अमरिका ईरान की सल्तनत पलट दे – ईरान के राजपरिवार के वंशज ‘शहा रेजा पहलवी’ इनकी दर्ख्वास्त

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वॉशिंगटन – अमरिका ने लगाए आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से ईरान की सल्तनत की अंतरराष्ट्रीय या देशांतर्गत भूमिका में रत्तीभर फरक नही होगा| अमरिका को ईरान में बदलाव चाहिये तो उसके लिए ईरान में तख्ता पलट करना होगा, यह दर्ख्वास्त ईरान के राजपरिवार के वंशज ‘शहा रेजा पहलवी’ ने की है| इसके लिए अमरिका ईरान में ‘नियंत्रित राजनीतिक विस्फोट’ करे, यह पहलवी का सुझाव है| पिछले कुछ महीनों से ईरान में हुकूमत के विरोध में शुरू प्रदर्शनों की पृष्ठभुमि पर ‘शहा रेजा पहलवी’ इन्होंने की दर्ख्वास्त का महत्व बढा है|

एटमी कार्यक्रम, मिसाइल निर्माण, आतंकी संगठनों को समर्थन और मानवाधिकार का उल्लंघन के मुद्दे पर अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने ईरान की खामेनी-रोहानी हुकूमत पर लगाए प्रतिबंधों का ‘शहा रेजा पहलवी’ समर्थन किया है| इन प्रतिबंधों का परिणाम ईरान के अर्थव्यवस्था पर हो रहा है, यह पहलवी ने स्वीकारा है| लेकिन ट्रम्प प्रशासन के इन प्रतिबंधों की वजह से ईरान में तख्ता पलट होना संभव नही, यह भी पहलवी ने स्पष्ट किया| ‘द वॉशिंगटन इन्स्टिट्यूट फॉर निअर ईस्ट पॉलिसी’ इस अभ्यास गुट की बैठक में बोलते समय पहलवी इन्होंने ईरान को लेकर अपनी भूमिका रखी|

ईरान की सल्तनत धाराशाई होने के लिए ज्यादा समय की जरूरत नही रहेगी, यह दावा पहलवी ने किया है| लेकिन ईरान की सल्तनत पर अंतरराष्ट्रीय या आर्थिक दबाव बनाकर यह मुमकिन नही होगा, यह पहलवी ने इस दौरान कहा| साथ ही लष्करी सामर्थ्य के बलबुते पर ईरान में खूनखराबा कराके भी अमरिका को जरूरी लोकतंत्र ईरान में गठित हो नही सकता, इसका एहसास पहलवी इन्होंने कराया है| इसके लिए ईरान की जनता और विश्‍व के कोने कोने में जा बसे ईरान के सल्तनत के विरोधी नेताओं के साथ चर्चा जरूरी है| ईरानी जनता और विरोधकों की सहायता से खामेनी-रोहानी हुकूमत पलटना संभव होगा, यह योजना पहलवी इन्होंने रखी|

‘ईरानी जनता और विरोधकों की सहायता से ईरान के कट्टरपंथी सल्तनत को झटका देने के लिए नियंत्रित राजनीतिक विस्फोट किया तो ईरान में धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र गठित हो सकेगी| अहिंसा के राह से ईरान में गठित हुई यह सरकार अमरिका, इस्रायल और अरब देशों के लिए सच्चा मित्र साबित होगा| ईरान की जनता ही इस बदलाव के प्रतिनिधि होंगे| लेकिन इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर से ईरान की जनता एवं राजनीतिक विरोधकों को निर्णायक समर्थन मिलना जरूरी है, यह मांग पहलवी ने रखी|

१९९० की दशक में वर्णद्वेश के नीति के विरोध में अमरिका और मित्रदेशों ने दक्षिण अफ्रीकी जनता को नैतिक, आर्थिक और राजनीतिक समर्थन दिया था| इसी प्रकार पोलंड में मजदूरों के आंदोलन का समर्थन करके अमरिका ने सोविएत रशिया पर दबाव बनाया था, इन दो घटनाओं का जिक्र करके पहलवी इन्होंने ट्रम्प प्रशासन से रखी उम्मीद स्पष्ट की| इसके अलावा डॉ.मार्टिन लुथर किंग इनकी ‘वुई विल रिमेम्बर नॉट द वर्डस् ऑफ अवर एनिमिज्, बट दी सायलन्स ऑफ अवर फ्रेंडस्’ इस विधान का संदर्भ भी पहलवी ने दिया| इसके द्वारा अमरिका ईरान की हुकूमत से चर्चा की उम्मीद ना रखे और इस सल्तनत के विरोधी जनता और गुटों के साथ हाथ मिलाये, यह सुझाव पहलवी इन्होंने रखा है| इसके लिए अमरिका और ब्रिटेन ईरान में प्रसारित हो रहे रेडिओ और अन्य माध्यमों का इस्तेमाल करे, यह भी पहलवी ने कहा है|

१९७९ में हुए इस्लामी क्रांती के पहले ईरान में ‘शहा’ राजपरिवार की हुकूमत थी| लेकिन आगे, आयातुल्ला खोमेनी ने कट्टरपंथीयों की सहायता से ईरान में शहा हुकूमत का तख्ता पलट किया| उसके बाद ईरान के ‘शहा’ परिवार के एकमेव वारिस और पदच्युत राजे ‘मोहम्मद रेजा पहलवी’ इनका पुत्र ‘शहा रेजा पहलवी’ इन्होंने अमरिका में शरण ली थी|

इस दौरान, ‘द वॉशिंगटन इन्स्टिट्यूट फॉर निअर ईस्ट पॉलिसी’ इस अभ्यासगुट ने ट्रम्प प्रशासन के साथ अच्छे संबंध है, यह दावा हो रहा है| इस वजह से इस अभ्यासगुट के मंच से पहलवी इन्होंने रखे इन प्रस्तावों का महत्व बढा है|

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