भारत और फ्रान्स के विमानवाहक युद्धपोतों का जल्द ही संयुक्त अभ्यास

नई दिल्ली/पॅरिस – भारत और फ्रान्स के विमानवाहक युद्धपोत अप्रैल महीने में संयुक्त नौसेना अभ्यास में सहभागी होनेवाले हैं। नौसेना से संबंधित सूत्रों ने यह जानकारी दी होने का दावा किया गया है और दोनों नौसेनाओं में तारीख निश्चित करने के लिए चर्चा शुरू है ऐसा बताया जाता है। भारत का ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ और फ्रान्स का ‘न्यूक्लिअर एअरक्राफ्ट कॅरिअर चार्ल्स दि गॉल’ अभ्यास में सहभागी होने वाले हैं। अप्रैल महीने में ही फ्रान्स के विदेश मंत्री भारत का दौरा करने वाले होकर, सात रफायल लड़ाकू विमान भी दाखिल होने वाले हैं।

भारत और फ्रान्स के बीच रक्षा सहयोग पिछले कुछ सालों में बहुत ही मजबूत होता दिख रहा है। भारत और फ्रान्स के बीच ‘रफायल’ लड़ाकू विमानों के लिए हुआ रक्षा समझौता, स्कॉर्पिन पनडुब्बियों के लिए फ्रान्स ने किया हुआ सहयोग, लष्करी विमानों की सप्लाई के लिए फ्रान्स ने दर्शाई उत्सुकता और ‘क्वाड’ में सहभागी होने के लिए फ्रान्स ने दिखाई तैयारी, ये बातें उसकी पुष्टि करनेवालीं साबित होती हैं। पिछले ही महीने, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार इमॅन्युअल बन के बीच, अमरीका की तरह ही व्यापक रक्षा समझौते के संदर्भ में चर्चा हुई, यह बात सामने आई थी।

इस सारी पृष्ठभूमि को मद्देनजर रखते हुए, भारत और फ्रान्स के विमानवाहक युद्धपोतों में होने वाला संयुक्त अभ्यास अहम साबित होता है। ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में चीन की हरकतें बढ़ रही है; ऐसे में अमरीका के पीछे पीछे अपने युद्धपोत और पनडुब्बियों को इस क्षेत्र में भेजने वाला फ्रान्स यह पहला युरोपीय देश साबित हुआ था। फ्रान्स ने अमरीका की तरह स्वतंत्र ‘इंडो-पैसिफिक पॉलिसी’ भी घोषित की होकर, उसमें भारत को मध्यवर्ती स्थान दिया गया है। पिछले साल फ्रान्स की रक्षा मंत्री फ्लॉरेन्स पार्ले ने, दोनों देशों में नौसेना सहयोग मजबूत बनाने के लिए अधिक से अधिक अभ्यास करने का प्रस्ताव भी दिया था। अप्रैल महीने में होने वाला अभ्यास उसी का भाग दिख रहा है।

फ्रान्स का परमाणु विमानवाहक युद्धपोत ‘चार्ल्स दि गॉल’ दो विध्वंसक तथा सपोर्ट शिप के साथ ‘क्लेमेन्स २१’ मुहिम पर है। इस मुहिम के तहत वह भूमध्य सागरी क्षेत्र से आगे अरबी समुद्र और हिंद महासागर में दाखिल होने वाला है। फ्रान्स के विमानवाहक युद्धपोत पर ‘रफायल एम’ ये लड़ाकू विमान तैनात हैं। भारत और फ्रान्स के विमानवाहक युद्धपोतों में होनेवाला अभ्यास भी २ चरणों में होने वाला है। उसमें अरबी समुद्र और हिंद महासागर इनमें होने वाले अलग-अलग अभ्यासों का समावेश है।

भारत द्वारा ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ समेत वेस्टर्न फ्लीट का हिस्सा होने वाले युद्धपोत सहभागी होने के संकेत दिए गए हैं। वेस्टर्न फ्लीट के नये कमांडर रिअर ऍडमिरल अजय कोचर भारतीय पथक का नेतृत्व करनेवाले हैं। भारत के ‘आयएनएस विक्रमादित्य’ पर तैनात ‘मिग-२९के’ लड़ाकू विमान इस अभ्यास में सहभागी होंगे। इसी बीच, हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसेना की आवाजाही बढ़ाकर चीन भारत को इसी क्षेत्र में बंदिस्त करने की साज़िश पर काम कर रहा है। भारतीय नौसेना अपने प्रभाव का विस्तार न कर सकें, इसके लिए चीन लगातार कोशिश कर रहा है। लेकिन भारत का व्यापार और अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ रही है, ऐसे में अपनी नौसेना का विस्तार करना भारत के लिए आवश्यक बन गया है। सागरी क्षेत्र में अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना क्षमता बढ़ा रही है। इसके लिए दुनिया भर के प्रमुख देशों के साथ भारतीय नौसेना लगातार अभ्यास कर रही है।

इस पृष्ठभूमि पर, फ्रान्स के विमानवाहक युद्धपोत के साथ भारत का नौसैनिक अभ्यास बहुत ही अहम बात साबित होती है। इसके जरिए भारत और फ्रान्स, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वर्चस्व जताने की कोशिश कर रहे चीन को, करारी चेतावनी देते दिख रहे हैं।

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