पाकिस्तानी लष्कर प्रमुख से भारत को चेतावनी

रावलपिंडी: अपनी सीमा पर गिरे हुए खुन का बदला लेने के लिए पाकिस्तान का लष्कर तैयार है, ऐसा घोषित करके पाकिस्तान के लष्कर प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत को चेतावनी दी है। उस समय भारत के विरोध में लड़नेवाले कश्मीर के जनता को पाकिस्तान की सेना सैल्यूट कर रही हैं, ऐसा भी जनरल बाजवा ने आगे कहा है। पाकिस्तानी लष्कर के रावलपिंडी के मुख्यालय में आयोजित किए एक कार्यक्रम में जनरल बाजवा ने यह चेतावनी घोषित कि हैं। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शामिल हुए थे।

पाकिस्तानी, लष्कर प्रमुख, जनरल कमर जावेद बाजवा, भारत, चेतावनी, रावलपिंडी, न्यूयॉर्क टाइम्स२ दिनों पहले अमरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स इस वर्तमान पत्र में पाकिस्तान के लष्कर प्रमुख के बारे में एक खबर छपकर आई थी। पाकिस्तान में होने वाले चुनाव से पहले लष्कर प्रमुख जनरल बाजवा ने भारतीय लष्कर प्रमुख से संपर्क करने का प्रयत्न किया था। भारतीय लष्कर प्रमुख ने इन प्रश्नों को प्रतिक्रिया नहीं दी थी, ऐसा वर्तमानपत्र के खबर में सूचित किया गया था। यह जानकारी उजागर होने के बाद जनरल बाजवा अस्वस्थ हुए हैं और उसी में उन्होंने भारत के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए यह चेतावनीखोर विधान करने की बात दिखाई दे रही है।

१९६५ वर्ष के युद्ध में चाविंडा में भारतीय सेना ने ये हमले का पाकिस्तानी लष्कर ने सफलतापूर्वक प्रतिकार किया था, ऐसा दावा इस देश के लष्कर आज तक करता आ रहा हैं। प्रतिवर्ष ६ सितंबर के रोज पाकिस्तान अपना यह तथाकथित विजय मनाता है। इस निमित्त से पाकिस्तानी लष्कर के रावलपिंडी के मुख्यालय में आयोजित किए गए कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल बाजवा ने भारत के विरोध में जहरीले विधान किए हैं। १९६५ और १९७१ वर्ष के युद्ध में पाकिस्तानी लष्कर बहुत कुछ सीखने का दावा उस समय जनरल बाजवा ने किया है। आने वाले समय में आर्थिक संकट होकर भी पाकिस्तान परमाणु शस्त्र सज्ज बना है, ऐसा कहकर जनरल बाजवा ने उस पर समाधान व्यक्त किया है।

यह सारे दावे करते समय पाकिस्तान के लष्कर प्रमुख ने कश्मीर का मुद्दा भी उपस्थित किया। कश्मीर की जनता भारत से धैर्य से लड़ रही है, ऐसा कहकर उसके लिए पाकिस्तान की लष्कर कश्मीर की जनता को सैल्यूट करने की बात बाजवा ने कही है। साथ ही हम पाकिस्तान की सीमा पर गिरे हुए खून का हिसाब चुकता करेंगे, ऐसी धमकी जनरल बाजवा ने उस समय की है। उनके इस धमकी को किसी ने विशेष महत्व नहीं दिया है, फिर भी इस समारंभ में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान भी उपस्थित थे, यह महत्वपूर्ण बात है। इसकी वजह से पाकिस्तान के नए सरकार की धारणा अलग नहीं होगी, ऐसा स्पष्ट दिखाई देने लगा है। पाकिस्तान आगे चलकर दूसरे देशों के युद्ध में शामिल नहीं होगा, ऐसी गवाही प्रधानमंत्री इम्रान खान ने इस निमित्त से दी है।

दूसरे शब्दों में पाकिस्तान आगे चलकर अफगानिस्तान में अमरिका के आतंकवाद विरोधी युद्ध में शामिल नहीं होगा एवं सहयोग भी नहीं करेगा ऐसा इम्रान खान सुझा रहे हैं। इस पर अमरिका से प्रतिक्रिया उमड़ सकती है। पहले ही अमरिका ने पाकिस्तान को दि जा रही लष्करी सहायता रोकी है। तथा आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए इंकार करनेवाले पाकिस्तान पर ‘फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स’ की कड़ी कार्रवाई आनेवाले कई महीनों में अपेक्षित होकर इसके लिए अमरिका आक्रामक गतिविधिया कर रहा हैं। इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान की नई सरकार को पारंपारिक लष्कर समर्थक भूमिका छोड़ देनी ही होगी, ऐसे चेतावनी दि जा रही हैं। पर फिर हाल में इम्रान खान की सरकार यह बात मंजूर करने के लिए तैयार न होने के संकेत देती दिखाई दे रही हैं।

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