इस्रो द्वारा दूरसंचार उपग्रह का प्रक्षेपण

श्रीहरिकोटा – गुरुवार को भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था (इस्रो) ने ‘सीएमएस-०१’ इस दूरसंचार उपग्रह का प्रक्षेपण किया। कोरोना के दौर में चलाई गयी इस्रो की यह दूसरीं मुहिम थी। यह दूरसंचार उपग्रह, ११ साल पहले अंतरिक्ष में छोड़े गये ‘जीसॅट-२’ इस दूरसंचार उपग्रह की जगह लेगा। इससे दूरसंचार सेवा अधिक मज़बूत होगी। लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार क्षेत्र में भी ‘सी बॅण्ड’ सेवा उपलब्ध करा देने के लिए यह उपग्रह अहम भूमिका निभानेवाला है।

isroइस्रो द्वारा ‘पीएसएलव्ही-सी५०’ इस रॉकेट प्रक्षेपक की सहायता से ‘सीएमएस-०१’ इस दूरसंचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया गया। ‘सीएमएस-०१’ यह इस्रो ने अंतरिक्ष में लाँच किया ४२ वाँ दूरसंचार उपग्रह है। पीएसएलव्ही रॉकेट प्रक्षेपक की सहायता से चलायी गई यह ५२ वीं मुहिम साबित हुई है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित ‘सतिश धवन स्पेस सेंटर’ के दूसरे अड्डे से दोपहर ३.४० बजे यह उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।

isro‘सीएमएस-०१’ उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हुआ होकर वह सुव्यवस्थित रूप में कार्य कर रहा है, ऐसी जानकारी इस्रो के अध्यक्ष के. सिवन ने दी। इस सफलता के लिए उन्होंने संशोधकों को बधाई भी दी। यह उपग्रह देश में ‘सी बॅण्ड’ सेवा के विस्तार के लिए अहम साबित होनेवाला है। अगले महीने से यह उपग्रह पूरी तरह कार्यरत होनेवाला होकर, सात साल कार्यरत रहेगा, ऐसी जानकारी इस्रो द्वारा साझा की गयी।

इससे पहले इस्रो ने ७ नवम्बर को ‘अर्थ ऑब्झर्व्हेशन सॅटेलाईट’ (ईओएस-०१) का प्रक्षेपण किया था। ‘ईओएस-०१’ यह उपग्रह किसी भी वातावरण में हाय रिझोल्युशन की फोटो खींच सकता है। इस कारण लष्करी गश्ती के लिए यह उपग्रह महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

इसी बीच, कोरोना के संकट के कारण इस्रो की कुछ मुहिमें स्थगित कीं गईं थीं। उनमें ‘मिशन चंद्रयान-३’, ‘मिशन आदित्य एल-१’ और ‘गगनयान’ का समावेश होकर, इस बारे मे अगली जानकारी जल्द ही घोषित की जायेगी, ऐसा बताया गया।

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