व्यापार में अरबो डॉलर्स का लाभ उठानेवाले चीन ने कभी भी भारत के हितसंबंधो का खयाल नहीं रखा है| मार्च महीने में चीन ने ‘अझहर’ को बचाने के लिए वेटो का इस्तेमाल करने के बाद, भारत ने चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी|
इस बार भी चीन ने ‘अझहर’ को बचाकर भारत को उक़साने की कोशिश की है, ऐसा दिखाई दे रहा है| उरी में आतंकी हमला होने के बाद ‘पीओके’ मे सर्जिकल स्ट्राईक करते हुए उरी हमले का बदला लेनेवाली भारत सरकार इस समय, अझहर को बचानेवाले चीन के संदर्भ में कौनसी नीति अपनाती है, इस पर सभी का ध्यान लगा हुआ है|

भारत ने आक्रामक राजनीतिक मुहीम हाथ में लेते हुए दक्षिण एशिया के साथ साथ, सारी दुनिया में पाकिस्तान को घेरने के प्रयास जारी रखे हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस्लामाबाद में होनेवाली सार्क परिषद रद्द हुई है| पाकिस्तान को घेरने के बाद पाकिस्तान के साथ चीन भी अस्वस्थ हुआ है, ऐसा दिखाई दे रहा है| क्योंकि इस वजह से भारत का राजनीतिक और सामरिक प्रभाव बढ़ रहा है, ऐसा स्पष्ट हुआ है| इसके कारण, भारत के साथ संबंध बिगड़ने का ख़तरा मोल लेते हुए चीन ने ‘अझहर’ को बचाया है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

पिछले कुछ महिनों से चीन ने भारत के खिलाफ़ गतिविधियाँ शुरू की हैं| उनमें परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत को शामील ना करा लेने का फ़ैसला भी शामील है| इसके बाद भारत से तीखी प्रतिक्रिया आई थी| चीन ने भारत के हितसंबंधो का ध्यान रखना चाहिए, ऐसा भारत सरकार ने चीन को बताया था| लेकिन खाली आश्‍वासनों के अलावा भारत को कुछ हासिल नहीं हुआ है| मग़र आनेवाले समय में, चीन की भारतविरोधी नीति को जवाब देने की भारतीयों की माँग और भी तेज़ हो सकती है|

भारत के साथ वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार में भारत को होनेवाले तक़रीबन ५२ अरब डॉलर्स के वित्तीय घाटे का चीन लाभ उठा रहा है| फिर भी भारत के हितसंबंधो को धक्का देनेवाले निर्णय लेनेवाले इस देश को भारत सरकार कडे शब्दों में चेतावनी दें, ऐसी माँग भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया में भी हो रही है| लेकिन भारत सरकार ने आज तक चीन के संदर्भ में सब्र रखने की भूमिका अपनायी है, ऐसा दिखायी दे रहा है|

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