तैवान में अगले महीने होगा अमरिका के नए दूतावास का उद्घाटन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरताइपे – ताईवान में अमरिकी दूतावास के तौर पर जाने जा रहे ‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ के नए दफ्तर का उद्घाटन मई महीने में होगा, यह ऐलान किया गया है| ‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ के वेबसाईट पर एक व्हीडीओ प्रसिद्ध किया गया है और इसमें संस्था के प्रमुख और ताईवान के विदेशमंत्री के मौजुदगी में उद्घाटन का निमंत्रण दिया गया है| इस ऐलान की पृष्ठभूमि पर ही ताईवान में अमरिकी दूतावास की प्रवक्ता अमांडा मन्सूर इन्होंने वर्ष २००५ से दूतावास की सुरक्षा के लिए अमरिकी सैनिकों की तैनाती करने की बात स्वीकार की है|

पिछले वर्ष जून महीने में तैवान की राष्ट्राध्यक्ष ‘त्साई ईंग वेन’ एवं अमरिकी वरिष्ठ अधिकारियों की मौजुदगी में राजधानी ताइपे में ‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ (एआईटी) का उद्घाटन हुआ| सांस्कृतिक केंद्र के तौर पर निर्माण की गई यह संस्था यानी अमरिका का दूतावास ही होने की बात स्पष्ट हुई थी| इस दूतावास के निर्माण के साथ अमरिका ने चीन के ‘वन चाइना’ नीति का भंग किया है, यह आरोप चीन ने किया था| लेकिन, चीन के इन आरोपों की ओर ज्यादा ध्यान दिए बिना उलटा अमरिका ने दूतावास का दायरा और भी बढाने का निर्णय किया था|

इसके नुसार ६ मई के रोज ताईवान की राजधानी में निर्माण किए गए नए संकुल में अमरिका का यह दूतावास स्थलांतरीत हो रहा है| इसके लिए लगभग २५ करोड डॉलर्स से भी अधिक खर्च किए गए हे| अमरिका के साथ ताईवान के लगभग ५०० कर्मचारी इस दूतावास में कार्यरत रहेंगे, यह जानकारी ‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ से दी गई है| इन कर्मचारियों में अमरिकी लष्करी सैनिकों का भी समावेश रहेगा, यह स्पष्ट किया गया है|

‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ की सुरक्षा के लिए वर्ष २०१५ से अमरिकी सैनिकों की तैनाती हुई थी, यह समाचार कुछ दिनों पहले ही प्रसिद्ध हुआ था| इस वृत्त पर चीन ने आक्रामक प्रतिक्रिया दर्ज की और यह चीन की भूमीपर अमरिका का आक्रमण ही है, यह आरोप भी किया था| चीन की इन आरोपों की पृष्ठभूमि पर ‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ की प्रवक्ता अमांडा मन्सूर ने अमरिकी सैनिकों की तैनाती को लेकर भूमिका स्पष्ट की है| ‘अमरिकन इन्स्टिट्युट ऑफ तैवान’ में अमरिकी रक्षा दलों का हिस्सा रहे अलग अलग विभाग के सैनिकों की तैनाती की जा रही थी, ऐसा मन्सूर ने कहा|

तैवान में अमरिकी दूतावास का दायरा बढाने के साथ लष्करी सैनिकों की तैनाती करने की बात स्वीकारी जाने से अमरिका-चीन संबंध और भी बिगडने के संकेत दिए जा रहे है|

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