आतंकवाद के मुद्दे पर ‘सार्क’ में पाकिस्तान एकाकी

नई दिल्ली, दि. २२ (वृत्तसंस्था) – ‘सार्क’ देशों की, आतंकवाद के खिलाफ चलनेवाली दो दिन की सुरक्षा परिषद का भारत की नई दिल्ली में आयोजन किया गया है| इस परिषद में शामील होने से पाकिस्तान ने इन्कार कर दिया है| इस वजह से पाकिस्तान दक्षिण एशिया में अधिक ही अकेला पड़ रहा है ऐसा सामने आ रहा है| पाकिस्तान के खिलाफ़ भारत ने अपनायी आक्रामक रणनीति सफल होती दिखाई दे रही है|

‘सार्क’उरी में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तान में आयोजित की गई ‘सार्क परिषद में क्या भारत और अन्य देश शामील होंगे, यह सवाल पूछा जा रहा है| लेकिन भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इसका स्पष्ट शब्दों में जवाब नहीं दिया है| उरी में हुए आतंकी हमले के सबूत पाकिस्तान को सौंपे गए हैं| इसपर कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान की है और इसपर भारत की भूमिका निर्भर रहेगी, ऐसे संकेत विकास स्वरूप ने दिये हैं| इससे ऐसा दिखायी दे रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री पाकिस्तान में होनेवाली सार्क परिषद में शामिल नहीं होंगे|

SAARCसंयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा की बैठक में, भारत के बाद अब अफगानिस्तान ने भी आतंकवादी पाकिस्तान की आलोचना की है| अफगानिस्तान के उपराष्ट्राध्यक्ष दानेश सरवार ने पाकिस्तान पर इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि सीमा पार से अफगानिस्तान में आतंकवाद की निर्यात की जा रही है| यह पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खिलाफ छेड़ी अघोषित जंग है, ऐसा उपराष्ट्राध्यक्ष सरवार ने कहा है| बांगलादेश ने भी पाकिस्तान की आतंकी नीति को निशाना बनाते हुए, उरी में हुए आतंकी हमले का स्पष्ट शब्दों ने निषेध किया है| हमारा देश आतंकवाद के खिलाफ़ और भारत के पक्ष में डटकर खड़ा है, ऐसा संदेश बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसिना ने दिया है|

साथ ही, अफगानिस्तान और बांगलादेश ने पाकिस्तान की आतंकी नीति का निषेध करने के लिए इस्लामाबाद में होनेवाली ‘सार्क’ परिषद का बहिष्कार करने के संकेत दिये थे| भारत के साथ, अफगानिस्तान और बांगलादेश के राष्ट्रप्रमुख भी इस परिषद में शामील नहीं होंगे और केवल अपने प्रतिनिधि इस्लामाबाद भेजेंगे, ऐसे आसार दिखाई दे रहे हैं| ‘सार्क’ देशों ने अपनायी पाकिस्तानविरोधी भूमिका के परिणाम अभी से दिखाई देने लगे हैं| आतंकवाद के खिलाफ अभी से होनेवाली सुरक्षाविषयक परिषद में शामिल होने के लिए पाकिस्तान द्वारा किया गया इन्कार, इस बात को अधोरेखित करता है| २२ और २३ सितंबर को ‘सार्क’ गुटो के ‘हाय लेव्हल ग्रुप ऑफ एमिनंट एक्स्पर्टस्’ की दूसरी बैठक शुरू हुई है|

इस बैठक में अफगानिस्तान, बांगलादेश, नेपाळ, श्रीलंका, भूतान और मालदीव इन देशों की खुफ़िया एजन्सियों के प्रमुख शामिल हुए हैं| दक्षिण एशिया में विकास और शांति स्थापित होने में ‘आतंकवाद’ यही प्रमुख रोड़ा होने के कारण, उसका मुकाबला करने के लिए ‘सार्क’ सदस्यदेशों में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और मज़बूत करने की ज़रूरत है, ऐसी भूमिका भारत ने प्रस्तुत की है|

भारत ने रखी इस भूमिका के अनुरूप, बैठक में आतंकवाद के खिलाफ उपाययोजनाओं की चर्चा और खुफ़िया जानकारी का आदानप्रदान तथा पुलीसबलों के बीच सहयोग इनपर चर्चा अपेक्षित है|

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