आर्थिक वर्ष २०१८-१९ में पाकिस्तान को चीन से ६.५ अरब डॉलर्स का ऋण प्राप्त – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के दबाव में पाकिस्तान ने स्वीकार किया

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरइस्लामाबाद/बीजिंग – अंतिम सांस लेने की कगार पर खडी अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष’ से ‘बेलआउट’ प्राप्त कर रहे पाकिस्तान ने कई अपमानकारक शर्थे स्वीकारी की है, यह जानकारी सामने आ रही है| इन्हीं शर्थों के सामने गर्दन झुकाकर पाकिस्तान ने २०१८-१९ के आर्थिक वर्ष में चीन से प्राप्त किए कर्ज की जानकारी भी घोषित की है| इसके नुसार सिर्फ वर्ष में ही पाकिस्तान सरकार ने चीन से ६.५ अरब डॉलर्स का कर्ज उठाने की बात सामने आ चुकी है| चीन के अलावा पाकिस्तान ने सौदी अरब और यूएई से भी कर्ज उठाया था|

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान इन्होंने पद संभालने के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए कदम उठाने का वादा किया था| लेकिन, असल में पिछले महीने में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अधिक से अधिक संकट में गिरने की बात स्पष्ट होने लगी है| यह गिरावट रोकने के लिए पाकिस्तान के पास अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कर्ज प्राप्त करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नही रहा| इस वजह से प्रधानमंत्री इम्रान खान लगातार मित्रदेशों की यात्रा कर रहे है और पाकिस्तान को कर्ज देने की भीख मांग रहे है, ऐसे समाचार प्रसिद्ध हो रहे है|

लेकिन, मित्रदेशों से कर्ज लेकर भी अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट होने से प्रधानमंत्री इम्रान खान को आखिरकार ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष’ के सामने हाथ फैलाने की नौबत का सामना करना पडा है| इसके पहले के पाकिस्तानी हुकूमतों ने मुद्राकोष से कर्ज उठाने पर इम्रान खान ने कडी आलोचना करके हम कभी भी मुद्राकोष के सामने सहयता मांगने नही जाएंगे, यह ऐलान किया था| लेकिन, खुद ने किए वादे पिछे छोडकर इम्रान खान की सरकार ने मुद्राकोष से छह अरब डॉलर्स का पैकेज प्राप्त किया है|

मुद्राकोष ने बेलआउट पैकेज देने के साथ ही कई कडी शर्थे भी रखी है| इसमें मुद्राकोष से प्राप्त आर्थिक सहायता का इस्तेमाल अन्य देशों से लिया कर्जा चुकाने के लिए ना करने की प्रमुख शर्थ है| साथ ही पाकिस्तान ने पिछले वर्ष से कौन कौन से देशों से कितना कर्ज उठाया है, यह जानकारी भी पाकिस्तान घोषित करे, यह मांग मुद्राकोष ने रखी थी| लेकिन, चीन से लिए कर्ज की जानकारी देने से बचने की कोशिश पाकिस्तान कर रहा था|

पाकिस्तान के इस रवैये के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाकर मुद्राकोष ने आर्थिक सहायता ना करने की चेतावनी भी दी| इसके आगे झुककर आखिरकार पाकिस्तान ने चीन से प्राप्त किए कर्ज की जानकारी घोषित की है| पाकिस्तान ने कराची में परमाणु उर्जा केंद्र के साथ चीन की ‘सेफ डिपोजिट’ प्लैन के तहेत लगभग ६.५ अरब डॉलर्स का कर्जा लिया है| इसके पहले पाकिस्तान ने चीन के ‘सेफ डिपोजिट’ की रकम देश का विदेशी पुंजी भंडार दिखाने की कोशिश की थी|

लेकिन, मुद्राकोष के दबाव के कारण पाकिस्तान का यह झूट उजागर हुआ है| चीन से प्राप्त किए बडे कर्ज का आंकडा जनता के सामने आने से प्रधानमंत्री इम्रान खान पर जोरों से आलोचना होने की संभावना है और आर्थिक स्तर पर भी सरकार को कडी समस्याओं का सामना करना होगा, यह संकेत दिए जा रहे है|

चीन ने ‘पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ परियोजना के तहेत पाकिस्तान में करीबन ६० अरब डॉलर्स का निवेश किया है और इसमें से अधिकांश निवेश कर्ज के स्वरूप में होने का दावा किया जा रहा है|

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