अमरीका के दबाव से इस्रायल ने चिनी कंपनी को काँट्रॅक्ट नकारा

जेरुसलेम/वॉशिंग्टन – कोरोना महामारी को लेकर अमरीका तथा चीन में शुरू हुआ राजनैतिक संघर्ष अब अधिक ही तीव्र बना है। अमरीका ने अपने मित्रदेशों पर, चीन के साथ सहयोग टालने के लिए दबाव डालना शुरू किया है। अमरीका के इस दबाव के कारण इस्रायल ने चिनी कंपनी को काँट्रॅक्ट नकारा होने की बात सामने आयी है।

इस्रायल सोरेक में दुनिया की सबसे बड़ी जलशुद्धीकरण परियोजना (डिसलायनेशन प्लांट) का निर्माण कर रहा है। डेढ़ अरब डॉलर्स की इस परियोजना के लिए तीन कंपनियों ने टेंडर भरे थे। उनमें हाँगकाँगस्थित ‘हचिसन वॉटर’ कंपनी के साथ एक इस्रायली कंपनी का भी समावेश है। परियोजना के लिए चिनी कंपनी को चुना जायेगा, ऐसे संकेत इससे पहले प्राप्त हुए थे। लेकिन मंगलवार को इस्रायल सरकार ने  ‘आयडीई टेक्नॉलॉजी’ इस इस्रायली कंपनी का ही परियोजना के लिए चयन किया होने का निर्णय घोषित किया। इस चयन के पीछे अमरीका का दबाव कारणीभूत हुआ होने की चर्चा हो रही है।

दो हफ़्ते पहले अमरीका के विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ ने इस्रायल का दौरा किया था। इस भेंट में पॉम्पिओ ने इस्रायल को चीन के संदर्भ में चेतावनी दी, ऐसा बताया जाता है। पॉम्पिओ ने एक इंटरव्यू के दौरान, इस्रायल-चीन सहयोग के बारे में अपनी भूमिका पेश की थी। ‘इस्रायल की बुनियादी सुविधाओं तथा संपर्क यंत्रणाओं पर चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण हो, ऐसा अमरीका नहीं चाहती। यह बात इस्रायली जनता की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक साबित हो सकती है। इसके कारण अमरीका और इस्रायल के बीच शुरू अहम परियोजनाओं का सहयोग भी बाधित हो सकता है’, ऐसे शब्दों में अमरीका के विदेशमंत्री ने इस्रायल को चेतावनी दी थी।

अमरीका के इस्रायल में राजदूत डेव्हिड फ्रीडमन ने भी, इस्रायल-चीन सहयोग के बारे में इस्रायल के वरिष्ठ मंत्री तथा नेताओं से भेंट की होने की बात सामने आयी है। इस समय फ्रीडमन ने ‘५जी’ तथा अन्य टेक्नॉलॉजी क्षेत्र में चिनी निवेश के ख़तरे के संदर्भ में इस्रायली नेताओं को एहसास करा दिया। अमरीका में ट्रम्प प्रशासन ने, इस्रायल में निर्माण हो रही जलशुद्धीकरण परियोजना के बारे में चिंता इससे पहले ही स्पष्ट की थी।

इस्रायल सोरेक में जलशुद्धीकरण परियोजना बना रहा होकर, यह परियोजना पालमाहीम हवाई अड्डा और सोरेक न्यूक्लिअर सेंटर इन बहुत ही संवेदनशील परियोजनाओं के नज़दीक है। चिनी यंत्रणाओं द्वारा जासूसी और घातपात की संभावना को मद्देनज़र रखते हुए, नयी जलशुद्धीकरण परियोजना में चिनी कंपनी का समावेश ख़तरनाक साबित हो सकता है, इसका एहसास अमरीका ने इस्रायल को करा दिया था।

चीन यह इस्रायल का तीसरे नंबर का बड़ा व्यापारी साझेदार होकर, दोनों देशों में १० अरब डॉलर्स से अधिक व्यापार है। चीन की कंपनियों ने इस्रायल में लगभग ११ अरब डॉलर्स से अधिक निवेश किया होकर, दोनों देशों में अरबों डॉलर्स की परियोजनाओं के संदर्भ में द्विपक्षीय समझौते भी हुए हैं।

पिछले साल, अमरीका का विरोध होने के बावजूद भी इस्रायल ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण माने जानेवाले ‘हैफा’ बंदरगाह के आधुनिकीकरण का काम चिनी कंपनी को सौंपा था। चीन का सहभाग हैफा बंदरगाह के नज़दीक खड़े रहनेवाले अमरिकी युद्धपोतों के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है, ऐसा कहकर अमरीका ने अपनी तीव्र नाराज़गी व्यक्त की थी। अमरीका ने लगातार बढ़ाये हुए दबाव के बाद इस्रायल ने, चीन के निवेश पर नज़र रखने के लिए स्वतंत्र यंत्रणा का निर्माण करने की बात मान ली थी।

अमरिकी विदेशमंत्री पॉम्पिओ के दौरे के बाद, चीन ने अमरीका की आलोचना करने के साथ ही, इस्रायल हितसंबंधों के लिए उचित साबित होनेवाला निर्णय करेगा, ऐसा निवेदन जारी किया था। सोरेक परियोजना के बारे में इस्रायल ने अपने हितसंबंधों की दृष्टि से निर्णय करके चीन को उचित संदेश दिया दिख रहा है।

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