युरोप में परमाणुयुद्ध का ख़तरा बढ़ा की रशिया के पूर्व मंत्री की चेतावनी

रशिया एवं पश्चिमी देशों के बीच का तनाव कारणीभूत

Igor Ivanov meets Israeli Foreign Minister Tzipi Livni (not pictured) in Jerusalem April 11, 2007. REUTERS/Yonathan Weitzman

 

युक्रेन में चल रहा संघर्ष तथा अमरीका ने ‘मिसाईल डिफ़ेन्स’ तैनात करने का लिया हुआ निर्णय इनके कारण रशिया एवं पश्चिमी देशों के बीच प्रचंड तनाव है। इस तनाव के कारण युरोप में परमाणुयुद्ध भड़कने का धोका सबसे अधिक है, ऐसी गंभीर चेतावनी रशिया के पूर्व विदेशमंत्री इगोर इव्हानोव्ह ने दी। इस महीने की शुरुआत में, अमरीका ने युरोप में परमाणुअस्त्रों तथा क्षेपणास्त्रों का वहन कर ले जानेवाले ‘बी-५२ स्ट्रॅटोफ़ोर्टेस’ विमान तैनात किये थे; वहीं, रशिया ने परमाणुअस्त्रों के परीक्षण की गति को बढ़ाने की चेतावनी दी थी।

‘रशिया एवं अमरीका अपने पास के परमाणुअस्त्रों की संख्या घटाते जा रहे हैं। लेकिन इस संख्या के कम होते समय ही, उनसे रहनेवाला ख़तरा बढ़ गया है। युरोप में चलनेवाले संघर्ष के दौरान परमाणुयुद्ध भड़कने का ख़तरा अब सन १९८० के दशक से भी बढ़ गया है’, ऐसी चेतावनी इव्हानोव्ह ने दी। युक्रेन का संघर्ष और युरोप में तैनात होनेवाली ‘मिसाईल डिफ़ेन्स’ यंत्रणा, इन बातों के कारण रशिया एवं पश्चिमी देश इनके बीच का बढ़ता जा रहा तनाव ही इसके लिए ज़िम्मेदार होने का दावा उन्होंने किया। ‘अमरीका युरोप में तैनात कर रही क्षेपणास्त्रयंत्रणा का अहम हिस्सा पोलंड में तैनात होनेवाला है। सन २०१८ तक यह यंत्रणा क्रियान्वित होगी। अमरीका की इस यंत्रणा के क्रियान्वित हो जानेपर रशिया भी कॅलिनिनग्राड़ में स्वतंत्र क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा तैनात करेगा’ ऐसी चेतावनी इव्हानोव्ह ने दी।

उसी समय, युक्रेन के संघर्ष को लेकर रशिया एवं युरोप के बीच के संबंध पुन: पूर्ववत् होने के आसार बहुत ही कम हैं। रशिया और युरोप दोनों भी, दो भिन्न मार्गों पर से चल रहे हैं। आगे लंबे अरसे तक उनके मार्ग स्वतंत्र रहने की संभावना ही अधिक है। रशिया कभी भी – ‘युरोप के असफल हुए विस्तार की पूरब की ओर की बाजू’ कहलाना पसंद नहीं करेगा। इसलिए आनेवाले कई दशकों तक युरोप एवं रशिया की मार्गक्रमणा भिन्न मार्गों से ही रहेगी’ इन शब्दों में इव्हानोव्ह ने रशिया एवं युरोप के बीच का तनाव लगभग स्थायी स्वरूप का ही होने के संकेत जताये।

दो साल पहले युक्रेन में भड़के हुए संघर्ष के बाद, रशिया और अमरीका के साथ ही, युरोपीय देशों ने भी लष्करी सिद्धता पर अधिक से अधिक ज़ोर देने की शुरुआत की है। इसमें परमाणुसिद्धताओं का भी समावेश होकर, अमरीका ने युरोप में परमाणुअस्त्रों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। युरोपीय देशों ने भी अमरीका के पास परमाणुअस्त्रों की तैनाती की माँग की होकर, यह बात रशिया को खटक रही है।

रशिया ने भी अपने लष्कर में अत्याधुनिक एवं बड़ी मात्रा में परमाणुअस्त्रों की तैनाती शुरू की है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने, आनेवाले कुछ सालों में रशियन सेना में परमाणुअस्त्रों की तैनाती को बढ़ाने के आदेश दिये हैं। कुछ ही महीने पहले उन्होंने, परमाणुयुद्ध के दौरान उपयोग में लाया जानेवाला ‘इल्युशन आयएल-८०’ यह ख़ास विमान सुसज्जित रखने के निर्देश दिये होने की बात सामने आयी थी।

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