अल कायदा एवं ईरान की मिली भगत अमरिका को ईरान पर हमला करने के लिए वजह देगी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन – ईरान ‘अल कायदा’ की सहायता कर रहा है और अल कायदा के नेताओं को ईरान पनाह भी दे रहा है, यह आरोप सौदी अरब से किया जा रहा है| इस बारे में विश्‍वसनीय सबुत अभी तक सामने आए नही है| लेकिन, इससे जुडे सबुत सामने आए तो यह एकही बात अमरिका को ईरान पर हमला करने के लिए काफी होगी, यह ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों का कहना है| इन अधिकारियों का हवाला देकर एक अमरिकी समाचार पत्र ने अमरिका ईरान पर हमला करने की संभावना जताई है|

सौदी अरब के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ नेता ‘अदेल अल जुबैर’ इन्होंने पाकिस्तान की यात्रा करने के दौरान ईरान में अल कायदा के आतंकी पनाह ले रहे है, यह आरोप किया| अल कायदा के आतंकी ईरान में छिपे होने का आरोप भी जुबैर इन्होंने किया है| अमरिका पर हुए ९/११ के आतंकी हमले से अल कायदा के नेता ईरान में डेरा जमा कर है| ओसाम बिन लादेन का बेटा भी ईरान में ही है, ऐसा हमला जुबैर इन्होंने किया है|

जुबैर इनके इन आरोपों को कुछ घंटे होते नही है, तभी सौदी एवं अरब देशों के गठबंधन ने अमरिका में एक माध्यम से बात करते समय भी ईरान अल कायदा के आतंकियों के लिए हथियारों की आपुर्ति कर रहा है, यह जानकारी दी| येमन में संघर्ष कर रहे सौदी एवं मित्रदेशों की सेना ने कब्जे में किए अल कायदा के ठिकानों से ईरान में निर्माण हुए हथियार मिलने का दावा किया जा रहा है| लेकिन, इससे जुडे सबुत हाथ नही मिले है, इस ओर अमरिकी माध्यम ध्यान केंद्रीत कर रहे है|

लेकिन, सौदी की तरह ट्रम्प प्रशासन भी ईरान और अल कायदा में सहयोग होने का आरोप कर रहा है| अमरिकी विदेश मंत्रालय में आतंक विरोधी नीति के समन्वयक ‘नैथन सेल्स’ इन्होंने एक अमरिकी माध्यम को दिए मुलाकात में यह आरोप किया था| ९/११ से ईरान की हुकूमत ने अल कायदा के वरिष्ठ सदस्यों को अपनी देश में पनाह दी है| ईरान और अल कायदा की यह साझीदारी काफी खतरनाक और बर्दाश्त ना कर सके ऐसी है, यह आलोचना सेल्स इन्होंने की थी|

कुछ महीनों पहले अमरिकी विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद के समर्थक देशों की सुचि जाहीर की थी| इस सुचि में भी अमरिका ने ईरान यह आतंकवाद का बडा समर्थक देश होने का ऐलान किया था| इसमें ईरान और अल कायदा की साझीदारी होने की बात विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट की थी| साथ ही वर्ष २००९ से ईरान ने अल कायदा के आतंकियों को सीरिया और दक्षिणी एशिया में पैर जमाने के लिए और आर्थिक सहायता की है, यह जिक्र भी अमरिकी विदेश मंत्रालय ने किया था|

वर्ष २००१ में अमरिका ने अफगानिस्तान के तोरा बोरा इस पहाडी क्षेत्र में किए जोरदार बम हमलों से बच निकले अल कायदा के आतंकी भाग कर ईरान पहुंचे थे| आगे ईरान की हुकूमत और अल कायदा के आतंकियों में सहयोग बना, ऐसा दावा किया जा रहा है| यह होते हुए भी ईरान और अल कायदा में बने सहयोग के पुख्ता सबुत अमरिकी सुरक्षा यंत्रणा को प्राप्त नही हुए है| इस वजह से इन सबुतों के बिना अमरिका अल कायदा के आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए ईरान पर हमला नही कर सकता|

लेकिन, ईरान और अल कायदा के बीच बने सहयोग के लिंक या सबुत प्राप्त हुए तो ट्रम्प प्रशासन ईरान पर हमला करने में जरा भी देरी नही करेगा, यह दावा अमरिकी माध्यम कर रहे है| इसके लिए ट्रम्प प्रशासन के कुछ सूत्रों का और कुछ सिनेटर्स का हवाला भी यह माध्यम दे रहे है| अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और ईरान से जुडे अन्य राजनीतिक अधिकारियों ने ईरान के बारे में सभी विकल्प खुले होने की बात कही थी| इसमें लष्करी कार्रवाई का विकल्प भी शामिल होने की चेतावनी बोल्टन इन्होंने दी थी| लेकिन, अभी तक ईरान पर लष्करी कार्रवाई करने का समर्थन करने योग्य पुख्ता कारण अमरिका को प्राप्त नही हुआ है|

ऐसी स्थिति में अल कायदा और ईरान की मिली भगत होने के सबुत अमरिका के हाथ लगे तो ईरान पर अमरिका का हमला होने की संभावना रहेगी, यह अमरिकी माध्यम और वरिष्ठ अधिकारियों का दावा औचित्यपूर्ण साबित हो रहा है|

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