पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष को कर्ज के लिए याचना

वाशिंगटन/इस्लामाबाद – डूबती हुए वित्त व्यवस्था सवारने के लिए पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास ९ अरब डॉलर्स की मांग की है| पर यह कर्ज सहायता प्रदान करने के लिए मुद्राकोष ने पाकिस्तान के सामने कड़ी शर्तें रखी है| जिसमें पाकिस्तान के रुपए का अवमूल्यन करने की प्रमुख शर्त का समावेश है| इसके साथ पाकिस्तान चीन के सीपीईसी प्रकल्प के लिए कर्ज की जानकारी उजागर करें, मुद्राकोष ने ऐसी भी शर्त रखने की बात सामने आ रही है| इन दोनों शर्तों को मंजूर करने के अलावा पाकिस्तान की नई सरकार के सामने अन्य कोई विकल्प शेष नहीं है| इसका बहुत बड़ा राजनीतिक झटका इम्रान खान इनकी सरकार को लग सकता है|

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पाकिस्तान की तिजोरी में केवल दो महीनें पर्याप्त विदेशी जमापूंजी बाकी है| इस समय में पाकिस्तान की वित्त व्यवस्था बचाने के लिए तत्काल कर्ज की व्यवस्था करने पर विवश होकर, पाकिस्तान को यह कर्ज प्रदान करने से पहले मुद्राकोष ने अपने प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तान को रवाना करने का निर्णय लिया है| तथा मुद्राकोष से पाकिस्तान को आर्थिक अनुशासन का पालन करने की शर्त डाली गई है| अमरीकन डॉलर के पीछे १३३ रूपये इतने मूल्य होनेवाले पाकिस्तान के चलन का अवमूल्यन करके वह १४५ से १५० पर लाने की मांग मुद्राकोष ने की ऐसी चर्चा पाकिस्तान में है| अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान में महंगाई बढ़ सकती है| पाकिस्तान को उज्वल भविष्य का सपना दिखाने वाले प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार को इससे बहुत बड़ा राजनीतिक झटका लग सकता है|

उनके साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के प्रमुख मौरिस ऑब्सटीफेल्ड ने सीपीईसी प्रकल्प के लिए पाकिस्तान ने चीन से लिए कर्ज की सारी जानकारी उजागर करने की मांग की थी| इस प्रकार द्वारा चीन पाकिस्तान में लगभग ६० अरब डॉलर्स के निवेश कर रहा है और जिसकी वजह से पाकिस्तान समृद्ध बनेगा ऐसे सपने दिखाए जा रहे हैं| पर यह निवेश न होकर इसमें बड़ी तादाद में चीन ने बढ़ते ब्याज दामों से दिए कर्ज़ का समावेश होने की चेतावनी पाकिस्तान की कई विश्लेषकों ने दी थी| साथ ही यह बात पाकिस्तान के माध्यम एवं जनता से छुपाई जा रही है, ऐसा भी विश्लेषकों ने सूचित किया था| यह सारी जानकारी मुद्राकोष की मांग की वजह से उजागर हुई तो पाकिस्तान में बड़ी उथल-पुथल हो सकती है| इसका एहसास होने वाले प्रधानमंत्री इम्रान खान ने सीपीईसी का भाग होने वाले कई प्रकल्प वापस लिए है|

तथा सीपीईसी प्रकल्प पर नए समझौते करने के संकेत प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार से दिए जा रहे हैं| इस पर चीन से प्रतिक्रिया उमड़ रही है और चीन ने नए समझौते करने से इन्कार किया है| जिसकी वजह से मुद्राकोष की अत्यावश्यक सहायता या सीपीईसी प्रकल्प में से एक को चुनने का समय पाकिस्तान पर आया है|

चीन के कर्ज की वजह से पाकिस्तान पर संकट आएगा अमरीका से चेतावनी

पाकिस्तान ने चीन से स्वीकारे हुए कर्ज के कारण से इस देश पर आर्थिक संकट ओढ़ने की बात अमरीका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर न्यूअर्ट ने कही है| अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष पाकिस्तान को कर्ज सहायता करेगा क्या? पत्रकारों ने पूछे हुए इस प्रश्न का उत्तर देते हुए न्यूअर्ट ने यह टिप्पणी की है| अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के निर्णय प्रक्रिया पर अमरीका का वर्चस्व है| अमरीका द्वारा संमति देने तक पाकिस्तान को मुद्राकोष से कर्ज मिलना संभव नहीं है|

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पाकिस्तान की नई सरकार इसके लिए चीन, सऊदी अरेबिया और खाड़ी क्षेत्र में अन्य मित्र देशों को याचना कर रही है| पर इन प्रयत्नों को प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है| ऐसी परिस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास जाने के अलावा पाकिस्तान के सामने कोई विकल्प नहीं है| इंडोनेशिया के बाली में पाकिस्तान के वित्तमंत्री अस्सद उमर एवं मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड इन की भेंट हुई है| उस समय पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने ९ अरब डॉलर्स के सहायता की मांग की है|

इस बारे में बोलते हुए अमरीका पाकिस्तान पर फिलहाल होने वाले कर्ज के बारे में सोचकर फैसला लेगा, ऐसा न्यूअर्ट ने स्पष्ट किया है| अमरीका के विदेश मंत्रालय से यह दावा किया जा रहा है और फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ)के पथक ने पाकिस्तान आतंकवादियों का आर्थिक स्रोत खंडित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई नहीं की है, ऐसी टिप्पणी की है|

जिसकी वजह से फिलहाल एफएटीएफके ग्रे लिस्ट में होने वाले पाकिस्तान का समावेश काले सूची में हो सकता है| वैसा होने पर पाकिस्तान को मुद्राकोष एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्त संस्था से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाएगी| इसलिए अमरीका से पाकिस्तान के कर्ज के बारे में किए जाने वाले इन विचारों का महत्व बढ़ रहा है|

 

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