पश्तून नागरिकों के प्रदर्शन से पाकिस्तान को झटका

लाहौर: रविवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर शहर में निकले हुए पश्तू समुदाय के मोर्चे ने पाकिस्तान को नया झटका दिया है। हजारों पश्तून नागरिक अपने समुदाय पर पाकिस्तानी लष्कर एवं राजनीतिक व्यवस्था से हो रहे अन्याय के विरोध में न्याय मांगने के लिए रास्ते पर उतरे थे। इससे पहले भी पाकिस्तान के अन्य शहरों में ऐसे प्रदर्शन हुए थे, पर इस समय हुए प्रदर्शन में पाकिस्तानी लष्कर के विरोध में असंतोष का भड़का दिखाई दिया। पर पाकिस्तान के माध्यम इसके पीछे पाकिस्तान तोड़ने का षड्यंत्र होने का आरोप करके इसके लिए भारत को जिम्मेदार समझ रहे हैं।

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‘यह जो दहशतगर्दी है, इसके पीछे वर्दी है’ ऐसी घोषणा करके पश्तून नागरिकों ने पाकिस्तानी लष्कर ही आतंकवाद फैला रहा है, ऐसी कड़ी टीका की है। पश्तून तहफुझ मूवमेंट पीटीएम द्वारा आयोजित किए इस प्रदर्शन का नेतृत्व मंजूर पश्तिन नामक २६ वर्षीय नौजवान कर रहा है। २००१ वर्ष से पाकिस्तान के लष्कर ने अफगानिस्तान से जुड़े हुए सीमा भाग में पश्तून जनता पर अगणित अत्याचार किए हैं। आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का नाम देते हुए हजारों नौजवानों को कब्जे में लिया जा रहा है। इनका आगे क्या हुआ है? इसकी जानकारी पाकिस्तानी लष्कर ने कभी भी उजागर नहीं की है। अभी भी पाकिस्तानी लष्कर का यह अत्याचार नहीं रुका है, ऐसा आरोप मंजूर पश्तिन ने किया है।

पाकिस्तान के विरोध में इस असंतोष का भड़का हुआ तो पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में पश्तू समुदाय रास्ते पर उतर कर न्याय मांगेंगा, पर पाकिस्तानी माध्यमों ने उसे प्रसिद्धि देने से इंकार किया था। पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर जैसे शहर में हजारों पश्तू रस्ते पर उतरने की बात से पाकिस्तानी लष्कर के साथ माध्यम भी बौखला गए हैं। अब इसके पीछे षड्यंत्र दिखाई देने लगा है और यह पाकिस्तान तोड़ने का षड्यंत्र होने का दावा यह माध्यम करने लगे हैं। तथा इसके पीछे भारत का हाथ होने की भी बात माध्यमों ने कही है। पिछले हफ्ते में पाकिस्तान के लष्कर प्रमुख जनरल बाजवा ने पश्तू नागरिकों के प्रदर्शन पर ध्यान देकर उस से पाकिस्तान को खतरा होने की चिंता व्यक्त की थी। इसका दाखिला पाकिस्तान के माध्यम एवं विश्लेषक दे रहे हैं।

पर मंजूर पश्तिन ने यह आरोप ठुकराए हैं और आजतक पश्तू जनता पर हुए अन्याय से दूसरी तरफ ध्यान केंद्रित करने के लिए यह आरोप किए जा रहे हैं, ऐसा मंजूर का कहना है। १२ मई के रोज कराची में इससे भी अधिक बड़े प्रदर्शन होंगे, ऐसी घोषणा की जा रही है। इसके लिए पाकिस्तान अधिक अस्वस्थ होने के बात दिखाई दे रही है। ऐसी परिस्थिति रही तो पाकिस्तान में एकता रहना संभव नहीं है, ऐसी चिंता कई विश्लेषकों ने व्यक्ति है। तथा पाकिस्तान का लष्कर अपनी गलती मानकर सुधारने का प्रयत्न करें और अपने कब्जे में लिए ३००० नौजवानों का क्या हुआ है, यह घोषित करें ऐसी सलाह कई विश्लेषक दे रहे हैं।

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