भारत के शामिल होने तक ‘आरसीइपी’ पर हस्ताक्षर करने से जापान ने किया इन्कार – जापान के व्यापारमंत्री की चेतावनी

नई दिल्ली – करीबन १६ देशों में मुक्त व्यापार करवाने हेतु हो रहे रिजनल कॉंप्रिहेन्सिव्ह इकॉनॉमिक पार्टनरशिप’ (आरसीइपी) समझौते पर हस्ताक्षर करने से भारत ने डटकर इन्कार किया था| यह समझौता एकतरफा है और भारत की चिंता दूर करने के लिए आवश्यक बदलाव इस समझौते में नही हुए है, यह कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से सीधे इन्कार किया था| इस कारण यह समझौता होने की प्रतिक्षा में बैठे चीन को बडा झटका लगा है| अब, भारत के बाद जापान ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार किया है| जबतक भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर नही करता, तबतक जापान भी इस समझौते का हिस्सा नही होगा, यह ऐलान जापान ने किया है|

भारत और जापान के बीच जल्द ही टू प्लस टूबातचीत होनी है| इसमें दोनों देशों के विदेशमंत्री एवं रक्षामंत्री शामिल होंगे और दोनों देशों के आर्थिक और सामरिक भागीदारी के नजरिए से यह बातचीत काफी अहम साबित होगी| इसके बाद अगले कुछ हफ्तों में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे भारत पहुंच रहे है| इस पृष्ठभूमि भारत और जापान का सहयोग और भी मजबूत करनेवाली खबर सामने आयी है| भारत की तरह जापान ने भी आरसीइपीपर हस्ताक्षर करने से इन्कार किया| भारत इस समझौते में शामिल नही हुआ तो जापान भी इस समझौते का हिस्सा नही होगा, यह ऐलान जापान के व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र के उपमंत्री हिदैकी माकियारा ने किया है|

यह समझौता हमारे लिए सुरक्षा और आर्थिक एवं राजनयिक नजरिए से अहम है| इस बारे में एकतरफा निर्णय नही हो सकता| इस समझौते का जबतक भारत हिस्सा ही होता, तबतक जापान भी इस समझौते पर हस्ताक्षर करने का विचार भी नही करेगा, यह बात माकियारा ने स्पष्ट की| ‘आरसीइपीसमझौते पर हस्ताक्षर करनेपर चीन जैसे उत्पाद क्षेत्र में बडी क्षमता रखनेवाला देश अपने उत्पादों से भारत का बाजार भर देगा, यह चिंता व्यक्त की जा रही थी| इशसे भारतीय व्यापारी एवं उत्पादकों को काफी बडा झटका लग सकता था, यह आशंका व्यक्त हो रही थी| इसी लिए भारत ने इस समजौते में कुछ बदलाव करने का सुझाव रखा था| यह बदलाव नही हुए, इस ओर ध्यान आकर्षित करके भारत ने इस समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था

इसका सबसे बडा झटका चीन को लगा था| अमरिका के साथ व्यापार युद्ध में उतरें चीन की अर्थव्यवस्था फिलहाल मंदी के भंवर में फंसी है| ऐसी स्थिति में चीन को भारत के बाजार की बडी जरूरत होने का एहसास हो रहा है| इसी कारण आरसीइपीसमझौता करने के लिए चीन कडी कोशिशें कर रहा है| भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार करने पर आसियान के सदस्य देशों के जरिए दबाव बढाकर भारत पर निर्णय बदलने के लिए दबाव बनाने की कोशिश भी चीन ने की थी| पर भारत ने इस ओर अनदेखा किया था| ऐसे में अब जापान ने भी भारत की ही भुमिका अपनाई है और इस वजह से चीन को नया झटका लगता दिख रहा है|

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