स्नायुसंस्था भाग – ०८

हमने अपने शरीर के विभिन्न स्नायुओं की रचना देखी। अब हम स्नायु के कार्यों का यानी स्नायुओं का आकुंचन एवं प्रसरण कैसे होता है, इसका अध्ययन करेंगें। प्राय: स्नायु के कार्यो में उसके चेतातंतुओं का सहभाग होता है। हमने स्नायु की रचना में देखा कि प्रत्येक स्नायुतंतु पर न्यूरोमसक्युलर अर्थात चेतातंतु-स्नायुतंतु का जोड़ (जंक्शन) होता है। इसमें चेतातंतु की विद्युत्-लहर स्नायुतंतु में और आगे इस जंक्शन से लेकर तंतु की संपूर्ण लम्बाई में फैलते हैं।

स्नायुओं का आकुंचन एवं प्रसरण

यह भला कैसे होता है? शरीर में यह विद्युत्-शक्ती किस तरह निर्माण होते हैं, कहाँ होती है, उनका वहन किस तरह होता है इत्यादि बातों को समझने के लिये हमें थोड़ा सा भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र व भौतिकरसायन शास्त्र (physical-chemistry) का अध्ययन करना आवश्यक है। इसीलिये वैद्यकीय शास्त्र की अध्ययन-शाखा में प्रवेश लेने के पहले इस विषय का अध्ययन विद्यार्थियों को करना पड़ता है। इस शास्त्र का उद्देश्य शरीरशास्त्र में अ‍ॅप्लीकेशन की जानकारी प्राप्त करना है। संक्षेप में शरीर के विभिन्न कार्यों के पीछे का विज्ञान, इसमें हमारी पेशी के स्तर पर जाकर इस क्रिया को समझना आवश्यक है। इसकी महत्त्वपूर्ण बातों को हमें सरल भाषा में समझने वाले हैं।

सजीवों की पेशी में अनेकों क्रियाओं के केन्द्र होते हैं। इन पेशियों में सतत चलनेवाली भौतिक व रासायनिक क्रिया ही हमारे जीवित होने के लक्षण हैं। अध्यात्म के एक सिद्धांत से हम परिचित हैं। वो है जो-जो पिंड में है, वह वह ब्रह्मांड में है और जो जो ब्रह्मांड में है वह वह पिंड में भी है। इस में पिंड यानी हमारा शरीर, स्थूल शरीर, इसी लिये पेशीयों को हम सूक्ष्म पिंड कहेंगे। इन सूक्ष्मपिंडों में होने वाली क्रियायें, फॅसिनेटिंग व अचंभित करने वाली हैं। इनका अध्ययन करने पर, इसके निर्माण के लिये परमेश्‍वर को मन:पूर्वक धन्यवाद देने का मन होता है। पेशीय स्तर पर अणू-रेणू के कार्य इतने प्रचंड हैं कि शास्त्र के अध्ययन में इसके तिथे लिये एक अलग शाखा का अभ्यासक्रम (molecular biology) बनाया गया है। पेशी के कार्यों में मैनेजमेंट के आधुनिक सिद्धांत भी पाये जाते हैं। पेशियों के अंर्तगत सूक्ष्म अवयवों में कार्य का उचित बँटवारा। काम का व समय का नियोजन, पदार्थों का आदान-प्रदान (कच्चा माल-पक्का माल), कार्यप्रणाली में अड़चन आने पर पर्यायी व्यवस्था इत्यादि-इत्यादि अर्थात इन सबका सविस्तर अध्ययन, अपने इस लेख का विषय नहीं है। अपने चल रहे विषय का सुसंगत भाग और वो भी संक्षेप में हम देखनेवाले हैं। इस विवेचना का उद्देश्य सिर्फ इस सूक्ष्मपिंड में निहित ब्रह्मांड का परिचय करना मात्र है।

हमारे शरीर की प्रत्येक पेशी के अंदर व बाहर द्रवपदार्थ होता है। पेशी के अंदर के द्रव को पेशी अंतर्गत द्राव (intracellular fluid) व पेशी के बाहरी द्राव को पेशीबाह्यद्राव (extracellular fluid) कहते हैं। इन दोनों द्रावों में सोडियम, पोटॅशिअम, क्लोराइड, कॅलशियम, ग्लुकोज, हैड्रोजन, ऑक्सिजन, कार्बनडायऑक्साइड, प्रथिने, आमिनोअ‍ॅसिड्स, बायकार्बोनेटस, फॉस्फेट्स व पानी इत्यादी अनेक पदार्थ होते हैं। इन पदार्थो की, दोनों द्रावों में, मात्रा असमान होती हैं। इस असमान मात्रा पर ही पेशी के कार्य अवलंबित होते हैं। अपने विषय के संदर्भ में (स्नायु के कार्य) इनमें से जो घटक महत्त्वपूर्ण हैं, उनकी मात्रा नीचे सारिणी में दी गयी हैं –

पेशी बाहय द्राव पेशी अंर्तगत द्राव
सोडिअम     १४२mEq/lit १०mEq/lit
पोटॅशिअम      ४mEq/lit १४०mEq/lit
क्लोरीन     १०३mEq/lit ४mEq/lit
कॅलशियम   २.४mEq/lit ०.०००१mEq/lit
ग्लुकोज      ९०mEq/lit ०.२०mEq/lit

PH ७.४ ७ इसका प्रमाण है mEq/lit अर्थात मिलि इक्विवॅलंटस् प्रति लीटर। प्रत्येक एक लीटर द्राव में इन सबके अणुओं की मात्रा।
उपरोक्त सारिणी को देखकर हम यह समझ सकते हैं कि सोडिअम, क्लोरीन, क्लॅशियम, ग्लुकोज इत्यादि की मात्रा पेशीबाहय द्राव में ज्यादा है। तथा पोटॅशिअम की मात्रा पेशीअंतर्गत द्राव में ज्यादा होती है। इन सभी घटकों का परिवहन पेशी के अंदर-बाहर सतत शुरू रहता है। यह परिवहन पेशी के ऊपर के आवरण से होता है।

शरीर की प्रत्येक पेशी पर बाह्य पेशी-आवरण (cell membrane) होता है। यह आवरण लिपिड अर्थात स्निग्ध पेशी का बना होता है। यह द्विस्तरीय (lipid bilayer) होता है। इस आवरण में अनेकों प्रथिन अणु (protein molecular) होते हैं। इनमें से कुछ प्रथिन अणु, इस आवरण के आर-पार जाने वाले होते हैं। इन्हें penetrating protein molecules कहते हैं। इसमें भी दो प्रकार के प्रथिन अणु होते हैं।

१)चॅनेल प्रथिन और २)कॅरिअर प्रथिन
नीचे दिखायी गयी आकृति से यह समझना आसान हो जायेगा।उपरोक्त आकृति में उल्लेखित डिफ्युजन, अ‍ॅक्टीव ट्रान्सपोर्ट इत्यादि चीजें क्या हैं, इसके बारे में हम अगले लेख में जानकारी प्राप्त करेंगे।

(क्रमश:)

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