पर्यावरण संरक्षण के लिए विकसित देश आगे आए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ वातावरण में बदलाव ला रहा हैं और इससे दुनिया के कई कोनें में भूकंप या भारी बारीश आपत्ती ढा रहा है, इस दावे के साथ पर्यावरण को हानी पहुंचाने वाले ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ का कारण बने ‘कार्बन’ उत्सर्जन पर रोक लगाने की दिशा में विश्‍व स्तर पर साझा प्रयत्न किए जा रहे हैं। यही प्रयत्न आगे बढाने की सोच में पॅरिस में ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ का आयोजन हुआ। यह सम्मेलन शुरू होने के अवसर से पहले ही भारत में तामिलनाडू राज्य बेमोसम बारीश से बाढग्रस्त हुआ। इस बाढ में अब तक कुल 270 नागरिक जान से हाथ धो बैठे हैं। इस आपदा के दौरान पॅरिस सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने विश्‍व में आपदा में जान जाने की मात्रा में बढोतरी हुई है कहकर ऐसी घटनाएं रोकने की जरूरत को स्पष्ट किया। वही, ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ को संबोधित करते समय प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ का कारण बने ‘कार्बन उत्सर्जन’ की मात्रा घटाकर पर्यावरण की रक्षा के लिये विकसित देशों कों आगे आने की को जरूरत जताई।

आपदा बन रही ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ का हल निकालने के लिये हम सबको धरती का बढता तापमान नियंत्रण में रखने के प्रयास करने होंगे, यह हमारी जिम्मेदारी बनती है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॅरिस में होने वाले ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ से पहले स्पष्ट किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पुकार पॅरिस में ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ में भी दिखाई दी। अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण बदलाव, कार्बन उत्सर्जन से पृथ्वी को बचाने के संदर्भ में कई मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सृष्टि के संरक्षण हेतु विकसित देशों की भी जिम्मेदारी बताया।

‘ग्रीन हाउस गैस’ उत्सर्जन कम करने की जिम्मेदारी भारत जैसे विकसनशील राष्ट्रों पर लगाना उचित नही है नैतिक तौर पर यह बात गलत होगी, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। दुनिया के करीब 150 से अधिक नेता इस सम्मेलन में शामिल हुए।

कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों पर चर्चा करने के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण के लिए आधुनिक देशों द्वारा अपनाई गई नीति पर जमकर टिप्पणी की। कुछ सालों पहले इन्ही देशों द्वारा हुए विकास प्रक्रिया के तहेत बड़ी मात्रा में ‘ग्रीन हाउस गैस’ उत्सर्जन किया जा रहा था, तब दुनिया पर इसका असर हुआ पर इसकी बिल्कुल जानकारी नहीं थी। विज्ञान के जरिए पर्यावरण पर हो रहा असर स्पष्ट होते ही यह देश समृद्धि की दिशा में कदम बढाने वाले देशों पर नियम लागू करने की बात कर रहे हैं, इनकी यह मांग बिल्कुल नाजायज है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।

पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी है। इसका अहसास सभी देशों को होना चाहिए, तभी हम ‘ग्रीन हाउस उत्सर्जन’ कम करने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। महात्मा गांधीजी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल बुद्धिमत्तापूर्वक करने की मांग भी रखी।

इसके अलावा हमे सबको सुलभ स्वच्छ उर्जा पाने के लिए साझेदारी करके जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने एवं जलवायु न्याय सुनिश्‍चित करने के लिए नई नीति अपनाने पर प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने नवीकिरणीय उर्जा को अधिक किफायती एवं भरोसेमंद बनाने पर जोर दिया। एशिया और अफ्रिका खंडो में भारी मात्रा में नवीकिरणीय उर्जा का स्त्रोत वाले कई देश उपलब्ध हैं। इन देशों की संख्या 121 है, इन सभी देशों का साथ एक नया गुट बनाने की जरूरत को लेकर आनेवाले दस वर्षों में नवीकिरणीय उर्जा पर फोकस करने हेतु 30-40 विश्‍वविद्यालयों एवं प्रयोगशालाओं का एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क बनाने की जरूरत को भी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया हैं। विश्‍व न्युनतम कार्बन युग के साथ एक नई अर्थव्यवस्था की बुनियाद रखने तथा पर्यावरण एवं अर्थव्यवस्था और विरासत के बीच संतुलन कायम करने में कायमाब होगा, ऐसा दावा भी प्रधानमंत्री ने किया।

प्रधानमंत्री मोदी और नवाझ शरीफ की मुलाकात

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पॅरिस में चल रहे ‘जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ की औपचारिक मुलाकात हुई। इस मुलाकात से भारत-पाकिस्तान चर्चा फिरसे शुरू होने की उम्मिद जताकर पाकिस्तान के प्रसार माध्यमों ने मोदी-शरीफ मुलाकात का स्वागत किया। गौरतलब है कि, पाकिस्तान ने आतंकियों के सहारे भारत के विरोध में ‘प्रॉक्सि वॉर’ पुकारा हैं। इस पर भारतका करारा जवाब मिलने पर हाल ही में नवाझ शरीफ ने भारत के साथ बिशर्त चर्चा करने की तैयारी दर्शाई थी। नवाझ शरीफ द्वारा दर्शायी गई यह तैयारी भारत की राजनयिक जीत मानी जा रही हैं।

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