जापानी सेना विदेशी युद्ध में शामिल होगी, सात दशकों बाद जापान के रक्षानीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव

25-Sept-2015

द्वितीय महायुद्ध के बाद पहली बार जापानी सेना को अन्तरराष्ट्रीय युद्धमुहिमों में शामिल होने का अवसर मिल चुका है|जापान की संसद द्वारा पारित विधेयक में सुरक्षा दलों की आक्रामकता पर लगाई गई तमाम पाबंदियॉं हटादी गई| वर्तमान स्थिति में चीन से बढ़ते खतरें को देखते हुए जापान को नए चुनौतियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है, इन शब्दों में जापानी प्रधानमंत्री ऍबे ने इस बदलाव का समर्थन किया है| द्वितीय महायुद्ध के बाद जापान द्वारा अपनी सेना को अन्तरराष्ट्रीय सैनिकी मुहिमों में शामिल होने के प्रति प्रतिबंध लगाया गया था| इस कारण पिछले सात दशकों से जापान की सेना ने सभी अन्तरराष्ट्रीय संघर्ष से खुद को दूर रखा था| मात्र तीन साल पहले जापान की बॉंगड़ौर संभालनेवाले प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे ने इस रक्षानीति को बदलने के लिए आक्रामक कोशिशे शुरू की| इसी मामलें पर जापान की संसद में पारित विधेयक प्रधानमंत्री ऍबे सरकार के आक्रामक रक्षानीति को मिली महत्त्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है| पिछले कुछ वर्षों में चीन एक महासत्ता के रुप में उभरकर आ रही है| साथही चीन द्वारा अपने पड़ोसी देशों पर हुकूमत लादने की कोशिशें भी शुरू है| ‘साऊथ चायना सी’ के मसले पर दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों के साथ चीन का चल रहा विवाद और ‘ईस्ट चायना सी’ के अधिकारों को लेकर जापान के साथ बढ़ रहा तनाव, चीन की आक्रामकता का उदाहरण है| चीन की इसी आक्रामकता को लगाम लगाने के लिए अमेरिका द्वारा कोशिशें शुरू है| इसी पृष्ठभूमिपर अमेरिका जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत से सहायता ले रहा है| चीन की इस बढ़ती आक्रामकता को रोखने के लिए जापान की रक्षा क्षमता बढ़ाना सबसे जरूरी है| ऐसे में जापान की संसद में पारित हुआ विधेयक जापान की रक्षानीति को सहायक साबित हो सकता है| इस नए विधेयक के कारण जापानी सेना अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहीं जंग में शामिल हो सकती है| साथ ही जापान की सुरक्षा को चुनौती लग रहे देशों में भी जापान अपनी सेना तैनात कर सकता है| इन्हीं कारणों की वजह से चीन जापान के इस विधेयक का विरोध कर रहा है| मात्र जापान के प्रधानमंत्री ऍबे ने इस विधेयक का पूर्ण समर्थन किया| ‘जापानी जनता के शांततापूर्ण जीवन की रक्षा हेतु और भविष्य में युद्ध को रोकने के लिए इस विधेयक का मंजूर होना जरूरी था| आनेवाले समय में मै इस विधेयक का समर्थन करता रहूँगा और इस पर विवरण देने के लिए भी तैयार हूँ’ ऐसा भी ऍबे ने स्पष्ट किया| जापान के विरोधी दलों ने ऍबे के इस रक्षानिती का जमकर विरोध किया है| इस रक्षानीति से जापान अमेरिका के संघर्ष में फँस सकता है, ऐसी आलोचना ऍबे के विरोधक कर रहें हैं| दक्षिण कोरिया द्वारा जापान के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, देश की विदेशनीति में बदलाव लाने की सूचना की है| वहीं चीन ने इस रक्षानीति पर कड़ी आलोचन की| अमेरिका के सभी स्तरों से जापान के इस नए बदलाव का स्वागत किया है| दरमियान, इसी महीने के आरंभ में जापान सरकार द्वारा देश के रक्षा बजट में बढ़ोतरी करने की घोषणा की गई थी| इस के अनुसार चालू वर्ष में जापान ने अपनी सेना के लिए ४२ अरब डॉलर्स की घोषणा की थी| इस में अमेरिका से ऍम्फिबियस टँक, स्टेल्थ लडाकू विमान, ‘एफ-३५ ऑस्प्री’, ‘एफ-३५’ लडाकू विमान और एजिस रडार टेक्नोलॉजी से लैस युद्धपोत की खरेदी के लिए रिजर्व रखे है|

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