जम्मू-कश्मीर के घुसपैठ रोहिंग्याओं को बाहर खदेड़े – निवृत्त सैनिकों की मांग

जम्मू: जम्मू कश्मीर में सुरक्षा दल के शिविर एवं तल के पड़ोस में बढ़ने वाले रोहिंग्या एवं बांगलादेशी बस्तियों की समस्या चिंताजनक हो रही है। रोहिंग्या एवं बांगलादेशी घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक होकर उनको देश से बाहर खदेड़ा जाए ऐसी मांग निवृत सैनिकों ने की है। तथा जम्मू कश्मीर के लष्करी अधिकारियों के विरोध में दाखिल किए गए एफआयआर पीछे लिए जाए, ऐसी मांग भी निवृत सैनिकों से हो रही है।

‘वॉइस ऑफ एक्स सर्विसमैन सोसाइटी’ इस मुहिम के अंतर्गत देश के कोने-कोने से अनेक निवृत्त सैनिक जम्मू-कश्मीर में एकत्रित हुए थे। इस निवृत्त सैनिकों के शिविर से मंत्रालय तक मोर्चा निकाला गया। मंत्रालय के पास यह मोर्चा पुलिस ने रोका था। उसके बाद निवृत सैनिकों ने अपने मांग का एक पत्र पुलिस को सरकार के लिए दिया है। इसमें रोहिंग्या की समस्या और लष्करी अधिकारियों पर एफआयआर का प्रमुख मुद्दा है।

पिछले महीने में जम्मू कश्मीर के शोपियन में लष्कर के बेड़े पर कई विद्रोहीयों ने पत्थर फेंक की थी। इस पत्र पर करनेवाले झुंड ने एक सैनिक को लष्कर के गाड़ी से बाहर निकालकर मारने का प्रयत्न किया था। ऐसी परिस्थिति में जमाव को पीछे हटाने के लिए लष्कर के जवान ने हवा में गोलीबारी की थी। पर उसके बाद भी जमाव पीछे ना हटने की वजह से लष्कर के जवान ने अपने सहयोगी के प्राण बचाने के लिए उस वक्त का सूत्र हाथ लेते हुए, मेजर आदित्य कुमार ने गोलीबारी की जिसमें पत्थरफेंक करने वाले विद्रोही समर्थक भीड़ में २ लोगों की जान गई थी। लष्कर के इस कार्यवाही के बाद २ दिनों मे इस वजह से मेजर आदित्य के विरोध में एफआयआर दर्ज हुई थी। लष्कर के अधिकारियों पर दर्ज हुई एफआयआर पर देश भर से प्रतिक्रिया आयी थी।

यह एफआयआर पीछे ली गई है, ऐसी मांग अनेक दिनों से हो रही है। पत्थर फेंक करनेवालों को मानव अधिकार है, लष्कर के अधिकारी को क्यों नहीं? ऐसा प्रश्न पूछा जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर निवृत्त सैनिकों ने यह मोर्चा निकाला था। जिसमें मेजर आदित्य के विरोध में एफआयआर पीछे लेने की मांग की जा रही है।

निवृत्त सैनिक एवं अधिकारियों के इस मोर्चे के राष्ट्रीय संयोजक वीर बहादुर सिंह उस समय सरकार को सौंपे गए मांग में रोहिंग्या और बांगलादेशी घुसपैठ को बाहर खदेड़ने की मांग की है। कई दिनों पहले जम्मू कश्मीर जवान लष्करी तल पर आतंकवादियों ने हमला किया था। जिसमें ६ जवान शहीद हुए थे। रोहिंग्या और बांगलादेशी के गैरकानूनी बस्तियों की वजह से जम्मू में आतंकवादी हमलो का खतरा बढ़ने का आरोप किया जा रहा था। इस पृष्ठभूमि पर निवृत्त सैनिकों से हो रही मांग महत्वपूर्ण मानी जा रही है। तथा मांग पूर्ण न होने पर लाखों निर्मित सैनिक श्रीनगर में आकर यह आंदोलन अधिक व्यापक करेंगे ऐसा सिंग ने कहा है।

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