‘एन ३२’ विमान निर्माण के लिए रिलायन्स डिफ़ेन्स-ॲन्टोनोव्ह के बीच समझौता

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युक्रेन की ‘ॲन्टोनोव्ह’ और भारत की ‘रिलायन्स डिफ़ेन्स’ ये कंपनियाँ संयुक्त रूप में भारतीय वायुसेना के लिए ‘एन ३२’ विमानों का निर्माण करनेवाली हैं। लष्कर के लिए सामान की यातायात के साथ साथ यात्री परिवहन के लिए भी इस विमान का उपयोग किया जानेवाला है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश में रक्षासाहित्य के निर्माण की गति और तेज़ करने पर भारत ज़ोर दे रहा है। इसके अंतर्गत भारत में उत्पादन केंद्र शुरू करने में कई बहुराष्ट्रीय एवं विदेशी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखायी है। ॲन्टोनोव्ह और रिलायन्स डिफ़ेन्स के बीच हुआ समझौता यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति का यश माना जा रहा है।

‘रिलायन्स डिफ़ेन्स’ एवं ‘ॲन्टोनोव्ह’ संयुक्त रूप में लष्कर के साथ साथ निमलष्करीदल के लिए भी सामान-यातायात करनेवाले विमान के निर्माण करनेवाले हैं। सेना के साथ साथ देशान्तर्गत व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए भी इस साज़ेदारी से विमान का निर्माण होगा, यह जानकारी ‘अनिल अंबानी’ ग्रुप द्वारा प्रकाशित किये गए पत्रक में नमूद की गयी है।

फिलहाल देश में लष्करी विमान के अत्याधुनिकीकरण के साथ साथ नये विमान की खरीदारी के लिए प्रयास जारी हैं। इसीके तहत, रिलायन्स एवं ‘ॲन्टोनोव्ह’ कंपनी ने भारत में संयुक्त रूप में विमान निर्माण करने के लिए समझौता किया है। रिलायन्स डिफ़ेन्स तथा ‘ॲन्टोनोव्ह’ के संयुक्त उपक्रम ने, भारतीय सेना में रहनेवाले १०५ ‘एन ३२’ विमानों के आधुनिकीकरण के साथ साथ नये विमानों की आपूर्ति करने की तैयारी दर्शायी है।

इसके साथ ही, देश के रक्षासामर्थ्य को बढ़ाने के लिए किये जा रहे प्रयासों के तहत, वायुसेना के लिए लड़ाक़ू विमानों तथा मालवाहक विमानों का निर्माण करने के लिए कोशिश की जा रही है। फिलहाल विभिन्न उपयोगों के लिए भारत को ५०० विमानों की आवश्यकता होने का दावा किया जा रहा है। इस पार्श्वभूमि पर, भारत में विमानों की बढ़ती माँग को मद्देनज़र रखते हुए, अगले १५ वर्षों में ३५ हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश किया जायेगा, ऐसा प्रकाशित किये गये पत्रक में नमूद किया गया है।

भारतीय वायुसेना के मालवाहक ‘आव्रो’ विमान के स्थान पर नये विमान तैनात करने का निर्णय लिया गया है। उसके लिए एअरबस-टाटा कंपनी संयुक्त रूप में विमानों का निर्माण करनेवाली है। इस विमान की खरीदारी के लिए ११,९३० करोड़ रुपये मंज़ूर किये गए हैं।

इसी दौरान, भारतीय वायुसेना के ‘एन ३२’ विमान के आधुनिकीकरण के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन रशिया एवं युक्रेन के बीच चल रहे तनाव के कारण यह प्रक्रिया विलंबित हुई है। अब रिलायन्स डिफ़ेन्स के सहयोग से इस काम को गति मिलने की संभावना बढ़ गयी है।

इस आधुनिकीकरण के तहत ‘ग्राऊंड प्रॉक्झिमिटी वॉर्निंग सिस्टिम’, ‘एअर कोलिजन अव्हॉयडन्स सिस्टिम’ तथा ‘सॅटेलाईट नेव्हिगेशन सिस्टिम’ के साथ नयी रड़ार यंत्रणा बिठाने की कोशिशें की जा रही हैं।

नागपुर में बाँधे गये ‘मल्टिमोडल इंटरनॅशनल हब एअरपोर्ट ॲट नागपुर’ (मिहान) के क्षेत्र में विमाननिर्माण का काम किया जानेवाला है। इससे ७ हज़ार नागरिकों को रोज़गार उपलब्ध होनेवाला है, ऐसा दावा भी किया गया है।

इसी बीच, दोनों कंपनियाँ संयुक्त रूप में ५० से ८० सीटर प्रवासी विमान का भी निर्माण करनेवालीं हैं। साथ ही, सागरी टोह और लष्कर के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी रहनेवाले विमानों का निर्माण किया जानेवाला है। विमान का निर्माण संयुक्त रूप में किया जानेवाला होने के कारण इसकी कीमत कम रखने में सहायता मिलेगी, ऐसा विश्वास व्यक्त किया गया है। इस विमान में उच्च क्षमता के जेट इंजनों का इस्तेमाल किया जानेवाला है। इस कारण ये विमान, रनवे छोटा रहनेवाले हवाई अड्डों पर से भी उड़ान भर सकते हैं। फिलहाल देश में ३५० रनवेज् ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। लेकिन इन विमानों के कारण, बंद रहनेवाले रनवेज् का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारतीय उड्डयन क्षेत्र के लिए ये विमान बहुत ही उपयोगी साबित होंगे, ऐसा नमूद किया गया है।

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