ब्रिटेन की ‘एमआय५’ को प्रदान किया ‘लायसन्स टू किल’ का अधिकार बरकरार – ब्रिटेन के ‘ट्रिब्युनल’ का निर्णय

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरलंदन – ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय५’ में का कर रहे जासूसों को अपहरण एवं हत्या समेत अन्य हिंसा के अपराध करने का अधिकार है, यह निर्णय ब्रिटेन में ‘ट्रिब्युनल’ ने किया है| ब्रिटेन की चार मानव अधिकार संगठनों ने इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी| ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने हाल ही में देश की सुरक्षा और गुप्तचर यंत्रणाओं को अतिरिक्त अधिकार देने के संकेत दिए थे| इस पृष्ठभूमि पर किया गया यह निर्णय ध्यान आकर्षित कर रहा है| 

ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा में ‘एमआय५’ और ‘एमआय६’ यह दो विभाग है और ‘एमआय५’ पर अंदरुनि सुरक्षा की जिम्मेदारी है| विदेश की जिम्मेदारी संभाल रही ‘एमआय ६’ यंत्रणा को ब्रिटेन के ‘इंटेलिजन्स सर्व्हिसेस एक्ट १९९४’ के ‘सेक्शन ७’ के अनुसार हिंसा की कानूनन अनुमति है| यह प्रावधान ‘जेम्स बॉंड क्लॉज्’ नाम से जाने जाते है| इसी तरह से ‘एमआय ५’ को प्रदान किए गए अधिकारों के कानूनन आधार पर सवाल किया गया था|

ब्रिटेन का हिस्सा होनेवाले ‘नॉर्दन आयर्लैंड’ में हिंसा की कार्रवाई करनेवाले ‘आयआरए’ इस बागी संगठन से जुडे गुटों ने इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की थी| इस याचिका की सुनवाई ब्रिटेन के ‘द इन्व्हेस्टिगेटरी पॉवर्स ट्रिब्युनल’ के सामने हुई| इस दौरान ट्रिब्युनल ने ‘आयआरए’ समर्थक एवं अन्य मानव अधिकार संगठनों की याचिका ३ बनाम २ मतों से ठुकराई|

यह याचिका ठुकराते समय ट्रिब्युनल के प्रमुख लॉर्ड जस्टिस सिंग ने गुप्तचर यंत्रणाओं को जो अधिकार प्रदान किए गए है, वह हटाए तो उन्हें काम करने में कठिनाई होगी, यह मुद्दा रखा| इस दौरान न्यायाधीशों ने वर्ष २०१७ में लंदन एवं मैंचेस्टर में हुए आतंकी हमलों का दाखिला भी दिया| साथी यह यंत्रणा कानूनन कार्रवाई से पुरी तरह से सुरक्षिा ना होने की बात भी उन्होंने स्पष्ट की|

ब्रिटेन के गृहमंत्रालय ने ट्रिब्युनल ने किए निर्णय का स्वागत किया है और एमआय ५ के जासूस उनका काम और अधिकार यह देश को सुरक्षित रखने के कार्य का हिस्सा होने की प्रतिक्रिया दर्ज की है|

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