लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारतीय रक्षाबलों के समन्वय का असर दिखने लगा – वायुसेना के अधिकारी का दावा

नई दिल्ली – लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत और चीन की सेना एक-दूसरे के सामने खड़ी हुई हैं और इस दौरान भारतीय रक्षाबलों के बीच स्थापित समन्वय देश के लिए बड़ी सकारात्मक बात साबित होती है। सेना की हर माँग की आपूर्ति तुरंत करने के आदेश वायुसेना को दिए गए हैं और ‘एलएसी’ पर इसका सकारात्मक असर भी दिखाई देने लगा है, यह कहकर वायुसेना के अधिकारी ने इस उपलब्धि पर संतोष व्यक्त किया।

समन्वय

भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बीच संपर्क और समन्वय अधिक मात्रा में बढ़ाने के लिए तेज़ कदम उठाने की आवश्‍यकता होने की माँग बीते कई वर्षों से हो रही थी। इसके अनुसार भारत ने ‘चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ’ यानी रक्षाबलप्रमुख का पद निर्माण किया और जनरल बिपीन रावत भारत के पहले रक्षाबलप्रमुख नियुक्त किए गए। इस पृष्ठभूमि पर लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन के साथ जारी तनाव में भारी बढ़ोतरी होने के दौरान सेना और वायुसेना का समन्वय और सहयोग निर्णायक साबित होने की अभिलषित बात सामने आ रही है। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर तैनात सैनिकों के लिए आवश्‍यक हर चीज़ की आपूर्ति करने की माँग के अनुसार तुरंत की जा रही है। इसके लिए भारतीय वायुसेना के भारी सामान की यातायात करनेवाले चिनुक हेलिकॉप्टर्स लगातार उड़ान भर रहे हैं। इसके साथ अपाचे हेलिकॉप्टर्स भी इस पहाड़ी क्षेत्र में गश्‍त लगा रहे हैं और चीन की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। भारत और चीन के टैंक एक दूसरे के काफी करीब पहुँचे हैं और ऐसे में अपाचे हेलिकॉप्टर्स की वहां पर देखी जा रही मौ्जूदगी बड़ी घटना साबित होती है, यह दाव भारतीय अधिकारी कर रहे हैं।

वायुसेना के ‘सी-१७ ग्लोबमास्टर’, ‘आयएल-७६’, ‘सी-१३० जे हर्क्युलस’ यह भारी सामान की यातायात करनेवाले विमान और भारी सामान उठानेवाले चिनुक हेलिकॉर्प्स की वजह से सैनिकों की तैनाती, आवश्‍यक सामान की ढुलाई बड़ी आसानी से हो रही है, इस ओर भी संबंधित अधिकारी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसी कारण लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारतीय सेना की स्थिति चीन की तुलना में काफी मज़बूत होने की बात स्पष्ट हो रही है। अब कुछ भी हुआ तो भी भारतीय सेना को यहां से पीछे हटने के लिए चीन मज़बूर नहीं कर सकेगा। साथ ही लद्दाख की कड़ी ठंड़ का भी भारतीय सेना की तैनाती पर असर नहीं होगा, ऐसा आत्मविश्‍वास भारतीय सेना अधिकारी और विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। तभी दूसरी ओर भारत को चुनौती दे रहे चीनी सेना की स्थिति काफी खराब हो रही है।

लद्दाख के क्षेत्र की प्रतिकुल स्थिति में ड़टे रहना चीनी सैनिकों के लिए कठिन हो रहा है। ऐसी स्थिति में चीन का नज़दिकी मित्रदेश पाकिस्तान की सेना सहायता के लिए आगे आने का समाचार है। चीनी सैनिकों को पाकिस्तानी सेना से अपने अनुभव और कुशलता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इससे संबंधित समाचार प्रसिद्ध हुए हैं और इससे पाकिस्तान जैसे देश की सेना से प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए मज़बूर हुई चीनी सेना की अव्यावसायिकता विश्‍व के सामने स्पष्ट हुई है। इससे बड़े बड़े दावे करनेवाली चीन की सेना को लद्दाख के क्षेत्र में लड़ना तो दूर अच्छी तरह से खड़ा होना भी संभव नहीं हो रहा है, यही संदेश पूरे विश्‍व में पहुँचा है।

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