बीमा क्षेत्र में ठेंठ विदेशी निवेश की मर्यादा ७४ प्रतिशत तक बढ़ाई – बीमा क्षेत्र को मजबूती देने वाला फैसला होने का विश्लेषकों का दावा

नई दिल्ली – केेंद्रीय बजट में विदेश के बीमा क्षेत्र को बड़ी ताकत देने वाला फैसला घोषित किया गया है। देश के बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (एफडीआई) की मर्यादा ४९ प्रतिशत से बढ़ाकर ठेंठ ७४ प्रतिशत इतनी की गई है। इससे इस क्षेत्र में विदेशी निवेश बड़े पैमाने पर आने की संभावना जाहिर की जाती है। पिछले कुछ सालों से, इस क्षेत्र में विदेशी निवेश की मर्यादा को बढ़ाएँ, ऐसी मांग की जा रही थी। इस कारण इस फैसले का बीमा क्षेत्र की कंपनियां और विश्लेषकों द्वारा जोरदार स्वागत किया जा रहा है। इससे देश का बीमा क्षेत्र अधिक मजबूत होगा और उसका जीडीपी में हिस्सा बढ़ेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।

insuranceसोमवार को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने घोषित किए बजट में, देश के बीमा क्षेत्र को ताकत प्रदान करने वाले फैसले की घोषणा की गई । इसके अनुसार, देश के बीमा क्षेत्र में एफडीआई की मर्यादा ७४ प्रतिशत कर दी गई है। इससे पहले यह मर्यादा ४९ प्रतिशत इतनी थी। सन २०१५ ने देश के बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की मर्यादा २६ प्रतिशत से बढ़ाकर ४९ प्रतिशत की गई थी। उसके बाद इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आया था। कई देसी कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी में इस क्षेत्र में उतरीं। इस कारण इस क्षेत्र में हेल्थी काँपिटीशन शुरू हुआ।

देश की बीमा क्षेत्र में प्रचंड अवसर है। देश के बीमा बाजार के इस फैसले के कारण विदेशी कंपनियों को भी बड़ा अवसर उपलब्ध हुआ है। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की मर्यादा को बढ़ाया जाए, ऐसी मांग लगातार इस क्षेत्र की कंपनियों द्वारा की जा रही थी। इससे संकट में फंसी बीमा कंपनियों को भी ताकत मिलेगी, ऐसा दावा किया जा रहा था।

देशातील सकल राष्ट्रीय उत्पाद में जीवन बीमा क्षेत्र का हिस्सा ३.६ प्रतिशत इतना है। लेकिन जागतिक स्तर की औसत की तुलना में यह हिस्सा बहुत ही कम है। जीडीपी में बीमा क्षेत्र की हिस्सेदारी ७.१३ प्रतिशत इतनी है। इसके अलावा जनरल बीमा क्षेत्र की जागतिक औसत २.८८ प्रतिशत इतनी होते समय, देश के जीडीपी में इस क्षेत्र का हिस्सा ०.९४ प्रतिशत है। इससे यही यही समझ में आता है कि देश के बीमा क्षेत्र के विस्तार के लिए कितना बड़ा अवसर प्राप्त है, ऐसा रेखांकित करके बताया जा रहा है।

इससे पहले ही सरकार ने इन्शुरन्स इंटरमिडीएटरीज क्षेत्र में १०० प्रतिशत निवेश को सरकार ने मान्यता दी है। इन्शुरन्स इंटरमिडीएटरीज यानी इस क्षेत्र के मध्यस्थ, कॉर्पोरेट एजंट अथवा इन्शुरन्स मार्केटींग करने वाली कंपनियां। अब बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ने वाली है जिससे कि इस क्षेत्र में कैपिटल बढ़ेगा । साथ ही इस क्षेत्र का विकास होगा, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं। इससे बड़े पैमाने पर नौकरियां भी उपलब्ध होंगी, ऐसा भी विशेषज्ञों का कहना है।

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