नेपाल द्वारा भारत से सटे सीमाक्षेत्र में सड़कनिर्माण की शुरुआत

पिथोरागड – भारतीय भूभाग अपने नक़्शे में बताकर सीमाविवाद पुन: शुरू करनेवाले नेपाल ने, अब सीमा के नज़दीक रास्ते के निर्माण की शुरुआत की होने की ख़बर सामने आयी है। ‘महाकाली कॉरिडॉर’ के तहत पिथोरागड ज़िले की सीमा पर धारचूला-टिंकर इलाक़े में इस रास्ते का काम शुरू किया है। यहाँ इसके लिए एक हॅलीपॅड भी बनाया गया होकर, शनिवार को नेपाली लष्कर का हेलिकॉप्टर यहाँ उतरा था। नेपाल इस रास्ते का निर्माण, काली नदी से सटे धारचूला और बैतडी स्थित गाँवों तक करनेवाला है। इससे नेपाल को चीन सीमा तक पहुँचने का मार्ग आसान होनेवाला है। इस बात से यही स्पष्ट होता है कि चीन ने ही इस रास्ते के निर्माण के लिए नेपाल को बहकाया है। इसी बीच, भारत ने उत्तराखंड में नेपाल की सीमा के नज़दीक सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों की तैनाती बढ़ाने की ख़बरें हैं।

Nepal-Road-Indiaउत्तराखंड में भारत और नेपाल की सीमा पिथोरागड और चंपावत ज़िलों से सटकर है। इसमें पिथोरागड में दोनों देशों की सीमारेखा ड़ेढ़सौ किलोमीटर लंबी है। चंपावत ज़िले के बनबसा गाँव में पुल है। पिथोरागड के झूलाघाट से सीतापुर जानेके लिए छोटासा पुल है। इन दोनों पुलें का इस्तेमाल नेपाली नागरिक बड़े पैमाने पर करते हैं। कई नेपाली नागरिक दूसरे गाँव आने-जाने के लिए भारतीय सीमा में स्थित रास्तों का इस्तेमाल करते हैं। केवल गाँववाले ही नहीं, बल्कि नेपाल के लष्कर के जवानों से भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब नेपाल, धारचूला और बैतडी में दर्जनों रास्तों का निर्माण कर रहा है। इन रास्तों का निर्माण कर सीमाक्षेत्र के गाँवों को मुख्य धारा में लाया जानेवाला है। लेकिन इससे भी ज़्यादा, चीन सीमा तक पहुँचना नेपाल के लिए अधिक आसान होनेवाला है, यह स्पष्ट होता है।

इन दिनों नेपाल ने भारत के साथ सीमाविवाद शुरू करने के बाद काली नदी के आधे दर्जन से भी अधिक् भागों में नेपाल लष्कर द्वारा सीमा चौक़ियाँ बनायीं जा रहीं होकर, यहाँ पर जवान तैनात किये जा रहे हैं। नेपाली जनता की भारतीय रास्तों पर होनेवाली निर्भरता को कम करने के लिए नेपाल सरकार ने यह फ़ैसला किया होने की बात बतायी जा रही है। लेकिन चीन के इशारे पर नेपाल की, के.पी. शर्मा ओली की सरकार काम कर रही है, यह स्पष्ट रूप से दिखायी दे रहा है।

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