अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा को आतंकवाद से खतरा – विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का इशारा

बाकू: आतंकवाद यह अंतरराष्ट्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा को होनेवाला सबसे बड़ा खतरा है। हमारे निष्पाप नागरिकों की जान लेनेवाले आतंकवादियों की वजह से विकास का उद्देश्य कठिन बन रहा है। पर आतंकवाद के विरोध की भाषा एवं कृति इसमें अभी भी बहुत अंतर है। अभी भी इस स्तर पर अधिक प्रगति नहीं हुई है, ऐसे शब्दों में भारत के विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद के बारे में दोमुहि भूमिका लेनेवाले देशों पर कड़ी टीका की है। अजरबैजान के बाकू में अलिप्ततावादी राष्ट्र की परिषद शुरू हुई है और इस परिषद में स्वराज बोल रही थी।

आतंकवाद, खतरा, अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता, सुरक्षा, सुषमा स्वराज, इशारा, बाकू, संयुक्त राष्ट्रसंघभारत ने सन १९९६ में संयुक्त राष्ट्रसंघ के आतंकवाद के विरोध में ‘कोम्प्रेहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ का (सीसीआरटी) का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इसे दो दशक से अधिक काल पूर्ण हो रहा है पर अभी भी उस पर चर्चा खत्म नहीं हुई है। आतंकवाद की व्याख्या करते हुए वर्ष झाया हो रहे हैं। आतंकवाद के विरोध की भाषा एवं दुनिया की कृति इसमें बहुत बड़ा अंतर है। आतंकवाद के बारे में दोमुहि भूमिका न लेते हुए उसके विरोध में अंतरराष्ट्रीय कानून एवं नियंत्रण अधिक प्रभावित तौर पर कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, ऐसा सुषमा स्वराज ने इस परिषद में जोर देकर कहा है।

आतंकवाद की वजह से बेगुनाह नागरिकों की जान जा रही है और विकास एवं प्रगति का उद्देश्य साधने के लिए आतंकवाद की वजह से बहुत बड़ी बाधाएं निर्माण हो रही है। इसलिए आतंकवादी यह दुनिया में स्थिरता एवं सुरक्षा को चुनौती देनेवाला सबसे बड़ा खतरा है, ऐसा कहकर स्वराज ने आतंकवाद के विरोध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई का पुरस्कार किया है। दौरान संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुधार के बारे में बोलते हुए विदेश मंत्री स्वराज ने सुरक्षा परिषद के विस्तार के सिवाय यह सुधार अधूरे होंगे, ऐसा सूचित किया है। पिछले अनेक वर्षों से भारत संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग कर रहा है और अपनी स्थाई सदस्यता के दावेदारी आगे कर रहा है। भारत की दावेदारी को रशिया, ब्रिटेन, फ्रांस, अमरिका ने समर्थन दिया है। पर चीन भारत के सदस्यत्व को विरोध कर रहा है।

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