इराक में स्थित अमरिकी लष्करी अड्डे पर हुआ और एक हमला

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

बगदाद – राजधानी बगदाद के उत्तरी ओर स्थित कैम्प ताजीलष्करी अड्डा ईरान से जुडी आतंकी संगठनों के हमलों का लक्ष्य बन रहा है| मंगलवार की रात फिर एक बार इस लष्करी अड्डे पर कत्युशा राकेटस् के हमलें हुए| इस हमलें में लष्करी अड्डे के कुछ हिस्सों का नुकसान होने का दावा किया जा रहा है| इराक स्थित ईरान से जुडी आतंकी संगठन ने यह हमला किया होगा, ऐसा दावा हो रहा है| कासेम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए यह संगठन हमलें करते दिख रही है|

इराक में अमरिकी लष्करी अड्डों पर हर एक दिन बाद राकेट हमलें होने का सिलसीला शुरू है| इराक की पॉप्युलर मोबिलायझेशन फोर्सेस(पीएमएफ) और कतैब हिजबुल्लाहयह दो आतंकी संगठन यह हमलें करने के लिए पहल कर रही है| कैम्प ताजी के लष्करी अड्डे पर ब्रिटेन के भी २०० सैनिक तैनात है| मंगलवार की रात हुए राकेट हमलें के दौरान अमरिकी एवं ब्रिटीश सैनिकों की मौजुदगी इस अड्डे पर थी

इश दौरान आतंकियों ने सोवियत रशिया में बने कत्युशा राकेटस् का हमला किया| इस दौरान लष्करी अड्डे पर दो राकेट गिरे है| इन हमलों में किसी भी सैनिक की हानि ना होने की जानकारी सेना के प्रवक्ता कर्नल माईल्स कैगिन्स ने साझा की| मंगलवार के राकेट हमलों की जिम्मेदारी अभी किसी भी संगठन ने स्वीकारी नही है| इससे पहले रविवार की रात अमरिकी लष्करी अड्डे पर आठ राकेट गिरे थे| इसमें इराक के चार सैनिक भी घायल हुए थे|

इस महीने के शुरू में अमरिका ने ईरान के दुसरें क्रमांक के नेता कासेम सुलेमानी को इराक में ड्रोन हमला करके खतम किया था| इसके बाद ईरान एवं इराक स्थित ईरान से जुडी संगठनों ने सुलेमानी की हत्या का बदला लेने की धमकी दी थी| अगले कुछ दिनों में ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस्ने इराक में स्थित अमरिका के दो लष्करी अड्डों पर २२ मिसाइलों के साथ हमला किया था| इसमें अमरिका के ५० से भी अधिक सैनिकों के मारे जाने का दावा ईरान ने किया था|

ईरान के यह मिसाइल रोकना अमरिकी हवाई सुरक्षा यंत्रणा को भी मुमकिन नही हुआ, यह दावा भी ईरान ने किया था| यह हमलें यानी अमरिका के लिए तमाचा होने का ऐलान ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी ने किया था| पर, ईरान के मिसाइल इराक में गिरने से काफी पहले ही अपनी यंत्रणा ने हमलें की जानकारी प्रदान की थी, यह दावा अमरिकी सेना ने किया है|

इसके बाद अमरिकी सैनिकों को लष्करी अड्डों पर बनाए गए बंकर्स में रखा गया था, यह जानकारी अमरिकी सेना के लेफ्टनंट कर्नल चेस ने साझा की| इस कारण ईरान के हमलों में अमरिका का ज्यादा नुकसान नही हो सका| साथ ही ईरान को सुलेमानी की हत्या का बदला लेने की बात दुनिया को दिखाना मुमकिन हुआ| इसी वजह से अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने भी ईरान के हमलों पर आक्रामक जवाब दिए बिना ईरान के मुद्दे पर भूमिका अपनाते समय सौम्यता बरती थी|

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