पॅलेस्टिनी राजदूत हाफिज़ सईद की सभा मे शामिल; भारत के निषेध के बाद पॅलेस्टाइन की कारवाई

नई दिल्ली: अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने जेरूसलेम को इस्रायल की राजधानी घोषित करने के बाद, संयुक्त राष्ट्रसंघ में इस के विरोध में प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। भारत ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था। अमरिका एवं इस्रायल से उत्तम संबंध होते हुए भी भारत ने पॅलेस्टाइन के पक्ष से मतदान करके अपनी विदेश नीति स्वतंत्र होने की बात सारी दुनिया को दिखाई देने का दावा, विशेषज्ञों से किया जा रहा है। उसके बाद पॅलेस्टाइन के पाकिस्तान मे स्थित राजदूत २६/११ के मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद इस के साथ एक सभा में शामिल होने की बात सामने आई थी। इस पर भारत से तीव्र प्रतिक्रिया आयी है।

पॅलेस्टाइन

शुक्रवार को पॅलेस्टाइन के रावलपिंडी में हुए एक रैली में, पाकिस्तान में पॅलेस्टाइन के राजदूत हाफिज़ सईद के साथ शामिल हुए थे। सईद ने स्थापित किए दिफ़ा-ए-पाकिस्तान नामक संगठन द्वारा यह सभा आयोजित की गई थी। हाफिज़ सईद इस संगठन के संस्थापक में से एक होकर, यह संघटना कट्टर भारत विरोधी है। ऐसा होते हुए पॅलेस्टिनी राजदूत वालिद अबू अली इस संगठन के कार्यक्रम में शामिल हुए। इतना ही नहीं, वह व्यास पीठ पर हाफिज़ सईद के बगल में बैठे थे। इस सभा में हाफिज़ सईद ने हमेशा की तरह भारत के विरोध में बकबक कर के कश्मीर का प्रश्न उपस्थित किया था। तथा इस सभा में वालिद अबू अली इनका भाषण भी हुआ है।

पॅलेस्टिनी राजदूत के उपस्थिति पर भारत ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है और इस पर पॅलेस्टाइन को निषेध जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस संदर्भ में माध्यम से बोलते हुए भारत की कडी भूमिका स्पष्ट की है। पॅलेस्टाइन को इस मामले में खुलासा मांगा जाएगा, ऐसा रवीश कुमार ने कहा है। भारत के इस निषेध पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पॅलेस्टाइन के सरकार ने राजदूत वालिद अबू अली को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। इस घटना पर खेद व्यक्त कर के भारत में स्थित पॅलेस्टाइन के राजदूत अदनान अबू अल हैजा ने भारत यह इस पॅलेस्टाइन का निकटतम मित्र होने की बात कही है।

पॅलेस्टाइन के पाकिस्तान में स्थित राजदूत की इस सभा में उपस्थिती मानी जाएगी यह भी अदनान अबू अल हैजा ने मंजूर किया है।

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