इस्रायल ‘सायबर ऑफेन्सिव्ह वेपन्स’ की निर्यात करेगा – रक्षा मंत्रालय की अनुमति

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरजेरूसलम: खाडी देशों के साथ दुनिया के अन्य देशों में जरूरत के अनुसार ‘सायबर ऑफेन्सिव्ह वेपन्स’ का निर्यात करने के लिए इस्रायल के रक्षा मंत्रालय ने अनुमति दी है| इस के बाद देश के अर्थ मंत्रालय ने सायबर तकनीक का निर्यात करने के लिए स्वतंत्र विभाग शुरू करने की जानकारी भी दी गई है| कुछ वर्ष पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हुए सायबर हमलें में इस्तेमाल किया गया ‘स्टक्सनेट’ यह ‘व्हायरस’ इस्रायल ने विकसित किया है, यह दावा किया गया था| इस पृष्ठभूमि पर इस्रायल के रक्षा विभाग ने ‘सायबर वेपन्स’ के निर्यात को दी हुई मंजुरी अगले दिनों में काफी बडी उथल पुथल करवा सकती है|

कुछ दिन पहले ‘मार्केट फोरकास्ट’ इस अनुसंधान से जुडे गुट ने दुनिया में ‘सायबर वेपन्स’ के बाजार संबंधी रपट पेश किया था| इस रपट में ‘ऑफेन्सिव्ह’ यानी सायबर हमलों के लिए इस्तेमाल होनेवाली यंत्रणा की मांग अगले दशक में करीबन १० अरब डॉलर्स तक जा पहुंचेगी, यह जानकारी दी गई थी| इस बाजार में ‘ऑफेन्सिव्ह सायबर वेपन्स’ विकसित करनेवाले देशों की सुचि में पहले पांच देशों में इस्रायल का समावेश है|

इस्रायल के ‘एनएसओ ग्रुप’, ‘व्हेरिंट’, ‘एल्बिट सिस्टिम्स’ यह कंपनियां सायबर हमलों के लिए ‘वेपन्स’ यानी की हथियारों की आपुर्ति करनेवाली कंपनियों में से शीर्ष की कंपनियों की तौर पर जानी जाती है| इन एवं इस्रायल के सायबर सुरक्षा क्षेत्र की अन्य कंपनियों पर कुछ देशों में ‘सायबर वेपन्स’ की बिक्री करने पर कडे प्रतिबंध लगाए गए थे| लेकिन, रक्षा विभाग ने यह प्रतिबंध कुछ तादाद में ढिलें करने पर इस्रायली कंपनियां अधिक प्रभावि तरीके से और कम से कम समय में ‘सायबर वेपन्स’ अन्य देशों को बेच सकेंगे, यह संकेत सूत्रों ने दिए है|

इन कंपनियों को कौन से देशों के साथ ‘सायबर वेपन्स’ की बिक्री कर सकेंगी, यह तय करने की आजादी इन कंपनियों को दी गई है| लेकिन, फिर भी निर्यात संबंधी परवाना प्राप्त करने इन्हें बंधनकारक रखा गया है| इस्रायल के रक्षा विभाग और अर्थ विभाग की अनुमति के बाद ही यह परवाना जारी किया जाएगा, यह दावा भी सूत्रों ने किया है| इसके लिए अर्थ मंत्रालय ने स्वतंत्र विभाग भी शुरू किया है और इसके तहेत सुधार का हिस्सा होने का खुलासा अर्थ मंत्रालय के प्रवक्ता ने किया है|

पिछले दशक से सायबर मुद्दा का मुद्दा अहमियत प्राप्त कर रहा है और दुनिया के प्रमुख देश एक-दुसरों पर बडे तादाद में सायबर हमलें कर रहे है, यह जानकारी स्पष्ट हुई है| इन देशों में चीन, रशिया, ईरान, उत्तर कोरिया समेत अमरिका, इस्रायल और यूरोपिय देश भी शामिल है| इनमें से अमरिका, चीन, रशिया और इस्रायल इन देशों की गुप्तचर यंत्रणाओं ने ‘सायबर वॉर’ की तैयारी के लिए आक्रामक निती अपनाई है|

अमरिका ने स्वतंत्र ‘सायबर कमांड’ का गठन किया है और उन्हें ‘सायबर वेपन्स’ का निर्माण एवं उसका इस्तेमाल करने के अधिकार भी दिए गए है| चीन और रशिया की यंत्रणा अमरिका एवं यूरोपिय देशों पर लगातार सायबर हमलें कर रहे है और इसमें भी ‘सायबर वेपन्स’ का बडी मात्रा में इस्तेमाल किया जा रहा है| कुछ वर्ष पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हुए सायबर हमले में इस्रायल और अमरिका ने संयुक्त तरिके से तैयार किए ‘स्टक्सनेट’ व्हायरस बतौर ‘सायबर वेपन’ इस्तेमाल किया गया था| इस सायबर हमले में ईरान के परमाणु केंद्र में हजारों सेंट्रीफ्युजेस बंद हुए थे| यह अपने परमाणु केंद्र पर हुआ सायबर हमला है, इसका एहसास भी ईरान को काफी लंबे समय तक नही हुआ था| इस सायबर हमलें की गुंज पुरी दुनिया में सुनाई पडी थी|

इस पृष्ठभूमि पर इस्रायल ने ‘ऑफेन्सिव्ह सायबर वेपन्स’ की निर्यात करने संबंधी किया निर्णय अहमियत रखता है| भविष्य में सायबर क्षेत्र एक ‘युद्धभूमि’ होगा, ऐसे इशारें विश्‍लेषकों के साथ अब प्रमुख देशों के नेता भी देने लगे है| ऐसे दौर में सायबर वेपन्स का बाजार विकसित हो रहा है, यह बात इस्रायल ने इस संबंधी अपने निती में किए बदलाव से स्पष्ट हुई है|

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