‘ई-कॉमर्स’ की नई नीति से भारत में निवेश पर प्रतिकूल असर होगा – अमरिका की चेतावनी

नई दिल्ली/वॉशिंगटन – देश में छोटे और खुदरा व्यापारियों की रक्षा करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘ई-कॉमर्स’ की नई नीति का स्वीकार किया है| इस वजह से बडी मात्रा में सहुलियत देकर ग्राहकों को आकर्षित कर रहे विदेशी ‘ई-कॉमर्स’ कंपनीयों को झटका मिलेगा, यह दावा किया जा रहा है| इस पर सीधे अमरिका से प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है| भारत की इस नई नीति की वजह से भारत में हो रहे विदेशी निवेश (एफडीआई) पर प्रतिकूल असर होगा, यह चेतावनी अमरिका ने दी है|

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभू इन्होंने ‘ई-कॉमर्स’ क्षेत्र के संबंधी अहम निर्णय का ऐलान किया था| इसके अनुसार एमेझॉन एवं फ्लिपकार्ट जैसी ‘ई-कॉमर्स’ क्षेत्र की कंपनीयों से ग्राहकों को दी जा रही बडी सहुलियत पर रोग लगनी है| इन सहुलियतों के चलते देश के व्यावसायिकों का व्यापार संकट में आ रहा है, ऐसी शिकायते हो रही है| फ्लिपकार्ट का मालिकाना हक प्राप्त किए वॉलमार्ट ने भारत में लगभग १६ अरब डॉलर्स का निवेश किया है| एमेझॉन ने भी भारत में बडा निवेश हुआ है और यह दोनों कंपनी आने वाले समय में भारत में और भी निवेश करने की तैयारी में होने की बात स्पष्ट हुई थी|

इतना बडा निवेश करने के साथ ही यह कंपनी भारतीय ग्राहकों को बडी तादाद में सहुलियत दे रही है| इस वजह से देश के सामान्य व्यापारियों के व्यवसाय पर असर हो रहा है| यह बात की ओर ध्यान देकर वाणिज्य मंत्रालय ने ‘ई कॉमर्स’ के नई नीति का ऐलान किया था| इनमें उत्पादनों की विक्री के दौरान दी जा रही आर्थिक सहुलियत पर पारदर्शीता रखने पर जोर दिया गया है| इस वजह से ग्राहकों पर ‘कैश बैक’ की बौछार कर रहे कंपनियों पर रोक लगेली| साथ ही अपने ही ‘प्लैटफोर्म’ से उत्पादन का पुरस्कार करने की इन कंपनियों की कोशिश भी इस नई नीति के कारण नाकाम होनी है|

वाणिज्य मंत्री ने घोषित किए इस निर्णय का देशभर से व्यापारी स्वागत कर रहे है| ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (सीएआईटी) ने सरकार की इस निर्णय का देशभर के ७ करोड व्यापारियों को लाभ होगा, यह कहा है| ‘सीएआईटी’ के महासचिव प्रविण खंडेलवाल इन्होंने यह जानकारी दी है की, देश के ७ करोड छोटे व्यापारी सालाना लगभग ४२ लाख करोड रुपयों का व्यवसाय करते है| इन व्यापारियों के हितों के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने ‘ई-कॉमर्स’ के संबंधी नीति में बदलाव करके कठोर प्रावधान करने पर देश में समाधान व्यक्त किया जा रहा है, फिर भी इस नीति को लेकर अमरिका से प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है|

‘यूएस इंडिया चेंबर्स ऑफ कॉमर्स’ में अमरिकी विभाग का नेतृत्व कर रहे निशा देसाई बिस्वाल इन्होंने भारती ने किए इन बदलाव पर चिंता जताई है| ‘इस नीति का परिणाम क्या होगा, इस पर हम विचार कर रहे है| लेकिन यह बदलाव भारत में बडा निवेश कर रही कंपनियों के लिए झटका दे रहा है| इस से भारत में हो रहे विदेशी निवेश पर प्रतिकूल असर होगा, यह विस्वाल इन्होंने कहा है|

वही, ‘यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) के प्रमुख मुकेश अग्नी इन्होंने भी नई नीति की वजह से विदेशी निवेशकों में भारत के प्रति शक बढेगा, यह चिंता व्यक्त की| चीन जैसे देश में हुआ अमरिका का निवेश भारत पहुंचे इसके लिए कोशिश शुरू है| ऐसे में ‘ई-कॉमर्स’ संबंधी ऐसी नीति का स्वीकार करके भारत खुद का नुकसान ना करे, यह अग्नी इन्होंने कहा है|

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