इस्लाम धर्म के अनुसार बिटकॉइन ‘हलाल’ साबित हो सकता है (?) – रशियन मुफ़्ती कौंसिल के अर्थशास्त्री का दावा

मॉस्को: बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी इस्लाम धर्म के अनुसार ‘हलाल’ साबित हो सकते हैं और ‘इस्लामिक बैंकिंग’ के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, ऐसा रशिया में स्थित इस्लाम धर्मियों की ‘मुफ़्ती कौंसिल’ की आर्थिक सलाहकार ‘मदिना कलीमुलीना’ ने कहा है। इसके बारे में अभी तक निर्णय नहीं हुआ है, फिर भी इस पर चर्चा शुरू हुई है, ऐसा कलीमुलीना ने रशियन न्यूज़ चैनल से कहा है।

‘हलाल’, क्रिप्टोकरेंसी, इस्लाम धर्म, भुगतान, प्रतिक्रिया, रशिया, इंडोनेशिया, मलेशिया‘इन दिनों रशिया में क्रिप्टोकरेंसी पर जोरदार चर्चा च रही है। विशेष रूप से कोकेशक इलाके के इस्लाम धर्मी अर्थशास्त्रियों में इस पर गहरी चर्चा की जा रही है। इस्लाम धर्मियों के बहुसंख्या वाले रशिया के तार्तरस्थान प्रान्त की राजधानी कझान में पशुधन से संबंधित व्यवहार के सन्दर्भ में ‘मीट-कॉइन’ जैसे इसी स्वरुप के करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है’, ऐसा कहकर आने वाले समय में इस्लाम धर्मियों में बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता मिल सकती है, ऐसा दावा कलीमुलीना ने किया है। इसीके साथ ही खाड़ी के प्रमुख इस्लाम धर्मीय देशों में भी बिटकॉइन का इस्तेमाल शुरू हुआ है, इस बात की तरफ कलीमुलीना ने ध्यान आकर्षित किया है।

‘हलाल’, क्रिप्टोकरेंसी, इस्लाम धर्म, भुगतान, प्रतिक्रिया, रशिया, इंडोनेशिया, मलेशिया‘संयुक्त अरब अमिराती’ के ग्राहकों के लिए खाड़ी का पहला ‘ई-वालेट’ माना जाने वाला ‘बिटओएसिस’ शुरू हुआ है। इसके बाद सऊदी अरेबिया, कुवैत, कतार, बहारिन और ओमान इन देशों में भी यह वालेट उपलब्ध हुआ है। इंडोनेशिया में बिटकॉइन और मलेशिया के ‘कॉइनबॉक्स’ द्वारा क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवा की आपूर्ति की जाती है, यह जानकारी कलीमुलीना ने दी है। इन सारे इस्लाम धर्मीय देशों में शुरुआ हुआ क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल और उसे मिल रही प्रतिक्रिया को देखते हुए आने वाले समय में दुनिया भर के इस्लाम धर्मीय इसका इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं, ऐसा कलीमुलीना का कहना है।

इस्लाम धर्म की शिक्षा के अनुसार व्यवहार करने वाले ‘इस्लामिक बैंकिंग’ में क्रिप्टोकरेंसी को स्थान मिल सकता है। लेकिन अभी भी क्रिप्टोकरेंसी में बड़े पैमाने पर खतरा और अनिश्चितता है। क्रिप्टोकरेंसी के पीछे असली संपत्ति और सरकारी स्तर की गारंटी नहीं है। यह बात इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है। क्रिप्टोकरेंसी की यह खामियां दूर हुई, तो इस्लाम धर्मी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर सकते हैं, ऐसा कलीमुलीना ने स्पष्ट किया है। उसी दौरान ‘संयुक्त अरब अमिराती’ ने सोना-समर्थित क्रिप्टोकरेंसी शुरू की है, इसकी जानकारी कलीमुलीना ने दी है।

पैसों का भुगतान करने के मापदंड पर देखा जाए तो ‘बिटकॉइन’ को इस्लाम धर्म के अनुसार ‘हलाल’ अर्थात मान्यता दी जा सकती है। ऐसा इंडोनेशिया के अर्थशास्त्री मैथ्यू जे. मार्टिन ने कहा है। इस्लाम में कर्ज पर आधारित करेंसी का इस्तेमाल निषिद्ध माना है। लेकिन वर्तमान में वैश्विक अर्थशास्त्र में इस्तेमाल की जाने वाली सभी देशों की करेंसी कर्ज पर ही आधारित हैं और वह इस्लाम धर्म के अनुसार ‘हलाल’ साबित नहीं होते हैं। लेकिन बिटकॉइन का वैसा नहीं है, ऐसा मार्टिन का कहना है।

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