उत्तर कोरिया ने हायड्रोजन बम का परिक्षण किया

·    चीन, दक्षिण कोरिया तक ३.१ रिश्टर स्केल के भूकंप के धक्के
·    उत्तर कोरिया को ‘एक ही भाषा समझ में आती है’ – अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष का इशारा
·    चीन के विदेश मंत्रालय की भी उत्तर कोरिया के परिक्षण पर टीका

सेऊल/वाशिंगटन/बीजिंग: हायड्रोजन बम का परिक्षण करने की घोषणा करके उत्तर कोरिया ने पुरे विश्व को और एक झटका दिया है। उत्तर कोरिया की अधिकृत वृत्तसंस्था ने प्रसारित की हुई जानकारी के अनुसार, ५० से ६० किलो टन वजन के हायड्रोजन बम का सफलतापूर्वक परिक्षण किया गया है। अब तक उत्तर कोरिया ने किए हुए परीक्षणों से यह सबसे शक्तिशाली परिक्षण था, ऐसा दावा किया जा रहा है।

उत्तर कोरिया के ‘प्युंगे-री’ में हुए परिक्षण केंद्र पर रविवार सुबह यह परिक्षण किया गया। पिछले दो सालों में उत्तर कोरिया ने किया हुआ यह तीसरा परमाणु परिक्षण है। इस परिक्षण से पहले उत्तर कोरिया के तानाशाह ‘किम जोंग-उन’ ने परिक्षण केंद्र को भेट देकर मुआयना किया था, ऐसा भी उत्तर कोरिया की समाचार चैनल ने कहा है। यह हायड्रोजन बम लम्बी दूरी वाले मिसाइलों पर लादकर प्रक्षेपित किया जा सकता है, ऐसा इशारा उत्तर कोरिया के समाचार चैनल ने दिया है।

हायड्रोजन बम

इस परिक्षण के बाद यहाँ से निकले हुए भूकंप के धक्के चीन, दक्षिण कोरिया की सीमारेखा तक महसूस किए गए। लेकिन उत्तर कोरियन समाचार चैनल पर ‘हायड्रोजन बम का सफलतापूर्वक परिक्षण करने की’ खबर प्रसिद्ध होने के बाद चीनी माध्यमों ने टीका करना शुरू किया। चीन के विदेश मंत्रालय ने उत्तर कोरिया के इस परिक्षण पर अपना कड़ा निषेध दर्ज किया है।

उत्तर कोरिया के शब्द और कृति दोनों भी अमरीका के लिए अधिकाधिक खतरनाक साबित हो रहे हैं, ऐसा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने कहा है। ‘उत्तर कोरिया शातिर देश है और वो चीन के लिए भी कठिनाई में डालने वाला साबित हो रहा है। उत्तर कोरिया की समस्या चर्चा करके नहीं सुलझ सकती, क्योंकि उत्तर कोरिया को सिर्फ एक ही भाषा समझ आती है’, ऐसा तीखा इशारा ट्रम्प ने सोशल मीडिया द्वारा दिया है।

अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया ने हायड्रोजन बम के इस परिक्षण के बाद उत्तर कोरिया की समस्या अधिकाधिक गंभीर बनती जा रही है, ऐसा दावा किया है। उत्तर कोरिया अपनी परमाणु क्षमता का बार बार प्रदर्शन करके, पूरी दुनिया को टक्कर देने की क्षमता अपने पास होने की याद दिला रहा है, ऐसा विश्लेषकों का मानना है। इसलिए आने वाले समय में इस देश को नजरअंदाज करना दुनिया के लिए मुनासिब नहीं होगा, ऐसा विश्लेषक कह रहे हैं।

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