शांति पर व्याख्यान देने से पहले पाकिस्तान आतंकवाद को रोकें – पंजाब के मुख्यमंत्री कॅप्टन अमरिंदर सिंग

चंदिगड – ‘पाकिस्तान यदि भारत के साथ वाकई शांति स्थापित करना चाहता है, तो पाकिस्तान को पहले भारत की सीमा में घुसपैठ और आतंकवाद को रोकना होगा। भूतकाल के मतभेद को मिटाने का आवाहन करके शांति पर व्याख्यान देनेवाले पाकिस्तान के लष्करप्रमुख ने, पहले इसके लिए ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। वैसा किए बगैर भारत पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर सकता और पाकिस्तान विषयक कठोर भूमिका सौम्य नहीं की जा सकती’, ऐसा पंजाब के मुख्यमंत्री कॅप्टन अमरिंदर सिंग ने जताया है।

पाकिस्तान से सीमा सटे हुए हमारे पंजाब राज्य में पाकिस्तान हर दो दिन बाद ड्रोन्स के जरिए हथियार और हेरोइन की तस्करी कर रहा है। पाकिस्तान पंजाब में अशांति मचाने की कोशिश कर रहा है और दूसरी ओर वह शांति की भाषा बोल रहा है, इस पाखंड की ओर पंजाब के मुख्यमंत्री ने सटीकता से निर्देश किया। साथ ही, जब वे लष्करी सेवा में थे, तब पाकिस्तान सीमा पर गोलीबारी करके भारतीय सैनिकों की जान ले रहा था और आज भी यह सिलसिला रुका नहीं है, इस पर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंग ने गौर फरमाया।

जनरल बाजवा भारत के विरोध में कारनामे करने वाले आयएसआय को ये कारनामे रोकने के आदेश दें, ऐसा कॅप्टन अमरिंदर सिंग ने कहा। साथ ही, जनरल बाजवा के इस प्रस्ताव को क्या पाकिस्तानी लष्कर के सभी घटकों का समर्थन है? ऐसा सवाल कॅप्टन अमरिंदर सिंग ने किया। साथ ही, पाकिस्तान पहले चीन को यह दृढ़तापूर्वक कहें कि एलएसी पर की भारतविरोधी हरकतों के लिए हम तुम्हारा साथ नहीं देंगे। उसके बगैर भारत पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर सकता, ऐसे शब्दों में अमरिंदर सिंग ने पाकिस्तान को फटकार लगाई।

भारत हमेशा ही शांति के लिए प्रयास करता आया है और भारत में शांति स्थापित करने पर हमेशा ही एकमत होता है। लेकिन शांति के लिए भारत अपनी सुरक्षा और अखंडता के साथ समझौता नहीं कर सकता। शांति सशर्त नहीं हो सकती। पाकिस्तान द्वारा किया जाने वाला आतंकवाद का इस्तेमाल, यही दोनों देशों में शांति स्थापित करने में सबसे बड़ा रोड़ा है। शांति स्थापित करने के लिए क्या पाकिस्तान आतंकवादियों को होनेवाला समर्थन हटाने के लिए तैयार होगा? ऐसा करारा ताना अमरिंदर सिंग ने मारा है।

पाकिस्तान में सुरक्षाविषयक परिचर्चा में बात करते समय प्रधानमंत्री इम्रान खान और उसके बाद लष्करप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत को चर्चा का प्रस्ताव दिया था। भूतकाल के मतभेद मिटाकर भविष्य की दिशा में मार्गक्रमणा करने की सलाह जनरल बाजवा ने भारत को दी है। लेकिन वैसा करने के लिए कश्मीर मसले का हल होना आवश्यक है, ऐसी शर्त पाकिस्तान के लष्करप्रमुख ने रखी है। भारत ने कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा ३७० फिर से लागू किए बगैर भारत से चर्चा संभव नहीं, ऐसा पाकिस्तान की सरकार डटकर कह रही थी। लेकिन अब पाकिस्तान की सरकार और लष्कर ने अपनी भूमिका में बदलाव किया होकर, यह देश भारत के पास लगातार चर्चा की माँग कर रहा है। चर्चा के लिए धारा ३७० हटाने का फैसला रद करने की शर्त पाकिस्तान ने हटाई है। यह बदलाव पाकिस्तान में कईयों को रास नहीं आया है। लेकिन उसके पीछे इस देश की गहरी चाल दिखाई दे रही है।

अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन भारत के दौरे पर आने का मौका देखकर ही पाकिस्तान ने भारत को यह शांति का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव यदि भारत ठुकराता है, तो यह आरोप करना पाकिस्तान के लिए संभव होगा कि पाकिस्तान शांति के लिए कोशिश कर रहा है और भारत युद्ध खोरी कर रहा है। इस कारण, यह प्रस्ताव देकर पाकिस्तान अमरीका के प्रशासन को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, ऐसी गहरी संभावना सामने आ रही है। उसी समय, एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में जाने के डर से फिलहाल पाकिस्तान ग्रस्त हुआ है। आनेवाले कुछ महीनों में इस बारे में फैसला होगा। उससे पहले भारत के साथ चर्चा करके पाकिस्तान अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने की जानतोड़ कोशिश कर रहा है।

भारत चर्चा करें इसलिए पाकिस्तान ने, मध्य एशियाई देशों के साथ के भारत के व्यापार के लिए, भारत को मार्ग देने की तैयारी भी दर्शाई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर अधिकृत पर प्रतिक्रिया दर्ज नहीं की है। लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर इस देश को आईना दिखाया हुआ दिख रहा है।

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