चीन के टीके से इन्कार करके नेपाल भारत से कोरोना वैक्सीन प्राप्त करेगा

नई दिल्ली – चीन ने कोरोना टीका प्रदान करने के लिए दिये ऑफर से इन्कार करके, नेपाल भारत में तैयार हुई वैक्सीन को प्राथमिकता दे रहा है, ऐसा बयान नेपाल के अधिकारी ने किया है। नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप ग्यावली १४ जनवरी के दिन भारत पहुँच रहे हैं। इस दौरे में भारत से कोरोना का टीका प्राप्त करने से संबंधित समझौता हो सकता है, ऐसा समाचार है। कुछ महीनें पहले नेपाल ने जारी किए राजनीतिक नक्शे के बाद, भारत और नेपाल के राजनीतिक संबंधों में तनाव निर्माण हुआ था। साथ ही, नेपाल की नीति पर चीन का बढ़ता हुआ प्रभाव भी स्पष्ट दिखाई दे रहा था। लेकिन, अब स्थिति मे पूरी तरह से बदलाव होने के बड़े संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

india-nepalनेपाल में फिलहाल बड़ी राजनीतिक उथल पुथल शुरू है। नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली ने दिसंबर महीने में नेपाल की संसद भंग की थी। इसके बाद नेपाल में मई महीने में आम चुनाव करने का ऐलान भी हुआ है। नेपाल के सत्ता पक्ष मे ही बड़ी दरार निर्माण होने की स्थिति बनी है। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल (प्रचंड) और प्रधानमंत्री ओली के बीच विवाद शुरू हुआ है। कम्युनिस्ट दलों में मौजूद विरोधकों ने अपनी निर्णयक्षमता को अपाहिज किया है। इस वजह से, ऐसी स्थिति में संसद भंग करने के अलावा अपने सामने दूसरा विकल्प नहीं था, यह बयान ओली ने किया था।

प्रधानमंत्री ओली ने संसद भंग करने का निर्णय किया। इसके बाद, अपने प्रभाव में होनेवाले नेपाल पर अपनी पकड़ कमज़ोर होगी, इस ड़र से चीन ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल ही नेपाल रवाना किया था। इसमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष का भी समावेश था। चीनी अफसरों ने नेपाल में एक हफ्ते तक अपने पैर जमाने के बावजूद भी, ओली और प्रचंड़ में सुलह करने में तथा ओली को संसद भंग करने का निर्णय पीछे लेने के लिए मजबूर करने में चीन को कामयाबी नहीं प्राप्त हुई थी। इससे पहले भारत और नेपाल के संबंधों में बना तनाव खत्म होकर, ये संबंध सामान्य होने के कई संकेत प्राप्त हुए थे।

बीते वर्ष अप्रैल महीने में, नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख, लिम्पियाधुरा जैसें इलाकों पर अपना हक जताया था। इसके बाद भारत के हितसंबंधों को बाधा पहुँचानेवाले कई निर्णय भी नेपाल ने किए थे। लेकिन, चीन ने नेपाल की भूमि पर अतिक्रमण करने की बात सामने आने पर, ओली सरकार को बड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रधानमंत्री ओली ने, भारत के साथ संबंध सामान्य करने के लिए कुछ निर्णय भी किए। भारत के ‘रॉ’ के प्रमुख का नेपाल दौरा, उसके बाद सेनाप्रमुख जनरल मनोज नरवणे तथा विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने भी नेपाल की यात्रा की। अब नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप ग्यावली भारत का दौरा कर रहे हैं।

खास बात यह है कि नेपाल ने, भारत ने तैयार किये गए कोरोना टीके को प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता देने का निर्णय किया है। नेपाल को चीन ने, अपने देश में विकसित की हुई ‘सिनोवैक’ वैक्सीन प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, नेपाल ने इसपर उत्सुकता नहीं दिखाई। नेपाल अब भारत में तैयार हुई कोरोना की वैक्सीन को प्राथमिकता देगा, ऐसा बयान नेपाल के एक अधिकारी ने किया है। भारत में नियुक्त नेपाल के राजदूत निलांबर आचार्य ने बीते कुछ दिनों में, भारत में कोरोना की वैक्सीन तैयार करनेवाली कंपनियों समेत भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा की होने का वृत्त है। नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप ग्यावली की भारत यात्रा के दौरान, नेपाल को कोरोना वैक्सीन प्रदान करने के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, ऐसीं खबरें प्राप्त हो रही हैं। यह चीन के लिए झटका है। बीते वर्ष में, भारत और नेपाल के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ था। लेकिन, अब स्थिति में बदलाव होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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