‘ओपेक’ का निर्णय एवं बढती मांग पर ईंधन तेल के दाम ७० डॉलर्स तक पहुंचे; तीन वर्षो मे उच्चांक

लंडन / न्यूयॉर्क: कच्चे तेल के बाजार में सन २०१४ के आख़िर में शुरू हुए गिरावट के बाद पहली बार तेल के दामों में ७० डॉलर्स प्रति बैरल तक पहुंचा है। सोमवार को हुए उछाल के बाद मंगलवार को भी यह कायम रहने से कच्चे तेल में ३ वर्षों में उच्चतम स्तर प्राप्त करने के बाद दर्ज हुई है। तेल के दामों में इस के पीछे तेल उत्पादक देशों की संघटना होने वाले ओपेक एवं रशिया ने कायम रखे निर्णय और जागतिक स्तर पर बढ़ती मांग, यह घटक जिम्मेदार होने की बात सामने आई है।

ओपेक

सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मार्च महीने के लिए हुए कच्चे दामों के व्यवहार में ७०.३७ डॉलर प्रति बैरल यह दाम दर्ज हुआ है। मंगलवार को यह झुकाव कायम रहा और सुबह के समय हुए व्यवहारों में ७०.०४ डॉलर प्रति बैरल यह दाम दर्ज हुआ है। इसकी वजह से ७० डॉलर्स के ऊपर हुई बढ़त कायम रहने की बात दिखाई दे रही है। ऐसे रूप से दामों में ७० डॉलर्स के ऊपर व्यवहार होने की बात दिसंबर सन २०१४ के बाद यह पहला समय है।

सन २०१४ में यूक्रेन में हुए संघर्ष, रशिया तथा ईरान पर जारी किए प्रतिबंध और अमरिका में ‘शेल ऑयल’ के उत्पाद में हुई क्रांतिकारी बढ़त, इसकी वजह से तेल के दामों में गिरावट शुरू हुई थी। सन २०१६ में यह गिरावट शुरू हुई थी। इस कालखंड में तेल के दाम २८ डॉलर प्रति बैरल तक गिरे थे। पर उस के बाद तेल के दामों में फिर से बढ़त होनी शुरु हुई है और तेल उत्पादक देशों के गट होने वाले ओपेक के साथ रशिया ने उत्पादन कायम रखने से यह गिरावट हुई है, ऐसा महत्वपूर्ण घटक सामने आया है।

पिछले वर्ष ओपेक ने तेलों के उत्पाद में कटौती करने की योजना सन २०१८ में कायम रखने का निर्णय लिया था। इस निर्णय को इराक जैसे प्रमुख देशों ने समर्थन देने की बात सामने आई है और इराकी मंत्री ने कटौती कायम रखने का  संकेत दिया है। उस समय अंतरराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था में सकारात्मक बढ़त का चित्र दिखाई देना शुरु हुआ है और उस की वजह से तेल की मांग में बढ़त दर्ज हुई है।

अमरिका में उत्पादन के संकेत देने वाले नए तेल कुएं की संख्या में हुई गिरावट, ईरान में आंदोलन एवं सऊदी अरेबिया की गतिविधियों की वजह से आने वाले समय में कच्चे तेल के दामों के लिए महत्वपूर्ण होंगे, ऐसा कहा जा रहा था। पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम ७० फ़ीसदी बड़े थे। पिछले दो महीनों में उसने १५ प्रतिशत बढ़त दिखाई दी है।

इस पृष्ठभूमि पर दुनिया भर में ईंधन विश्लेषक एवं अग्रणी के कंपनियों ने कच्चे तेल के दाम वर्ष के आखिर तक ८० डॉलर प्रति बैरल तक जाने की आशंका जताई थी।

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