‘आईएनएफ’ से अमरिका पीछे हटने से जापान अमरिका बनाम चीन युद्ध में खींचा जाएगा – जापान के वृत्तपत्र का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरटोकियो – अमरिका ने रशिया के साथ ऐतिहासिक ‘इंटरमीजिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस’ आईएनएफ करार से वापसी करके, जापान की सुरक्षा खतरे में लाने का दावा जापान के अग्रणी के वृत्तपत्र ने किया है| आईएनएफ से वापसी के साथ अमरिका आनेवाले कुछ महीनों में प्रशांत महासागर में अपने मिसाइलों की तैनाती बढ़ा सकता है| वैसा होने पर अमरिका एवं चीन में लष्करी तनाव बहुत ज्यादा बढ़ेगा और जापान इन दोनों देशों में युद्ध के लिए अग्रणी पर होगा, ऐसी चेतावनी जापान के वृत्तपत्र ने दी है|

पिछले हफ्ते में अमरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अधिकृत रूप से ‘आईएनएफ’ से वापसी करने की बात घोषित की थी| आने वाले १८० दिनों में इस करार से वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होगी, ऐसी घोषणा पोम्पिओ ने की थी| अमरिकी विदेशमंत्री के इस घोषणा पर जापान के ‘असाही शिंबुन’ इस वृत्तपत्र ने तीव्र चिंता व्यक्त की है| छह महीनों के अवधि के बाद अमरीका पैसिफिक महासागर में ‘गुआम’ तथा जापान और फिलिपाईन्स में अपने लष्करी अड्डों पर मध्यम अंतर के मिसाइलों की तैनाती बढ़ा सकता है, ऐसा जापान के वृत्तपत्र ने अपने लेख में कहा है|

रशिया द्वारा आईएनएफ करार का उल्लंघन होने का आरोप करके अमरिका मिसाइलों की तैनाती का समर्थन कर सकता है| पर एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमरिका के इन मिसाइलों की तैनाती की वजह से चीन की अस्वस्थता बढ़ेगी, ऐसा जापान के वृत्तपत्र का कहना है| अमरिका और चीन में अलग-अलग मुद्दों पर इससे पहले ही बहुत बड़ा तनाव निर्माण हुआ है| चीन ने अमरिका के युद्धनौकाओ पर हमले करने की धमकी दी है| जिसकी वजह से अमरिका ने इस क्षेत्र में मिसाइलों की तैनाती बढ़ाई तो अमरिका एवं चीन में युद्ध भड़क सकता है और जापान इन दोनों देशों के युद्ध में अग्रणी पर होगा ऐसा दावा इस वृत्तपत्रने किया है|

एशिया पैसिफिक क्षेत्र में चीन के आक्रामक गतिविधियों की वजह से सुरक्षा खतरे में आए देशों में जापान का भी समावेश है| इनके इन चुनौतियों का सामना करने के लिए जापानने अमरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ सहयोग जानबूझकर विकसित किया है| उस समय आसियान के सदस्य होनेवाले छोटे देशों को भी जापान चीन के विरोध में सहायता कर रहा है| सेंकाकू द्वीप समूह कों लेकर जापान और चीन में विवाद बढ़ रहा है| जिससे आज नहीं तो कल जापान को चीन के आक्रामकता का सामना करना होगा, ऐसा स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं्|

ऐसा होते समय जापानी द्वीप एवं सागरी क्षेत्र में बने अड्डे जापान की सुरक्षा का भरोसा दे रहे हैं| इस वृत्तपत्र ने अपने विश्‍लेषण में इन बातों का उल्लेख नहीं किया है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.