पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजनीतिक संकट से बाल बाल बचे

इस्लामाबाद, दि. २० : भ्रष्टाचार का इल्ज़ाम रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ पर आनेवाले राजनीतिक संकट से वे बाल बाल बच गये हैं| ‘भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को पद छोडने का आदेश देने के ठोस सबूत नहीं हैं’ ऐसी राय पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायायल ने दर्ज़ की| लेकिन इस मामले में जाँच की ज़रूरत बताकर, न्यायालय ने संयुक्त जाँच पथक को प्रधानमंत्री शरीफ और उनके परिजनों की जाँच के आदेश देते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को दबाव के अन्तर्गत रखा गया है|

राजनीतिक संकटटैक्स से बचने के लिए मध्य अमरीका के पनामा देश में बनावट कंपनियों का निर्माण करनेवालों के नाम ‘कॉन्सोर्टियम ऑफ इनव्हेस्टिगेशन जर्नलिस्टस्’ यह संस्था पिछले साल सामने लायी थी| इस ‘पनामा लीक’ में प्रधानमंत्री शरीफ और उनके बच्चों के नाम थे| सन १९९० में पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीपद पर रहते शरीफ ने लंडन में मकान खरीदा था, यह भी सामने आया था|

‘पनामा लीक’ के बाद पाकिस्तान में शरीफ के खिलाफ विपक्षियों ने ज़ोर से मुहिम शुरू की थी| पूर्व क्रिकेटर और ‘पाकिस्तान तेहरिक-ए-इन्साफ’ पार्टी के लीडर इम्रान खान ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ज़ोरदार प्रदर्शने किये थे| इम्रान खान समेत कई विरोधी पार्टियों के लीडर्स ने प्रधानमंत्री शरीफ पर भ्रष्टाचार का इल्ज़ाम लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखल की थी| इनमें, शरीफ पर पैशों के अवैध हस्तांतरण के इल्ज़ाम का समावेश होकर, संविधान के अनुसार शरीफ को पदच्युत करें, ऐसी माँग इम्रान खान और उनकी पार्टी ने की थी|

पिछले साल नवंबर महीने में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई इस साल २३ फरवरी को ख़त्म हो गयी थी| गुरुवार के दिन २० अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय के पाँच सदस्यीय खंडपीठ की ओर से नतीजा आनेवाला था| इस नतीजे पर सभी का ध्यान लगा था| राजधानी इस्लामाबाद में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी|

सर्वोच्च न्यायालय के खंडपीठ के पाँच जजों में से तीन जजों ने, ‘शरीफ के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं’ ऐसी राय दर्ज़ की; वहीं, दो जजों ने, ‘शरीफ को हटा दिया जाये’ ऐसी भूमिका अपनायी थी| ‘ठोस सबूत नहीं है’ इस पक्ष में बहुमत होने के कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इस संकट से बाल बाल बचे|

लेकिन जाँच में यदि प्रधानमंत्री शरीफ के खिलाफ़ महत्त्वपूर्ण सबूत सामने आयें और वे कोर्ट में साबित हुए, तो शरीफ को इस्तिफा देना पड़ेगा| इससे पाकिस्तान में बड़ा राजकीय तनाव निर्माण होने की संभावना है| इस मामले में संयुक्त जाँच पथक बनाने के और प्रधानमंत्री शरीफ और उनके दोनों बच्चो हसन और हुसेन इनकी जाँच के आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिए| ६० दिनों में यह जाँच रिपोर्ट देने के आदेश न्यायालय ने दिये हैं| इस रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री शरीफ का भविष्य निर्भर है|
शरीफ-समर्थकों ने न्यायालय के फैसले के बाद जल्लोष किया| ‘यह बड़ी जीत होकर ६० दिनों की जाँच में कुछ भी हासिल नहीं होगा| शरीफ सरकार अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे और बाद में फिर से जीतकर आयेंगे’ ऐसे पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा असिफ ने नतीजे के बाद कहा है|

न्यायालय का नतीजा हालाँकि शरीफ को सुक़ून देनेवाला हे, मग़र फिर भी विरोधी पार्टियाँ आक्रामक हुई हैं| उन्होंने शरीफ के इस्तिफे की माँग करते हुए कोर्ट के इस फैसले पर आलोचना की है|

‘न्यायालय ने शरीफ को पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं किया है| अत: नैतिकता के आधार पर शरीफ इस्तिफा दें’ ऐसे इमरान खान ने कहा है| पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष और ‘पाकिस्तान पिपल्स पार्टी’ के लीडर आसिफ झरदारी ने न्यायालय के फैसले की आलोचना की है| ‘इस फैसले से पाकिस्तान के लोकतंत्र का नुकसान हुआ होकर, न्यायव्यवस्था को झटका लगा है’ ऐसी प्रतिक्रिया झरदारी ने दी है| साथ ही, नवाझ शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान रहते संयुक्त जाँच पथक की जाँच निष्पक्ष नहीं होगी, ऐसा डर उन्होंने जताया|

‘पीपीपी’ के ऐतझाज हसन ने, न्यायालय के इस फैसले से शरीफ के बचाव की राह खुली हुई है, ऐसी आलोचना की है|

इस दौरान, शरीफ को इस मामले की जाँच में दोषी क़रार दिया गया, तो उन्हें प्रधानमंत्रीपद छोड़ना पड़ेगा| पाकिस्तान के संविधान में ऐसा प्रावधान होकर, इसी कारणवश इससे पहले युसूफ रझा गिलानी को प्रधानमंत्रीपद छोड़ना पड़ा था| वैसा हुआ, तो पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता निर्माण होगी, ऐसी संभावना जतायी जाती है| नवाझ शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लीम लिग’ (एन) में दो गुट पड गये हैं, ऐसा कहा जाता है| एक गुट, मध्यावधि चुनाव लेने की सलाह दे रहा है|

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