ऑस्ट्रेलिया का पूर्वनियोजित दौरा स्थगित कर इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष रशिया के दौरे पर

दौरा

‘दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सोव्हिएत रशिया की ‘रेड आर्मी’ ने ज्यूवंशियों को की हुई सहायता को इस्रायल कभी भी नहीं भूलेगा। आज भी रशिया और इस्रायल आतंकवाद का मुक़ाबला कर रहे हैं। इसीलिए दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ना और भी आवश्यक बन गया है’ ऐसा आवाहन रशिया के दौरे पर आये हुए इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष ‘रुवेन रिव्हलिन’ ने किया। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने भी, जल्द ही इस्रायली प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करने का इरादा ज़ाहिर किया है।

रशिया और इस्रायल के बीच कई मुद्दों पर चर्चा होना आवश्यक है, यह पुतिन ने रिव्हलिन के साथ हुई चर्चा के बाद स्पष्ट किया। दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक सहयोग वृद्धिंगत करने के साथ ही, क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी रशिया एवं इस्रायल के बीच चर्चा होना ज़रूरी है, ऐसा पुतिन ने कहा। क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर इस्रायली प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले ही रशिया का ध्यान आकर्षित किया था।

रशिया ने ईरान को ‘एस-३००’ यह क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा की आपूर्ति करने का निर्णय घोषित किया था। उसके अनुसार पिछले हफ़्ते उपरोक्त यंत्रणा ईरान में दाख़िल होनेवाली थी। लेकिन इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू द्वारा इस सहयोग पर नाराज़गी ज़ाहिर की जाने के बाद, रशिया ने ईरान को ‘एस-३००’ की आपूर्ति करने के निर्णय को फिलहाल स्थगिति दी थी। ईरान तथा रशिया के बीच के लष्करी सहयोग पर तथा आखाती प्रदेश के अन्य मुद्दों पर भी जल्द ही इस्रायली प्रधानमंत्री के साथ चर्चा होगी, यह भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने स्पष्ट किया।

इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष रिव्हलिन ये ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जानेवाले थे। ऑस्ट्रेलिया एवं इस्रायल के बीच के व्यापारी तथा रक्षा सहयोग पर चर्चा करने के लिए रिव्हलिन ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री टर्नबुल से मुलाक़ात करनेवाले थे। दस साल में पहली ही बार इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जानेवाले थे। इस कारण रिव्हलिन के इस ऑस्ट्रेलिया दौरे के बारे में काफ़ी कौतुहल जागृत हुआ था। लेकिन रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने फोन करके इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष को १६ से १८ मार्च के बीच रशिया दौरे का निमंत्रण दिया। रशियन राष्ट्राध्यक्ष से मुलाक़ात का प्रस्ताव आने के बाद रिव्हलिन को अपना ऑस्ट्रेलिया का पूर्वनियोजित दौरा स्थगित करना पड़ा।

उसीके साथ, इस्रायली प्रधानमंत्री नेतान्याहू और रक्षामंत्री मोशे यालोन ने राष्ट्राध्यक्ष रिव्हलिन को रशिया दौरे को अहमियत देने का आवाहन किया। इसलिए रिव्हलिन ने ऑस्ट्रेलिया की नाराज़गी मोल लेकर, रशिया का दौरा किया।  इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष के इस निर्णय की ऑस्ट्रेलिया ने कड़ी आलोचना की है। रिव्हलिन के इस निर्णय के कारण इस्रायल और ऑस्ट्रेलिया के आपसी संबंधों पर असर पड़ सकता है, ऐसी चेतावनी भी ऑस्ट्रेलिया ने दी है। लेकिन इस्रायल की सुरक्षा की दृष्टि से यह दौरा महत्त्वपूर्ण है, ऐसा नेतान्याहू और यालोन ने कहा है। रशिया द्वारा सिरिया से लष्कर वापस बुलाने का निर्णय घोषित कर दिया जाने के चार दिन पहले ही रिव्हलिन का यह रशिया दौरा तय हुआ। इस कारण रिव्हलिन एवं पुतिन के बीच हुई यह बैठक मायने रखती है। अगले हफ़्ते इस्रायली प्रधानमंत्री रशिया का दौरा कर सकते हैं, ऐसा कहा जा रहा है।

इसी दौरान, रशिया और इस्रायल के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई चर्चा में, रिव्हलिन ने रशिया को आखाती प्रदेश में अहम भूमिका निभाने का आवाहन किया। सिरिया में चल रहे संघर्ष के दौरान रशिया ने इस क्षेत्र में अहम भूमिका निभायी होकर, आगे चलकर भी रशिया इसी तरह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा, ऐसी उम्मीद इस्रायली राष्ट्राध्यक्ष ने ज़ाहिर की।

इस रशिया दौरे के दौरान रिव्हलिन ने, पुन: एक बार ‘गोलन’ इलाक़े में संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांतिसैनिकों की तैनाती करने का आवाहन पुतिन के साथ हुई चर्चा में किया। रशिया के हवाई हमलों के कारण सिरिया से भाग चुके ‘आयएस’ के आतंकी इस्रायल की सीमा तक पहुँचे थे। इस कारण सिरियन लष्कर के साथ साथ ईरान के सैनिक और हिज़बुल्लाह के आतंकी भी इस्रायल की सीमा तक दाख़िल हुए होकर, इससे गोलन टीलों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ गयी है, इस बात पर रिव्हलिन ने पुतिन का ग़ौर फ़रमाया। गत वर्ष ‘आयएस’ के आतंकियों ने गोलन में तैनात शांतिसैनिकों का अपहरण करने के बाद इस सीमावर्ती प्रदेश से शांतिसैनिकों को हटा लिया गया था।

पॅलेस्टाईन के मुद्दे पर इस्रायल की परेशानियाँ बढ़ती ही जा रही हैं। वेस्ट बँक की गतिविधियों के मुद्दे पर इस्रायल की पश्चिमी देशों के द्वारा कड़ी आलोचना की जा रही है। निर्वासितों के लिए बसतियों का निर्माण करने के लिए वेस्ट बँक में स्थित ज़मीनों पर बांधकाम करने का इरादा इस्रायल ने ज़ाहिर किया था। उसको लेकर अमरीका के साथ ही जर्मनी एवं फ़्रान्स ने भी ‘इस्रायल यह तक़रीबन ५७८ एकर ज़मीन हड़प करना चाहता है, जिससे कि इस्रायल एवं पॅलेस्टाईन के बीच की शांतिचर्चा ख़तरे में पड़ सकती है’ ऐसी इस्रायल की कड़ी आलोचना की थी और पॅलेस्टाईन ने भी इस्रायल के इस निर्णय पर तीव्र नाराज़गी ज़ाहिर की थी।

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