पड़ोसी देशों का चीन से अधिक भारत पर भरोसा – केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी

नई दिल्ली – भारतीय संस्कृति विस्तारवादी नहीं है। इसी वजह से पड़ोसी देशों को भारत से कभी खतरा महसूस नहीं होता। लेकिन, पड़ोसी देशों को भारत के प्रति हो रहा ऐसा विश्‍वास चीन के प्रति महसूस नहीं होता। क्योंकि, पूरे विश्‍व का कल्याण हो, यही भारतीय संस्कृति की शिक्षा है। तभी चीन के विस्तारवाद ने अपना प्रभाव बढ़ाया है’, ऐसे सटीक शब्दों में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भारत और चीन के बीच का फर्क स्पष्ट किया।

india-china-nitin-gadkariकरीबन १८ देशों से चीन की सीमा जुड़ी हुई है और इनमें से १४ देशों के साथ चीन से सीमा विवाद जारी है। चीन की इस विस्तारवादी नीति पर गडकरी ने हमला किया। भारतीय संस्कृति में विस्तारवाद को कोई स्थान नहीं है। पूरे विश्‍व का कल्याण होना चाहिये, यह भारतीय लोगों का स्वभाव है और भारतीय नागरिकों को यह इतिहास और संस्कृति से विरासत में प्राप्त हुआ है, यह बयान गडकरी ने एक पुस्तक प्रकाशन के समारोह में किया।

भारत की इसी संस्कृति पर पड़ोसी देश भी विश्‍वास करते हैं, यह बात गडकरी ने कही। भूटान, नेपाल, श्रीलंका और बांगलादेश जैसे पड़ोसी देशों को भी भारत अपने ताकत के बल पर हम पर हमला करेगा या हमारी भूमि पर कब्ज़ा करगा, यह ड़र ज़रा सा भी नहीं है। लेकिन, विस्तारवादी चीन को लेकर यही पड़ोसी देश ऐसा विश्‍वास नहीं रखते, ऐसी फटकार गडकरी ने लगाई। साथ ही चीन ने विस्तारवाद के बल पर अपना प्रभाव बढ़ाया है और अपनी ताकत पर चीन को पूरे विश्‍व पर राज करना है, इस ओर गडकरी ने पूरे विश्‍व का ध्यान आकर्षित किया।

बीते कुछ दिनों से गडकरी चीन के विस्तारवाद पर आलोचना कर रहे हैं। साथ ही चीन का प्रभाव कम करने के लिए स्वदेशी का पुरस्कार करना और देश के लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने की आवश्‍यकता गडकरी ने व्यक्त की। मंगलवार के दिन एक कार्यक्रम में बोलते समय लघु उद्योगों को दस लाख रुपयों तक का कर्ज उपलब्ध कराने के लिए कोशिश हो ही है, यह बयान केंद्रीय मंत्री ने किया।

भारत के पड़ोसी देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाकर इसके ज़रिये भारत को चुनौती देने की नीति चीन ने तैयार की है। इसके लिए चीन अरबों डॉलर्स का निवेश करके भारत के पड़ोसी देशों में अपने एजंटों को अधिक से अधिक सहायता कर रहा है। लेकिन, चीन का सहयोग और कर्ज की सहायता यानी फांसी का फंदा होने का अहसास अब तक सभी देशों को हुआ है। चीन की विस्तारवादी नीति की वजह से अपने कुछ गांव खोनेवाले नेपाल को भी अब चीन से ड़र महसूस होने लगा है। इसी वजह से कड़े भारत विरोधक के तौर पर पहचाने जानेवाले नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली की सरकार अब भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की समझदारी दिखा रही है। अपना हंबंटोटा बंदरगाह चीन ने निगलने के बाद श्रीलंका भी सजग हुई है और श्रीलंकन सरकार ने भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के रासते से आगे बढ़ने का निर्णय किया है। म्यानमार, मालदीव, बांगलादेश भी चीन के वर्चस्ववाद का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ सहयोग दृढ़ कर रहे हैं। इस वजह से केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने पड़ोसी देशों को लेकर किया दावा न्यायसंगत साबित होता है।

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