ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए नियम

नई दिल्ली – ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियों को उत्पादन बेचते समय, बनाया गया उत्पादन कौनसे देश में बनाया गया है, यह अब स्पष्ट रूप से दर्शाना होगा। साथ ही, खराब और नकली सामान बेचने पर कड़ी सज़ा हो सकती है। केंद्र सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत संशोधित नियमों के बारे में एक अधिसूचना जारी की है। इसलिए, ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए नियम जारी किए गए हैं।

ई-कॉमर्स

१९८६ के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में एक्ट में पिछले साल उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को संसद में पारित किया गया था|  इस नए अधिनियम के तहत, एक अधिसूचना के माध्यम से नए नियमों को लागू किया गया है।  ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए नियमों से उपभोक्ताओं के अधिकारों में वृद्धि हुई है। ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ कड़े प्रावधान किए गए हैं।

‘ई-कॉमर्स’ कंपनियों को, अपने प्लेटफॉर्म पर बेचे जाने वाले उत्पादों के बारे में सारी जानकारी देनी होगी। पेमेंट गेटवे सुरक्षा, कस्टमर केअर नंबर के साथ ही, विक्रेता के साथ हुए समझौते के बारे में जानकारी का भी इसमे समावेश है।  ‘ई-कॉमर्स’ की कीमतों में फेरफार नहीं किया जा सकता है और ‘ई-कॉमर्स’ कंपनियां उत्पादन के बारे में कुछ भी नहीं छिपा सकती हैं। इसमें उत्पादों की ‘मेड इन कंट्री’ सूचना को भी हाईलाईट करना है।  भारत में चीनी उत्पादों पर बहिष्कार अभियान तेज हो गया है।  इस पृष्ठभूमि पर, ‘चाइना मेड प्रोडक्ट्स’ और ‘मेक इन इंडिया’ उत्पादों की पहचान करना संभव है।

गलत या भ्रामक उत्पादन जानकारी देने से कार्रवाई हो सकती है। नकली उत्पादन बेचने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। उपभोक्ता इसके खिलाफ ‘उपभोक्ता आयोग’ जा सकते हैं या उपभोक्ता आयोग के पास अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं। मिलावट सामान बेचने पर आजीवन कारावास का प्रावधान है।  साथ ही, यदि नकली सामान बेचा जाता है, तो लाइसेंस रद किया जा सकता है। उत्पादन खराब होने पर जुर्माने का प्रावधान इसमें है।

नए नियमों के तहत, ‘ई-कॉमर्स’ जिम्मेदारियों को तय किया गया है|  साथ ही, ई-कॉमर्स व्यवसाय तेज़ी से बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में कंपनियों की संख्या भी बढ़ रही है, इसी दौरान सरकार ने इन सख़्त नियमों को तय किया है | भारत का ई-कॉमर्स व्यवसाय सन २०२१ तक ८४ बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

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