किफायती घरों के लिए ‘लाईट हाउस प्रोजेक्ट’ का शुभारंभ – यह प्रकल्प देश के गृहनिर्माण क्षेत्र को दिशा देनेवाला साबित होगा – प्रधानमंत्री

नई दिल्ली – देश में गरीब और मध्यम वर्ग जनता के लिए किफायती घरों का जलद गति से निर्माण करने के लिए विश्‍व की प्रगत तकनीक का इस्तेमाल करने को गति प्रदान की जा रही है। इसके लिए ‘ग्लोबल हाउसिंग टेक्नॉलॉजी चैलेंज’ (जीएटीसी) के तहेत प्रधानमंत्री के हाथों ‘लाईट हाउस प्रोजेक्ट’ का शुभारंभ किया गया। विश्‍व के निर्माण कार्य क्षेत्र की छह विभिन्न प्रगत तकनीकों का इस्तेमाल करके देश के छह शहरों में हज़ार-हज़ार घरों का निर्माण किया जाएगा। इससे यह प्रगत तकनीक भारत में पहुँचेगी। यह तकनीक और प्रकल्प भविष्य में देश के निर्माण क्षेत्र के लिए पथदर्शी साबित होंगे, यह दावा भी किया जा रहा है। यह प्रकल्प देश के गृह निर्माण क्षेत्र को दिशा देनेवाला साबित होगा, ऐसा विश्‍वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्त किया है। अपना खुद का घर हो, यह आम और मध्यम वर्ग जनता का खो रहा सपना उन्हें लौटाने की कोशिश सरकार कर रही है, यह बात भी प्रधानमंत्री ने रेखांकित की।

light-house-project‘लाईट हाउस प्रोजेक्ट’ के तहत इंदौर, चेन्नई, आगरतला, लखनौ, राजकोट और रांची इन छह शहरों में विश्‍व की प्रगत तकनीक के ज़रिये पथदर्शी प्रकल्प के तौर पर घरों का निर्माण किया जाएगा। चेन्नई में अमरीका और फिनलैण्ड के ‘प्रीकास्ट कांक्रिट तकनीक’ की सहायता से घरों का निर्माण होगा। रांची में जर्मनी के ‘३ डी’ तकनीक का इस्तेमाल घरों का निर्माण करने के लिए किया जाएगा। आगरतला में न्यूज़ीलैण्ड की ‘स्टील फ्रेम’ तकनीक से घर बनाए जाएंगे। कनाड़ा की तकनीक से लखनौ और फ्रान्स की मोनोलिथिक कांक्रिट कन्स्ट्रक्शन पद्धति के इस्तेमाल से राजकोट में घरों का निर्माण किया जाएगा।

इन सभी छह शहरों में हज़ार-हज़ार घरों का निर्माण किया जाएगा। इन सभी घरों का निर्माण कार्य एक वर्ष में पूरा किया जाएगा। यानी के प्रति दिन दो से तीन घर, इस गति से इन घरों का निर्माण होगा। यह उद्देश्‍य प्राप्त करना प्रगत तकनीक के कारण संभव होगा, इस ओर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। इस वजह से यह प्रकल्प देश के गृह निर्माण क्षेत्र के लिए यकीनन ‘लाईट हाउस’ यानी प्रकाश स्तंभ साबित होगा, यह बयान भी प्रधानमंत्री ने किया।

गृह निर्माण योजना में केंद्र सरकार ने जितनी प्राथमिकता देने की आवश्‍यकता थी, उतनी पहले नहीं दिखाई गई। लेकिन, बीते पांच-छह वर्षों में सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। देश के मध्यमवर्ग का सबसे बड़ा सपना खुद का घर ही रहा है। पर बीते कुछ वर्षों में उनका यह सपना टूट गया था। लेकिन, उनका यह सपना और अपना घर बनेगा, यह विश्‍वास दुबारा निर्माण हो, इस उद्देश्‍य से सरकार लगातार कोशिश कर रही है। बीते चार-पांच वर्षों में केंद्र सरकार ने इसी नज़रिये से जो भी कदम उठाए हैं, उससे श्रमिक मध्यवर्ग के परिवार अपना खुद का घर बनेगा, यह विश्‍वास दुबारा करने लगे हैं, यह बात भी प्रधानमंत्री ने रेखांकित की।

इस प्रकल्प के तहत ४१५ चौरस फीट कार्पेट एरिया के घरों का निर्माण किया जाएगा। इस आकार के घरों की १४ मंजिला इमारतों का निर्माण किया जाएगा। शहरों में आर्थिक स्तर पर कमज़ोर वर्ग के लिए इन पथदर्शी घरों का निर्माण किया जा रहा है। इन घरों की किमत लगभग १२.५९ लाख रहेगी। इसमें भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार से ७.८३ लाख रुपयों का अनुदान प्राप्त होगा। इससे लाभार्थी को मात्र ४.७६ लाख रुपये जमा कराने होंगे। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से भी इन घरों का वितरण होगा, यह जानकारी संबंधित अधिकारी ने साझा की।

इसी बीच, ‘ग्लोबल हाउसिंग टेक्नॉलॉजी चैलेंज’ (जीएटीसी) के तहत निर्माण क्षेत्र में अनुसंधान और प्रगत तकनीक का विकास करने के लिए ५० कंपनियां काम कर रही हैं। साथ ही निर्माण क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए गृहनिर्माण का स्किल विकसित करने के लिए और प्रगत तकनीक से उन्हें अवगत कराना संभव हो, इस उद्देश्‍य से एक ‘सर्टिफिकेट कोर्स’ भी शुरू किया जाएगा। इस वजह से देश में भी जागतिक स्तर के प्रगत तकनीक से घरों का निर्माण करना संभव होगा।

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