जापान को परमाणु शक्ति का निर्माण करने दो- अमरीकी के भूतपूर्व नौसेना अधिकारी का सुझाव

वॉशिंगटन: ‘उत्तर कोरिया के खतरे को यदि कम करना हो तो अमरीका ने जापान को परमाणु शक्ति के निर्माण की अनुमति देनी चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो चीन भी उत्तर कोरिया को नियंत्रित करने के लिए तैयार हो जाएगा’, ऐसा सुझाव अमरीकी नौसेना के भूतपूर्व वरिष्ठ अधिकारी वाईस एडमिरल जॉन एम. बर्ड ने दिया। इससे पहले जापान को परमाणु शक्ति तैयार करने की अनुमति देने की मांग अमरीका के अन्य अधिकारी तथा लष्करी विशेषज्ञों ने की थी। इसके साथ जापान के पास परमाणु बम होने की आशंका भी व्यक्त की गई थी।

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कुछ दिनों पहले अमरीका में सेवानिवृत्त लष्करी अधिकारी तथा विशेषज्ञों की एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में निवृत्त वाईस ऐडमिरल बर्ड ने ‘नॉर्थ कोरियन लेसन्स फॉर जापान’ इस विषय पर आधारित अपनी भूमिका व्यक्त करने की जानकारी हाँग काँग स्थित चीनी दैनिक में प्रसिद्ध की। इस में बर्ड ने उत्तर कोरिया के परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्र परीक्षण का खतरा बढ़ने का रेखांकित किया है। उत्तर कोरिया के इस खतरे को नियंत्रित करना हो तो पश्चिम प्रशांत क्षेत्रों में परमाणु शक्ति से परिपूर्ण देश तैयार करने की आवश्यकता है ऐसी कल्पना कुछ विशेषज्ञों ने भी प्रस्तुत की थी। इसलिए जापान यह योग्य देश है। ऐसा मत बर्ड ने प्रस्तुत करने का चीनी दैनिक ने अपने वृतांत में कहा है।

उत्तर कोरिया के प्रक्षेपास्त्र परीक्षण के विरोध में अमरीका ने दक्षिण कोरिया में ‘थाड़’ को तैनात किया था। चीन ने ‘थाड़’ के तैनातीकरण का विरोध किया था। परंतु यदि जापान ने परमाणु शक्ति का निर्माण किया तो चीन भी थाड़ का विरोध करना छोड़कर उत्तर कोरिया को नियंत्रित करने का गंभीरता से विचार करेगी। इस कारण जापान को परमाणु शक्ति का निर्माण करने देने की, यह कुशाग्रता योग्य साबित होगी’, ऐसा बर्ड ने सुझाव देने का दावा चीनी दैनिक ने किया। बर्ड के जैसे ही अमरीका के एक और विशेषज्ञ ‘स्टीफन हेडमेकर’ ने भी उत्तर कोरिया के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किए। ‘परमाणु शक्ति का निर्माण न रोकने का तथा चर्चा में सहभागी न होने का उत्तर कोरिया ने इससे पहले ही स्पष्ट कर दिया है। इसलिए उत्तर कोरिया पर दबाव डालने के लिए उनके ही पड़ोस में परमाणु शक्ति से सज्ज देश तैयार करने की आवश्यकता है’, ऐसा सुझाव हेडमेकर ने देने का प्रस्तुत दैनिक ने अपनी वृतांत में प्रसिद्ध किया है।

दूसरे महायुद्ध के बाद अमरीका जापान पर डाले प्रतिबंध निकाल दे और जापान को परमाणु शक्ति से सज्ज करें, ऐसा अमरीका के भूतपूर्व लष्करी अधिकारी तथा विशेषज्ञों ने इससे पहले भी सुझाया था। साल भर पहले राष्ट्रपति पद के प्रचार के समय डोनाल्ड ट्रम्प ने भी यह मुद्दा प्रस्तुत किया था। उत्तर कोरिया परमाणु शक्ति से सज्ज होते हुए जपान व दक्षिण कोरिया भी परमाणु शक्ति का निर्माण क्यों न करें, ऐसा सवाल ट्रम्प ने किया था। उसी के साथ पिछले अनेक दशकों से अमरीका ने जापान के सुरक्षा के लिए अबजों डॉलर खर्च किए हैं परंतु आगे वित्त प्रदान करना मुमकिन नहीं होगा। इसलिए यदि मैं सत्ताधिकारी बन गया तो जापान को प्रदान की जाने वाली सुरक्षा समाप्त कर दूंगा’, ऐसा बताकर ट्रम्प ने जापान को परमाणु शक्ति से सज्ज करने की अपनी भूमिका का समर्थन किया था।

उसी समय जापान के पास परमाणु शक्ति निर्मिती की क्षमता व आवश्यक तकनीकें होने का दावा भी किया गया था। जापान की परमाणु ऊर्जा के संबंध में एक अधिकारी ने तीन साल पहले किये दावे के अनुसार, जापान के पास लगभग नौ टन प्लूटोनियम का स्टॉक है और वह अलग-अलग शहरों में जतन किया गया है। साथ ही फ्रांस और ब्रिटेन में जापान ने ३५ टन प्लूटोनियम का स्टॉक छुपा रखा है। उसी के साथ जपान के पास १.२ टन वर्धित यूरेनियम का स्टॉक होने का दावा भी इस अधिकारी ने किया था।

इसलिए जापान में परमाणु शक्ति के निर्माण की तैयारी बहुत पहले ही शुरू होने का प्रस्तुत हो रहा है। तथापि संबंधित अधिकारी का दावा जापान सरकार तथा फ्रांस और ब्रिटन ने नामंजूर किया है।

दरमियां, अमरीका ने जापान को परमाणु शक्ति के निर्माण की अनुमति दे दी तो उसके गंभीर परिणाम पूर्व आशिया में प्रतिबिंबित होकर चीन अधिक आक्रमक हो सकता है, ऐसी आशंका भी व्यक्त की जा रही है।

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