लेबनान से लाखों लोग अन्य देशों में प्रवेश करेंगे – लेबनीज अध्ययन मंडल का इशारा

दुबई – लेबनान में राजनीतिक और आर्थिक संकट भयंकर हो गया है। इस वजह से लाखों लेबनीज नागरिक भागकर पश्‍चिमी या अरब देशों में जाने की तैयारी में होने का इशारा लेबनान के अध्ययन मंडल ने दिया है। इसी बीच, देश को बचाना है तो एक हफ्ते में सरकार का गठन करें, यह आवाहन लेबनान के वरिष्ठ नेता ने किया है। इसी बीच देश में बढ़ रही अराजकता की वजह से सरकारी और लष्करी यंत्रणा टूटकर बिखर जाएगी, ऐसी ड़रावनी संभावना भी लेबनान के रक्षाबलप्रमुख ने जताई है।

lebanon-protests-people-1लेबनान में बीते दो वर्षों से अस्थिरता फैली हुई है। चुनावों के बावजूद तीव्र राजनीतिक मतभेद एवं विसंवाद के कारण एक वर्ष में इस देश में सरकार का गठन नहीं हो पाया है। भ्रष्टाचार, महंगाई, बढ़ती हुई बेरोज़गारी और ईरान की बढ़ती दखलअंदाज़ी ही लेबनान की अस्थिरता का कारण होने का आरोप लगाया जा रहा है। इससे पीड़ित लेबनान की जनता बड़ी संख्या में देश छोड़ने की तैयारी में होने का इशारा ‘अमरिकन युनिवर्सिटी ऑफ बैरूत’ के एक अध्ययन मंडल ने दिया। यह देश जल्द ही इतिहास का तीसरा बड़ा स्थानांतरण का अनुभव करेगा, ऐसा इस लेबनीज अध्ययन मंडल ने कहा है।

इससे पहले के युद्ध के दौरान तकरीबन सवा तीन लाख से अधिक लोगों ने माऊंट लेबनान से स्थानांतरण किया था। वर्ष १९७५ से १९९० के दौरान चले गृहयुद्ध के दौरान तकरीबन १० लाख लोगों ने लेबनान से स्थानांतरण किया, यह दावा हो रहा है। लेकिन, इस बार शरणार्थियों के झुंड़ इससे भी बड़े होंगे, यह दावा लेबनीज अध्ययन मंडल ने किया। राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अस्थिरता से त्रस्त लेबनीज जनता के सामने इस देश को छोड़ने के अलावा अन्य विकल्प ही ना रहने से शरणार्थियों के झुंड़ों का यह संकट अधिक तीव्र होने के स्पष्ट आसार दिखाई देने लगे हैं।

lebanon-protests-people-2लेबनान में स्थिरता स्थापित करनेवाली सरकार गठित नहीं हुई तो इस देश की अर्थव्यवस्था अधिक बड़े संकट में धंस जाएगी। इसके लिए लेबनीज अध्ययन मंडल ने वैश्‍विक बैंक की रपट का दाखिला दिया। अगले कुछ दिनों में लेबनान को स्थिर सरकार प्राप्त नहीं हुई तो वर्ष २०१७ के ‘जीडीपी’ का स्तर पाने के लिए इस देश को कम से कम १२ वर्ष लगेंगे। लेकिन, सरकार के गठन में अधिक देरी हुई तो यही उद्देश्‍य प्राप्त करने के लिए १९ वर्ष भी लग सकते हैं, ऐसा इशारा वैश्‍विक बैंक ने दिया था।

लेबनान की राजनीतिक और आर्थिक उदासीनता की वजह से बीते वर्ष देश के ७७ प्रतिशत युवकों को यह देश छोड़ने की इच्छा होने की बात ‘अरब युथ ओपिनियन सर्वे’ से स्पष्ट हुई है। बीते वर्ष अमरीका, कनाड़ा और यूरोपिय देशों में प्रवेश करने के लिए लगभग ३.८० लाख लेबनीज़ निवेदन प्राप्त हुए थे। लेबनान की अराजकता और अस्थिरता का असर देश के स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थाओं पर भी हो रहा है। वर्ष २०१९ से लेबनान से १,६०० परिचारिकाएं एवं सैंकड़ों शिक्षक, अध्यापकों ने दूसरे देश में प्रवेश किया है।

इसी बीच लेबनान की इस अस्थिरता के लिए ईरान से जुड़ी हिज़बुल्लाह और इसके समर्थक गुट ज़िम्मेदार होने का दावा किया जा रहा है। बीते वर्ष चुनावों में विजयी हुए पूर्व प्रधानमंत्री साद हरिरी ने सरकार गठन करने के लिए अपना दावा दर्ज़ किया था। लेकिन, हिज़बुल्लाह समर्थक लेबनान के राष्ट्राध्यक्ष मिशेल एऑन ने हरिरी की सरकार के गठन का विरोध किया था। इस वजह से लेबनान में राजनीतिक समस्या निर्माण हुई। सरकार का गठन हो नहीं पाया, इसकी वजह से लेबनान की व्यवस्था ठप हो गई है और इसके काफी बड़े राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दुष्परिणाम इस देश को भुगतने पड़ रहे हैं।

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