पाकिस्तान अभी भी तालिबान को सहायता प्रदान कर रहा है – पेंटॅगॉन की रिपोर्ट

वॉशिंग्टन – अफ़गानिस्तान में शांति प्रक्रिया को पाकिस्तान ने पूरा समर्थन घोषित किया है। साथ ही, इस शांति प्रक्रिया के लिए हमने सक्रिय भूमिका निभाई है, यह कहकर पाकिस्तान खुद की ही पीठ थपथपा रहा है। पर असल में पाकिस्तान अभी भी, अफ़गानिस्तान में खूनखराबा कर रहे तालिबान को सहयोग प्रदान कर रहा है, इस जानकारी की रिपोर्ट अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने जारी की है। अमरीका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के बाद यह रिपोर्ट जारी हुई है। इस वज़ह से, अफ़गानिस्तान में पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद को समर्थन देने की ही भूमिका अपना रहा है और अफ़गानिस्तान में भारत का प्रभाव कम करने का केवल एकमात्र कार्यक्रम चलाता हुआ दिखाई दे रहा है।

इस वर्ष जनवरी महीने से मार्च महीने तक की अवधि से संबंधित यह सुरक्षाविषयक रिपोर्ट पेंटॅगॉन ने जारी की है। इसमें अफ़गानिस्तान में बनी स्थिति की जानकारी साझा की गई है और पाकिस्तान अभी भी अफ़गानिस्तान में स्थित तालिबान की सहायता कर रहा है, यह आरोप इस रिपोर्ट में रखा गया है। ख़ासकर, तालिबान में सबसे ताकतवर समझे जानेवाले हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान पहले जैसी ही सहायता प्रदान कर रहा है, यह बात इस रिपोर्ट में दर्ज़ की गई है। अमरीका ने तालिबान के साथ शांति समझौता करने के बाद भी, पाकिस्तान तालिबान पर होनेवाला अपना प्रभाव अफ़गानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए इस्तेमाल करने को तैयार नहीं है। बल्कि अफ़गान सरकार और भारत के अफ़गानिस्तान में बनें हितसंबंधों के विरोध में तालिबान का इस्तेमाल करने की पाकिस्तान जानतोड़ कोशिश कर रहा है, यह बात पेंटॅगॉन की इस रिपोर्ट में स्पष्ट की गई हैं।

अफ़गानिस्तान के पुनरुत्थान के लिए भारत ने वहाँ की विकास परियोजनाओं में दो अरब डॉलर्स से भी अधिक निवेश किया है। अफ़गान संसद की इमारत का निर्माण भी भारत ने किया है। अफ़गानिस्तान में भारत कर रहें सकारात्मक योगदान की विश्‍वभर में सराहना हो रही है और इस वज़ह से अफ़गानिस्तान में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है। अफ़गानिस्तान में जनतंत्र और भारत का प्रभाव ये बातें अपने लिए घातक हैं, ऐसा पाकिस्तान को लग रहा है। इसी वज़ह से पाकिस्तान लगातार अफ़गानिस्तान में भारत के हितसंबंधों को लगातार लक्ष्य करने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए पाकिस्तान ने तालिबान का इस्तेमाल किया था।

इससे पहले अफ़गानिस्तान में स्थित भारतीय दूतावासों पर हुए आतंकी हमलें, अफ़गानिस्तान में कार्यरत भारतीय कर्मचारियों के हुए अपहरण के पीछे तालिबान का हक्कानी नेटवर्क गुट होने की बात स्पष्ट हुई थी। पाकिस्तान का कुख्यात गुप्तचर संगठन आयएसआय ही हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों के ज़रिये यह सब करवा रहा है, यह भी स्पष्ट हुआ था। अमरीका ने तालिबान के साथ शांति समझौता करके अफ़गानिस्तान में शांति प्रक्रिया गतिमान करने के बाद भी पाकिस्तान की इस घातक भूमिका में बदलाव नहीं हुआ है। पेंटॅगॉन की रिपोर्ट से यह बात फिर से दुनिया के सामने आ चुकी है।

ऊपरि तौर पर तो अफ़गानिस्तान की शांति प्रक्रिया का पाकिस्तान समर्थन कर रहा है, लेकिन वास्तव में ऐसा दिख रहा है कि यही देश अफ़गानिस्तान में अशांति एवं अस्थिरता फैलाने की कोशिश में है। भारत ठेंठ तालिबान से बातचीत करके अफ़गानिस्तान की शांति प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएँ, ऐसी सलाह अमरिकी विशेषदूत झल्मे खलिलझाद ने दी थी। अमरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण एवं मध्य एशिया विभाग की उपमंत्री एलिस वेल्स ने भी भारत को, तालिबान से बातचीत करने की सलाह दी है और यह सलाह माननी है या नहीं, यह भारत को तय करना है, यह भी उन्होंने कहा है। लेकिन, तालिबान पर होनेवाले पाकिस्तान के प्रभाव पर गौर करें, तो भारत-तालिबान बातचीत कितने हद तक सफल होगी, ऐसा नया सवाल पेंटॅगॉन के इस रिपोर्ट ने उपस्थित हुआ है।

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