‘एफएटीएफ’ की ‘ब्लैक लिस्ट’ से बचने के लिए पाकिस्तान ने लगाई मित्रदेशों की ओर दौड़

इस्लामाबाद – आतंकियों को हो रही फंडिंग रोकने के साथ आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हुआ पाकिस्तान अब ‘फायनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ‘ब्लैक लिस्ट’ में शामिल होगा, यह तय समझा जा रहा है। इस ‘ब्लैक लिस्ट’ से बचने के लिए पाकिस्तान ने अपने मित्रदेशों की ओर दौड़ लगाई है। विदेशमंत्री शाह मेहमूद कुरेशी ने तुर्की, मलेशिया, सौदी अरब के विदेशमंत्रियों से संपर्क करके पाकिस्तान को बचाने लिए बड़ी बेबसी के साथ बिनती करने की खबरें पाकिस्तानी माध्यम जारी कर रहे हैं। साथ ही इम्रान खान की सरकार की विदेश नीति पर भी पाकिस्तान में आलोचना हो रही है।

FATF‘एफएटीएफ’ ने तय किए ४० में से सिर्फ दो मुद्दों पर अमल करने में पाकिस्तान कामयाब हुआ है, यह टिप्पणी इस अंतरराष्ट्रीय संगठन से संबंधित ‘एशिया पैसिफिक ग्रुप’ (एपीजी) ने की थी। साथ ही ‘एफएटीएफ’ की बैठक में जब तक निर्णय नहीं होता तब तक ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रहनेवाले पाकिस्तान को ‘एन्हान्स्ड फॉलो अप’ में शामिल करने की बात ‘एपीजी’ ने स्पष्ट की है। ‘एपीजी’ की यह रपट यानी ‘एफएटीएफ’ की कार्रवाई को न्यौता देनेवाला होने का दावा किया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान ने अमरीका की एक कंपनी के ज़रिये ‘लॉबिंग’ करके ‘एफएटीएफ’ के देशों पर प्रभाव डालने की योजना बनाई थी। अमरीका के साथ जुड़े देशों के गुट को प्रभावित करके ‘एफएटीएफ’ की कार्रवाई से बचने की साज़िश पाकिस्तान ने रची थी।

पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह मेहमूद कुरेशी ने माध्यमों ने दिए साक्षात्कार में पाकिस्तान ‘ब्लैक लिस्ट’ नहीं होगा, यह बात ड़टकर कही थी। लेकिन, पाकिस्तान में मौजूद माध्यमों ने ही साझा की हुई जानकारी के अनुसार विदेशमंत्री कुरेशी बीते दो दिनों में मित्रदेशों को फोन करके ‘ब्लैक लिस्ट’ होने से पाकिस्तान को बचाएं, ऐसे गिड़गिड़ा रहे हैं। २१ से २३ अक्तुबर के दौरान फ्रान्स की राजधानी पैरिस में ‘एफएटीएफ’ की बैठक होनी है। इस बैठक में कुरेशी वर्चुअली मौजूद रहेंगे और चीन, तुर्की, मलेशिया पाकिस्तान के समर्थन में वोट करने की संभावना है। तभी पाकिस्तान पर नाराज़ हुआ सौदी इस बैठक में पुख्ता कौनसी भूमिका अपनाता है, इस ओर सभी की नज़रें रहेंगी।

Shah-Mahmoodचीन के नकाराधिकार की वजह से पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्ट’ होने से बचाया जा सकता है, यह बात भी चर्चा में है। फिर भी पाकिस्तान पर लटक रही ‘एफएटीएफ’ की तलवार अभी दूर नहीं हुई है। इसके अलावा पाकिस्तान ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ में कायम रहेगा, यह बात तय है। ऐसा हुआ तो भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर अधिक दबाव बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तानी जनता को ‘नए पाकिस्तान’ का सपना दिखानेवाले इम्रान खान की सरकार के विरोध में बनी नाराज़गी काफी मात्रा में बढ़ी है।

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