खाड़ीक्षेत्र में ईरान की मग़रूरी बढ़ रही है – सऊदी अरब के विदेशमंत्री की आलोचना

iran-gulf-saudi-arabia-1रियाध – ‘खाड़ीक्षेत्र में ईरान की मग़रूरी अधिक ही बढ़ी होकर, इसका असर इस क्षेत्र की सुरक्षा पर हो रहा है’, ऐसी तीख़ी आलोचना सऊदी अरब के विदेशमंत्री प्रिन्स फैझल बिन फरहात अल सौद ने की। सागरी परिवहन की सुरक्षा के लिए बना ख़तरा, येमन में हाऊथियों की शस्त्रसिद्धता और लेबनान में बनी राजनीतिक घेराबंदी, इसकी मिसालें विदेशमंत्री प्रिन्स फैझल ने दीं। साथ ही, अगर सन २०१५ का परमाणु समझौता ईरान को परमाणुअस्त्र-सिद्धता से पूरी तरह रोकनेवाला होगा, तो ही सऊदी इस समझौते का समर्थन करेगा, ऐसा कहकर सओदी के विदेशमंत्री ने अपने देश की भूमिका रखी।

अमरीका के अग्रसर सुरक्षाविषयक अभ्यासगुट ने आयोजित की ‘ऍस्पेन सिक्युरिटी फोरम’ की वर्च्युअल बैठक हाल ही में संपन्न हुई। इन तीन दिन की बैठक को संबोधित करते समय सऊदी के विदेशमंत्री प्रिन्स फैझल ने खाड़ीक्षेत्र की सुरक्षाविषयक चुनौतियों पर चिंता ज़ाहिर की। युएई के इंधनवाहक जहाज के अपहरण के पीछे ईरानसमर्थक गुट होने का ज़िक्र करके, इस क्षेत्र में ईरान की बढ़ती मग़रूरी यहाँ की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक होने की चेतावनी प्रिन्स फैझल ने दी।

iran-gulf-saudi-arabia-2‘चाहे येमन के हाऊथी बाग़ियों को हथियारों की सप्लाई हो या सागरी क्षेत्र में परिवहन असुरक्षित करने की कोशिश हो, खाड़ीक्षेत्र में ईरान की नकारात्मक हरक़तें अधिक तीव्र हुईं हैं। यहाँ तक कि पिछले कई दिनों से लेबनान में चल रही राजनीतिक घेराबंदी तथा आर्थिक दुरावस्था के लिए भी ईरान ही ज़िम्मेदार है’, ऐसा दोषारोपण सऊदी के विदेशमंत्री ने किया। इस्रायल और युएई के जहाज़ों पर हुए हमलों के लिए ईरान ज़िम्मेदार होने के आरोप तीव्र होने लगे हैं। इस बारे में बात करते हुए सऊदी के विदेशमंत्री ने युएई के इंधनवाहक जहाज़ के अपहरण के पीछे ईरान होने का शक़ ज़ाहिर किया।

पश्चिमी देश और ईरान के बीच होने जा रहे परमाणु समझौते के संदर्भ में सऊदी की भूमिका विदेशमंत्री ने स्पष्ट की। ‘ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए जारी कोशिशों को सऊदी का समर्थन है। लेकिन इस परमाणु समझौते से अगर ईरान को स्थायी रूप में परमाणु-अस्त्र-सिद्ध बनने से रोका जा सकें, तब ही’, यह सऊदी की पूर्व-शर्त है, इस बात पर प्रिन्स फैझल ने ग़ौर फ़रमाया। ‘खाड़ीक्षेत्र की स्थिरता के लिए ईरान के साथ सहयोग करने के लिए भी सऊदी तैयार है। लेकिन उससे पहले ईरान आतंकवादी संगठन, सशस्त्र गुटों को हथियारों की सप्लाई करना और परमाणुअस्त्रनिर्माण रोकें’, इन शब्दों में विदेशमंत्री प्रिन्स फैझल ने ईरान को लक्ष्य किया।

पिछले साल अमरीका की मध्यस्थता से इस्रायल और अरब देशों के बीच हुए ‘अब्राहम समझौते’ का सऊदी के विदेशमंत्री ने समर्थन किया। ‘अब्राहम समझौते ने इस क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने में अहम योगदान दिया है। इस कारण इस समझौते की ओर सकारात्मकता से देख सकते हैं’, ऐसा प्रिन्स फैझल ने कहा। लेकिन इस समझौते का इस्तेमाल फिलिस्तीन का मसला सुलझाने के लिए होना चाहिए, ऐसी उम्मीद सऊदी के विदेशमंत्री ने ज़ाहिर की।

इसी बीच, इब्राहिम रईसी ने कुछ ही घंटे पहले ईरान के राष्ट्राध्यक्षपद की शपथ ग्रहण की। उनसे पहले के राष्ट्राध्यक्ष रोहानी के तुलना में रईसी  बहुत ही उग्रमतवादी होने के दावे किये जाते हैं। इस पृष्ठभूमि पर, सऊदी के विदेशमंत्री ने ऍस्पेन बैठक के माध्यम से ईरान की हरक़तों को लेकर आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को संदेश दिया देख रहा है।

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