अमरिकी शेअर बाज़ारों में चीनी कंपनियों के पंजीकरण पर रोक लगाने के लिए चीनी हुकूमत की गतिविधियाँ – अमरिकी निवेश क्षेत्र को झटका देने की कोशिश

बीजिंग/वॉशिंग्टन – चीन की प्रमुख कंपनियों द्वारा पूँजी हासिल करने के लिए अमरिकी शेअर बाज़ारों में किए जा रहे पंजीकरण पर रोक लगाने के लिए चीनी हुकूमत ने जोरदार गतिविधियाँ शुरू की हैं। चीन के ‘दिदी इन्क.’ नामक कंपनी ने कुछ दिन पहले ही अमरीका के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सेंज में पंजीकरण करके ‘आयपीओ’ का ऐलान किया था। इस ‘आयपीओ’ के कुछ दिन बाद ही चीनी यंत्रणाओं ने ‘दिदी इन्क.’ के ‘ऐप’ के खिलाफ कार्रवाई करने की बात सामने आयी है। चीनी हुकूमत ने अपनी ही कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का यह तीसरा अवसर है। ‘दिदी इन्क.’ से पहले ‘अलिबाबा’ और ‘टेन्सेंट’ कंपनियों के खिलाफ भी चीनी यंत्रणाओं ने कार्रवाई की थी।

पंजीकरण पर रोकचीन की आठ सरकारी कंपनियों के साथ लगभग २५० कंपनियों ने अब तक अमरिकी शेअर बाज़ारों में पंजीकरण किया है। इस पंजीकरण का उद्देश्‍य अमरीका के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर से बड़ी मात्रा में निधी पाने की बात समझी जा रही है। चीनी कंपनियाँ इस तरह से पंजीकरण करके अब तक लगभग दो ट्रिलियन डॉलर्स की पूँजी हासिल करने में कामयाब हुई हैं, यह बात कही जा रही है। इस वर्ष के पहले छह महीनों में ३४ चीनी कंपनियों ने अमरिकी शेअर बाज़ार से तकरीबन १२.५ अरब डॉलर्स का निधी खड़ा किया है।

चीनी कंपनियाँ अमरिकी शेअर बाज़ारों से बड़ी मात्रा में पूँजी प्राप्त कर रही हैं। फिर भी, बीते कुछ वर्षों के दौरान अमरिकी प्रशासन ने भी इन कंपनियों पर कार्रवाई करने की मात्रा बढ़ाई है। ट्रम्प प्रशासन ने कई चीनी कंपनियों को ‘ब्लैक लिस्ट’ करने के साथ ही अलग अलग तरह के प्रतिबंध भी लगाए थे। झिंजियांग, तिब्बत, हाँगकाँग, व्यापारी लूट, जासूसी, प्रौद्योगिकी क्षेत्र के वर्चस्व जैसे कई मुद्दों पर चीनी कंपनियाँ लक्ष्य हो रही हैं। अमरिकी यंत्रणाओं की इस कार्रवाई के जवाब में चीन ने बीते महीने ही संसद में ‘लॉ ऑन काऊंटिंग फॉरेन सैंक्शन्स’ नामक कानून पारित किया था।

लेकिन, पूँजी प्राप्त करने के लिए चीनी कंपनियाँ अमरीका की दिशा में ना जाएँ, इसके लिए अब चीनी हुकूमत ने अपनी ही कंपनियों को फटकारना शुरू किया है। चीनी कंपनियाँ अमरीका के बजाय हाँगकाँग में पंजीकरण करके पूँजी हासिल करें, इस दिशा में चीन ने कोशिश शुरू की है। इसके पीछे अमरीका के निवेश क्षेत्र को झटका देकर अधिकाधिक विदेशी निवेश अपनी ओर मोड़ने का भी उद्देश्‍य होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। अगले दशक में कई चीनी कंपनियाँ अमरीका से बाहर निकलती दिखाई देंगी, यह दावा पॉल गिलिस नामक विश्‍लेषक ने किया है। अमरीका और चीन के संबंध वर्तमान में अच्छे नहीं हैं, इस वजह से संभावित कार्रवाई ध्यान में रखकर चीन इस तरह के कदम उठा रहा है, ऐसा डोनाल्ड स्ट्रैसज़ेम नामक विश्‍लेषक ने कहा है।

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